युवाओं में कोरोना के अधिक खतरे के पीछे वायु प्रदूषण: अध्ययन

अध्ययन के परिणाम कोरोना के पॉजिटिव परीक्षण से दो दिन पहले और एक दिन पहले ब्लैक कार्बन के संपर्क में आने से संक्रमण के खतरे और पीएम 10 और पीएम 2.5 के संपर्क के बीच संबंध दिखाते हैं।
युवाओं में कोरोना के अधिक खतरे के पीछे वायु प्रदूषण: अध्ययन
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स्वीडन के स्टॉकहोम में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक वायु प्रदूषण से सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यह अध्ययन करोलिंस्का इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा युवाओं पर प्रदूषण से बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर किया गया। 

चूंकि बाहर की हवा प्रदूषक इन्फ्लूएंजा और सार्स जैसे श्वसन संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। इसलिए कोविड-19 महामारी को लेकर आशंका जताई गई कि सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के खतरे के लिए जिम्मेवार है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि खराब वायु गुणवत्ता वाले क्षेत्रों में कोविड-19 के अधिक मामले पाए गए।

कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने अब घर के पते पर वायु प्रदूषकों के अनुमानित खतरों का पता लगाया  है। इसके लिए उन्होंने स्वीडन के स्टॉकहोम में युवाओं में सार्स-सीओवी-2 के पॉजिटिव पीसीआर परीक्षणों के बीच के संबंध की जांच करके इसका अधिक बारीकी से अध्ययन किया है।

परिणाम बताते हैं कि कुछ यातायात से संबंधित वायु प्रदूषकों के संपर्क में परीक्षण के पॉजिटिव आने की अधिक आशंका से जुड़ा हुआ है।

प्रोफेसर ओलेना ग्रुजिवा ने कहा कि हमारे परिणामों से पता चलता है कि बढ़ते शरीर पर वायु प्रदूषण का कोविड-19 के संक्रमण में अधिक भूमिका है। वायु गुणवत्ता में सुधार करने से संक्रमण पर रोक लगाई जा सकती है। ग्रुजिवा, करोलिंस्का इंस्टिट्यूट में पर्यावरण चिकित्सा संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययनकर्ता हैं।

अध्ययन जनसंख्या-आधारित बीएमएसी परियोजना पर आधारित है, जिसने जन्म से स्टॉकहोम में 4,000 से अधिक प्रतिभागियों का नियमित रूप से अनुसरण किया है। इन आंकड़ों को राष्ट्रीय संचारी रोग रजिस्ट्री (समिनेट) से जोड़कर, शोधकर्ताओं ने 425 लोगों की पहचान की, जिन्होंने मई 2020 और मार्च 2021 के अंत के बीच सार्स-सीओवी-2 की पीसीआर परीक्षण में पॉजिटिव पाए गए थे। प्रतिभागियों की औसत आयु 26 साल थी इनमें से 54 प्रतिशत महिलाएं थीं।

प्रतिभागियों के घर के पते पर विभिन्न वायु प्रदूषकों की दैनिक बाहरी सांद्रता का अनुमान फैलाव मॉडल का उपयोग करके किया गया था। प्रदूषक कण जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर (पीएम10) और 2.5 माइक्रोमीटर (पीएम2.5), ब्लैक कार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड से कम था।

शोधकर्ताओं ने पॉजिटिव पीसीआर परीक्षण से पहले के दिनों में, परीक्षण के दिन और बाद के नियंत्रण के दिनों में संक्रमण और वायु प्रदूषकों के संपर्क के बीच संबंधों का अध्ययन किया। प्रत्येक प्रतिभागी ने इन विभिन्न अवसरों पर अपने स्वयं के नियंत्रण के रूप में कार्य किया।

परिणाम पॉजिटिव परीक्षण से दो दिन पहले और एक दिन पहले ब्लैक कार्बन के संपर्क में आने से संक्रमण के खतरे और पीएम10 और पीएम2.5 के संपर्क के बीच संबंध दिखाते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि उन्हें संक्रमण के जोखिम और नाइट्रोजन ऑक्साइड के बीच कोई संबंध नहीं मिला।

खतरों में वृद्धि लगभग 7 प्रतिशत प्रति कण के सम्पर्क में आने के वृद्धि के बराबर थी, जो कि समूहों की सीमा के बराबर थी, यानी पहले समूह में 25 फीसदी और तीसरे समूह में 75 फीसदी अनुमानित कण सांद्रता के बीच था। यहां पर देखा गया लिंग, धूम्रपान, अधिक वजन या अस्थमा से प्रभावित नहीं था।

शोधकर्ताओं ने गौर किया कि परिणाम पीसीआर परीक्षण करवाने की इच्छा और इस तथ्य से प्रभावित हो सकते हैं कि कई युवा लक्षण विहीन थे या संक्रमण के बाद उनमें केवल हल्के लक्षण थे। उन्होंने कहा अध्ययन इस संभावना से भी इंकार नहीं कर सकता है कि समय-भिन्न भ्रमित करने वाले कारकों ने भी परिणामों को प्रभावित किया। शोधकर्ता अब युवा वयस्कों में वायु प्रदूषकों और कोविड होने के बाद के लक्षणों के बीच संबंध की जांच कर रहे हैं। यह अध्ययन जामा नेटवर्क ओपन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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