चेल्सी क्लिंटन एक जाना पहचाना नाम है। इन दिनों उनका नाम बढ़चढ़ कर लिया जा रहा है। इसके पीछे एक बड़ा कारण है कोविड-19 टीके के लिए उन्होंने तीसरी दुनिया (विकासशील और गरीब देश) के देशों में टीका की उपलब्ध्ता को लेकिर विश्वभर के अमीर देशों की स्वास्थ्य नीति पर सवाल उठाया है।
अंतराष्ट्रीय पत्रिका नेचर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अमीर देशों से आग्रह किया है कि वे कोविड-19 वैक्सीन की तकनीक को गरीब देशों के साथ साझा करें। ताकि दुनिया भर के गरीब मुल्कों के पास आसानी से टीके की पहुंच बन सके।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि चेल्सी आखिरकार अमेरिका के एक ऐसे परिवार में पलीबढ़ी हैं, जहां उन्होंने दुनियाभर के राष्ट्रध्यक्षों की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति को अपनी आंखों के सामने बनते-बिगड़ते देखा है। ऊपर से अब वे न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति विषय की प्रोफेसर भी हैं।
हालांकि चेल्सी क्लिंटन का सार्वजनिक जीवन बहुत अधिक लाइमलाइट में नहीं रहा है। लेकिन हाल ही में उन्होंने दुनिया के निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कोविड-19 टीकों की कमी को दूर करने के लिए विश्वभर के अमीर देशों के राष्ट्रप्रमुखों से न केवल अपील की, बल्कि वे अपने स्तर विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग कर रही हैं ताकि गरीब मुल्कों में कोविड टीके की पहुंच को आसान बनाया जा सके।
वह यह जानती हैं कि धनी देश जहां कोविड की तीसरी डोज लेने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं विश्व के सैकड़ों देशों में अब तक कोविड टीके की पहली डोज तक नहीं लगी है। वह अपनी मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि का लाभ लेते हुए विश्वभर के धनी राष्ट्रप्रमुखों को गरीब देशों में टीके की आपूर्ति बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
नेचर से बातचीत करते हुए चेल्सी ने इस संबंध में कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में मेरी पहली वास्तविक रुचि लगभग तीन दशक पहले शुरू हो गई थी, जब दुनिया के सबसे महान बास्केटबॉल खिलाड़ी मैजिक जॉनसन ने अपने एचआईवी पॉजिटिव होने के बारे में एक साहसी भाषण दिया था। वह कहती हैं कि इसके बाद वह एचआईवी पॉजिटिव थिएटर ग्रुप के साथ काम किया।
इस माध्यम से मुझे गरीब और अमीर देशों के बीच व्याप्त घोर असमानताओं के बारे में जाना और तभी से सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में काम शुरू किया। वह कहती हैं कि मुझे यह कहने में रत्तीभर भी झिझक नहीं है कि जब मेरे पिता अमेरिका के राष्ट्रपित थे तब उनकी सरकार ने एचआईवी और एड्स के क्षेत्र में पर्याप्त काम नहीं किया।
मुझे अब भी याद है कि एक बार मैं जब ईस्टर चर्च में सेवाकार्य में लगी हुई थी, तब एक एड्स कार्यकर्ता समूह मेरे पिता के विरोध में नारे लगा रहा था। और मुझे लगा कि उसका इस प्रकार से मेरे पिता के बारे में चिल्लाना उचित ही है क्योंकि वह जो कह रहा था उसकी बातों से मैं पूरी तरह से सहमत थी।
हालांकि बाद में जब मेरे पिता राष्ट्रपति पद से हटे तो उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी सीमा से परे जाकर काम किया। उनके इस काम ने मुझे सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा दी।
नेचर ने जब उनसे पूछा कि आप कोविड-19 वैक्सीन इक्वीटी (बराबरी) की वकालत कर रही हैं। क्या आपके देश अमेरिका ने इस दिशा में कोई कदम उठाया है? इस पर चेल्सी ने कहा कि मै अवश्वसनीय रूप से इस बात की अभारी हूं कि बाइडन प्रशासन ने विश्वभर के 60 देशों को 110 मिलियन वैक्सीन की खुराक भेजी है।
इसके बावजूद मैं कहना चाहूंगी कि यह जरूरतों को देखते हुए बहुत ही अपर्याप्त है। और मुझे उम्मीद है कि अमेरिका द्वारा और वैक्सीन की और खुराकें भेजी जाएंगी। चेल्सी ने बताया कि मैं बाइडन प्रशासन पर दबाव बराबर बनाए रखने की कोशिश करुंगी कि ताकि टीका बनाने वाली दवा कंपनियां अपनी प्रौद्योगिकी को दुनिया भर के गरीब देशों के बीच हस्तांरण के लिए राजी किया जा सके।
मुझे उम्मीद है कि बाइडन प्रशासन इसे न केवल अमेरिकी सरकार के लिए नैतिक रूप से सही काम के रूप में देखेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा वास्तव में अप्रत्यक्ष रूप से हम अपना ही जीवन सुरक्षित कर रहे हैं। हम तब तक सस्टनेबल तरीके से आगे नहीं बढ़ेंगे जब तक हम भविष्य के वेरिएंट के जोखिम को कम नहीं कर सकते। यह तभी संभव होगा जब दुनियाभर में सभी का टीकाकरण हो।
चेल्सी से जब नेचर ने पूछा कि मई में अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन द्वारा कोविड-19 वैक्सीन पेटेंट पर छूट जारी करने वाले प्रस्तावों का समर्थन किया था, इसकी वर्तमान में क्या स्थिति है? इस पर चेल्सी ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख ने पेटेंट छूट पर एक समझौते के लिए दिसंबर की शुरुआत की समय सीमा निर्धारित की थी।
मुझे चिंता इस बात की है कि इस दिशा में हम किंतु-परंतु नहीं कर सकते। यही कारण है कि मैं और मेरे जैसे कई और संगठन गरीब देशों के साथ कोविड-19 वैक्सीन की तकनीकी जानकारी को साझा करने के लिए के लिए दबाव बना रहे हैं। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर जगह लोगों को टीका लगाया जा सकता है।
चेल्सी कहती हैं कि अभी जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल पेटेंट में छूट का कड़ा विरोध करती दिख रही हैं, लेकिन अगर वह अभी भी चाहती हैं कि जर्मनी दुनिया को टीका लगाने में मदद करे तो वह जर्मन बायोटेक फर्म को अपने पेटेंट और वैक्सीन तकनीक का लाइसेंस देने के लिए मजबूर कर सकती हैं।
हालांकि एक अमेरिकी के रूप में मुझे उम्मीद है कि मेरा देश वही करेगा जो वैश्विक अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होगा। जब चेल्सी पूछा गया कि क्या वे अमेरिका में टीके की कमी के बारे में चिंतित हैं? वह कहती हैं कि बहुत अधिक। मैं और हमारा क्लिंटन फाउंडेशन स्कूलों, सामुदायिक संगठनों और विश्वभर के कई नेताओं के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को टीकों के बारे में सही जानकारी हो और लोग टीका लगवाने में सक्षम हों सकें।