असम में पाई जाने वाली ‘कैंडी लीफ’ में प्राकृतिक मिठास के साथ होते हैं औषधीय गुण

कैंडी लीफ का उपयोग डायबिटीज, टाइप 1, टाइप 2, ऑटोइम्यून बीमारी - रुमेटॉइड गठिया, क्रोनिक किडनी रोग और उच्च रक्तचाप जैसे हृदय संबंधी रोग और कई तरह के अन्य रोगों के उपचार में हो सकता है।
कैंडी लीफ से मीठा पौधों की एक प्राकृतिक चयनात्मक प्रजनन प्रक्रिया द्वारा हासिल की जाती है। पौधों से निकाला गया रस चीनी से 300 गुना अधिक मीठा होता है।
कैंडी लीफ से मीठा पौधों की एक प्राकृतिक चयनात्मक प्रजनन प्रक्रिया द्वारा हासिल की जाती है। पौधों से निकाला गया रस चीनी से 300 गुना अधिक मीठा होता है।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, मोक्की
Published on

कैंडी लीफ या मीठी तुलसी एक पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम स्टीविया रेबाउडियाना बर्टोनी है। यह अपने प्राकृतिक लेकिन बहुत कम कैलोरी वाले मीठे के लिए जाना जाता है। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि इसमें एंडोक्राइन, मेटाबॉलिक, प्रतिरक्षा और हृदय संबंधी बीमारियों के उपचार करने के गुण हैं, क्योंकि यह सेलुलर सिग्नलिंग प्रणाली पर असर डालता है। इसे आम भाषा में मीठा पत्ता, शुगर लीफ या मीठी तुलसी भी कहा जाता है।

असम दुनिया भर में स्टीविया का निर्यात करता है। भारत सरकार के पूर्वोत्तर परिषद ने भी इसकी भारी बढ़ती मांग और उपयोग के चलते पूर्वोत्तर राज्यों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए स्टीविया की खेती को बढ़ावा दिया है।

असमी भाषा में इसे मीठा पात भी कहते हैं जो एक अविश्वसनीय रूप से मीठी जड़ी बूटी है। कैंडी लीफ से मीठा मूल पौधों की एक प्राकृतिक चयनात्मक प्रजनन प्रक्रिया द्वारा हासिल की जाती है। पौधों से निकाला गया रस, चीनी से 300 गुना अधिक मीठा होता है।

ताजी पत्तियों में एक बढ़िया मुलेठी जैसा स्वाद होता है। मीठा पात पौधे को इतना खास बनाने वाली बात यह है कि इसका इस्तेमाल चीनी (सुक्रोज) की जगह किया जा सकता है। मीठा पात के कई अलग-अलग उपयोग पहले से ही प्रसिद्ध हैं: टेबल शुगर के रूप में, सॉफ्ट ड्रिंक्स, पेस्ट्री, अचार, तंबाकू उत्पाद, कैंडी, जैम, दही, च्यूइंग गम, शरबत आदि में, मीठा पात की सूखी पत्तियां चीनी से लगभग 40 गुना अधिक मीठी होती हैं।

गुवाहाटी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के शोधकर्ताओं की ने असम के स्टीविया के औषधीय गुणों को साबित करने के लिए इसके सेलुलर सिग्नलिंग तंत्र पर शोध किया।

शोधकर्ताओं ने इन विट्रो और इन विवो तकनीकों के साथ नेटवर्क फार्माकोलॉजी को एक साथ जोड़ कर दिखाया कि पौधे ने एक महत्वपूर्ण सेलुलर सिग्नलिंग मार्ग को रोकने के लिए प्रोटीन किनेज सी (पीकेसी) के फॉस्फोराइलेशन का उपयोग किया। पीकेसी सूजन, ऑटोइम्यून, एंडोक्राइन और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से जुड़ा हुआ है। स्टीविया पीकेसी फॉस्फोराइलेशन को कम करता है, जो सूजन पैदा करने वाली प्रक्रिया को बदल देता है। यह अंतःस्रावी चयापचय और कार्डियोवैस्कुलर या दिल की बीमारी का एक बड़ा कारण है।

अध्ययन में पहली बार इस क्षेत्र में स्टीविया की औषधि युक्त संभावनाओं का पता लगाया गया है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि सक्रिय स्टीविया अणु एमपीके के साथ तीव्र परस्पर क्रिया करते हैं। फ़ूड बायोसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में स्टेविया की औषधीय क्षमताओं को सामने लाया गया है।

प्रतिरक्षात्मक अंतःस्रावी और हृदय संबंधी समस्याओं के लिए नए तरीकों की पहचान की है। इसका मधुमेह, टाइप 1, टाइप 2, ऑटोइम्यून मधुमेह, प्री-डायबिटीज, लंबे समय तक सूजन से संबंधित ऑटोइम्यून बीमारी - रुमेटॉइड गठिया, क्रोनिक किडनी रोग और उच्च रक्तचाप जैसे हृदय संबंधी रोग, वैस्कुलोपैथी और इसी तरह के अन्य रोगों के उपचार में उपयोग किया जा सकता है।

यह शोध अध्ययन स्टीविया के उन औषधीय पहलुओं को सामने लाता है, जिसके बारे में पहले कभी जानकारी नहीं थी।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in