हाल ही में किए एक अंतराष्ट्रीय शोध से पता चला है कि ब्राजील लिनिएज (पी.1) वायरस स्ट्रेन दूसरे वेरिएंट से कहीं ज्यादा तेजी से फैल सकता है। सार्स-कोव-2 का यह वैरिएंट पी.1 पहली बार ब्राजील के अमेजन राज्य की राजधानी मनौस में देखा गया था। शोध के मुताबिक यह पहले मिले स्ट्रेन की तुलना में दोगुना तेजी से फैल सकता है। इससे जुड़ा शोध जर्नल साइंस में प्रकाशित हुआ है।
यह स्ट्रेन पिछले साल के अंत में पैदा और नवंबर में फैलना शुरू हुआ था। दूसरे स्ट्रेन की तुलना में यह जल्दी ही फैल गया था। देश में कई लोगों का मानना है कि यह उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, जो पहले ही प्रारंभिक स्ट्रेन से संक्रमित हुए थे। संक्रमण की प्रारंभिक अवधि के दौरान शहर में लगभग 70 फीसदी लोग इससे संक्रमित हो गए थे। मनौस में फैलने के बाद यह वैरिएंट जल्द ही पूरे ब्राजील में फैल गया था। इसके बाद यह अन्य देशों में फैलना शुरू हुआ, आज यह 37 देशों में फैल चुका है।
मॉलिक्यूलर क्लॉक विश्लेषण के माध्यम से शोधकर्ताओं ने निर्धारित किया है कि वायरस में 17 पहचाने जाने योग्य म्यूटेशन थे। इनमें से तीन स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन एन501वाई, इ484के और के417टी विशेष रूप से चिंताजनक थे क्योंकि ये वायरस मानव कोशिकाओं से जुड़ सकने की अनुमति देते थे और कुछ मामलों में यह एंटीबॉडी से बचने में भी सहायता करते थे।
2.4 गुना तेजी से फैल सकता है यह स्ट्रेन
साथ ही इसमें यह भी जानने का प्रयास किया है कि म्युटेशन के बाद इस वायरस की क्षमता कैसे बदल गई है। सिमुलेशन से पता चला है कि यह संस्करण पिछले उपभेदों की तुलना में 1.7 से 2.4 गुना तेजी से फैल सकता है। हालांकि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि क्षमता में हुई इस वृद्धि से वायरस ज्यादा समय तक शरीर में रह सकता है। साथ ही इसी से वायरस में वृद्धि हुई है। इसके अलावा यह भी स्पष्ट नहीं हुआ था कि यह नया संस्करण लोगों को बीमार कर सकता है या कहीं अधिक घातक है। उनका अनुमान था कि मनौस में संक्रमित लोगों के मरने की सम्भावना पिछले स्ट्रेन की तुलना में 1.2 से 1.9 गुना ज्यादा थी। हालांकि यह स्पष्ट नहीं था कि यह म्युटेशन की वजह से हुआ था या इसके लिए शहर की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली जिम्मेवार थी, जिसपर दबाव बढ़ गया था।
शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि इस पर अभी और शोध करने की जरुरत है कि क्या पी1 स्ट्रेन वास्तव में उन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम है जो पहले ही दूसरे स्ट्रेन से संक्रमित हो चुके हैं या फिर जिन्हें वैक्सीन दी जा चुकी है।
हाल ही में भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) द्वारा भारत में कोविड-19 के नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला था कि भारत में कोरोना वायरस के 771 चिंताजनक और एक नए तरह का वैरिएंट भी मौजूद है। इस जीनोम सीक्वेंसिंग में ब्रिटेन के वायरस बी.1.1.7 के 736 पॉजिटिव नमूने, दक्षिण अफ्रीकी वायरस लिनिएज (बी.1.351) के 34 पॉजिटिव नमूने और ब्राजील लिनिएज (पी.1) वायरस का एक नया मामला सामने आया था।