शोध में यह भी पाया गया कि फरवरी के शुरुआत में चीन के बाहर कई देशों में कोरोना मरीज मिल रहे थे लेकिन उन्हें महामारी के लिंक का कोई ज्ञान नहीं था। वहीं, बहुत कम लोगों की जांच हो रही थी। उसके कई कारण थे, मसलन बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले संक्रमण, केस की परिभाषा, जैसे कई फैक्टर थे जो लोगों के संक्रमण को पकड़ नहीं पाए। जब तक एक गंभीर स्थिति के मरीज का परीक्षण नहीं हो जाता था तब तक उस क्लस्टर का पता नहीं लगाया जा सका था कि वहां कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। ऐसा ही इटली में देखने को मिला, जब 21 फरवरी को पहला गंभीर मरीज वहां मिला और देखते ही देखते कुछ ही दिन में वहां बिना जांचे गए कई लोगों में लक्षण सामने आ गए। न सिर्फ कुछ जांच रिपोर्ट गलत आईं बल्कि कुछ समय ढ़लने के बाद सूचनाएं भी कमजोर और गुणवत्ताहीन होने लगी जिसने संक्रमण विस्तार को समझने में दिक्कत पैदा की।