महज सवा महीने बाद बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में बच्चों के लिए जानलेवा चमकी बुखार का मौसम शुरू होने वाला है। मगर इस बीच खबर आयी है कि मुजफ्फरपुर जिले के जिन सर्वाधिक प्रभावित छह प्रखंडों में जेई(जापानी बुखार) के शत-प्रतिशत टीकाकरण का दावा किया गया था, वह गलत साबित हुआ है। राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार की जांच में पाया गया कि छह प्रखंडों में दस से 50 फीसदी तक बच्चे अभी भी जेई के टीकाकरण से वंचित हैं। मुजफ्फरपुर के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने झूठी रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी थी।
पिछले साल मुजफ्फरपुर के इन इलाकों में चमकी बुखार से सवा सौ से अधिक बच्चों की मौत हो गयी थी। इस बार सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि वे जागरूकता, टीकाकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के जरिये इस रोग पर काबू करने का प्रयास कर रहे हैं।
यही वजह है कि इस साल तीन फरवरी से मुजफ्फरपुर में जेई के विशेष टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गयी थी। इसके तहत जिले के शून्य से 15 वर्ष के सभी बच्चों को यह टीका लगाया जाना था। नियत अवधि के बाद जिला प्रतिरक्षा पदाधिकारी ने राज्य मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी कि जिले में जेई का शत-प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है।
मगर जब राज्य स्वास्थ्य समिति के पांच अधिकारियों की टीम ने जिले के छह प्रखंडों में जेई टीकाकरण की जांच की तो यह दावा गलत पाया गया। जांच में पता चला कि कांटी प्रखंड के 20 फीसदी बच्चे, मीनापुर के 24 फीसदी बच्चे, मोतीपुर के 34 फीसदी बच्चे, बोचहां के 15, सरैया के 10 और शुभंकरपुर प्रखंड के 50 फीसदी बच्चे टीकाकरण से अभी भी वंचित हैं। इन प्रखंडों के हर गांव में जांच नहीं किया गया, कुछ चुनिंदा गांवों में जांच के दौरान ही यह जानकारी सामने आयी।
इससे पहले भी सेंटर फॉर रिसर्च एंड डायलॉग संस्था के सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी थी कि पिछले साल जिन बच्चों को चमकी बुखार हुआ था, उनमें से 58.1 फीसदी बच्चों को जेई का टीका नहीं लगा है। अब यह जानकारी सामने आने के बाद राज्य सरकार के उस दावे पर भी सवालिया निशान लग रहा है, जिसके तहत उन्होंने कहा था कि इस साल चमकी बुखार को लेकर कोई चूक होने नहीं देंगे।
यह जानकारी सामने आने पर मुजफ्फरपुर के जिला प्रतिरक्षा पदाधिकारी डॉ आरपी सिंह कह रहे हैं कि चूंकि प्रखंडों से मिली रिपोर्ट को सीधे मुख्यालय भेज दिया गया, इसलिए यह चूक हो गयी। इन इलाकों में दुबारा टीकाकरण कराया जायेगा और उसके बाद डब्लूएचओ या यूनिसेफ की टीम से पूरे जिले में टीकाकरण की जांच करायी जायेगी।