भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आम नमक के साथ उसका विकल्प का सेवन, उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीजों में रक्तचाप को कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह जानकारी हाल ही में द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ द्वारा एक किए एक नए अध्ययन में सामने आई है जोकि अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं के अनुसार यदि स्वाद में बदलाव किए बिना सामान्य नमक में सोडियम के एक बहुत छोटे हिस्से को पोटेशियम से बदल दिया जाए तो वो हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में रक्तचाप को कम करने में कारगर सिद्ध होगा। उनके अनुसार यह न केवल ग्रामीण भारत में रक्तचाप को नियंत्रित करने का एक प्रभावी तरीका है साथ ही एक सस्ता इलाज भी है। शोधकर्ताओं के अनुसार भारत में यह ऐसा पहला शोध है जो रक्तचाप को कम करने के लिए नमक में बदलाव का सुझाव देता है।
यदि नमक की बात करें तो कहा जाता है कि जरुरत के मुताबिक यह फायदेमंद होता है। पर यदि उसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो वो उच्च रक्तचाप की वजह बनता है, जिसके कारण ह्रदय सम्बन्धी रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
ज्यादातर वयस्क 2 ग्राम प्रतिदिन से ज्यादा करते हैं सोडियम का सेवन
यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानक को देखें तो उसके अनुसार प्रति व्यस्क लगभग 5 ग्राम प्रति दिन से कम नमक खाना चाहिए जबकि सोडियम की मात्रा 2 ग्राम प्रतिदिन से कम होनी चाहिए। वैश्विक स्तर पर देखें तो लगभग ज्यादातर व्यस्क तय मानकों से ज्यादा नमक का सेवन करते हैं यह बात ग्रामीण भारत पर भी लागु होती है। जहां लोग तय मानकों से लगभग दोगुने नमक का सेवन करते हैं।
इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता जिया यू ने बताया कि भारत में ज्यादातर नमक घर के बने खाने के जरिए लोगों को मिलता है। इसके बावजूद अब तक इस बार पर कोई जांच नहीं की गई कि क्या सोडियम युक्त नमक में बदलाव करके उच्च रक्तचाप की समस्या को हल किया जा सकता है। उनके अनुसार भारत में यह ऐसा पहला शोध है जो रक्तचाप को कम करने के लिए नमक में बदलाव का सुझाव देता है।
यह शोध भारत में तेलंगाना के सिद्दीपेट क्षेत्र में किया गया था। जिसमें उच्च रक्तचाप से ग्रस्त 7 गांवों के 502 लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया गया था। जहां जिन लोगों को सोडियम क्लोराइड के साथ पोटेशियम क्लोराइड युक्त नमक दिया गया था उनमें उच्च रक्तचाप में कमी दर्ज की गई थी।
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता सुधीर राज थाउट ने बताया कि, 3 महीने की अवधि में जिन लोगों के नमक में सोडियम के साथ पोटेशियम भी दिया गया था उनके सिस्टोलिक रक्तचाप में लगभग 4.6 यूनिट की कमी दर्ज की गई थी। जो लगभग उतनी ही है जितनी दवाओं को लेने पर होती है।
जिन लोगों ने रोजाना पोटेशियम युक्त नमक का सेवन किया था उन्होंने बताया कि उन्हें नमक के स्वाद में कोई अंतर पता नहीं चला था, वो सोडियम युक्त नमक जैसा ही था। ऐसे में यह शोध ग्रामीण भारत में उच्च रक्तचाप की समस्या से निपटने के लिए सोडियम के साथ पोटेशियम युक्त नमक भी लेने की सलाह देता है।