twitter: @GautengProvince
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ओमिक्रॉन मरीजों पर किए गए पहले अध्ययन में सामने आई 'सुखद' तस्वीर

दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग प्रांत के तशवाने जिले में 21 से 27 नवंबर के दौरान भर्ती ओमिक्रॉन के पहले मरीजों पर अध्ययन सामने आया
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कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट का पहली बार दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग प्रांत के तशवाने जिले में 21 से 27 नवंबर के दौरान पता चला था। अब, एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने पहले पहल भर्ती कुछ रोगियों की एक विस्तृत प्रोफ़ाइल तैयार की है। और जो तस्वीर सामने आ रही है वह उत्साहजनक है।

दक्षिण अफ्रीका मेडिकल रिसर्च सेंटर में एड्स और टीबी अनुसंधान कार्यालय के निदेशक फरीद अब्दुल्ला ने प्रिटोरिया के स्टीव बीको / तशवणे जिला अस्पताल परिसर में मरीजों का अध्ययन किया।

उनका यह अध्ययन बताता है कि कोविड-19 की पिछली लहरों के मुकाबले इस नई लहर में जो मरीज भर्ती हो रहे हैं, उनमें से बहुत कम को विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत पड़ रही है। मृत्यु दर भी कम है। साथ ही, अस्पताल में भर्ती रहने के समय में भी कमी आई है।

उन्होंने पाया कि 14 से 29 नवंबर के बीच, 166 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनमें से 2 दिसंबर तक, कोविड-19 वार्ड में 42 लोगों में से 29 (70 प्रतिशत) को किसी भी प्रकार के ऑक्सीजन की जरूरत नहीं थी।

ये 'आकस्मिक' कोविड-19 मामले थे, जिसका अर्थ है कि उनके भर्ती होने का कारण यह नहीं था कि वे वायरस से संक्रमित थे, बल्कि इसलिए कि उन्होंने अस्पताल के प्रोटोकॉल के तहत टेस्ट कराया, जो पॉजिटिव आया।

जिन 23 लोगों को ऑक्सीजन दी जा रही थी, उनमें से 13 रोगियों को सप्लीमेंटरी ऑक्सीजन दिया जा रहा था, इनमें से नौ मरीजों में कोविड-19 नमोनिया के लक्षण थे। जबकि शेष मरीज कोविड-19 के अलावा अन्य कारणों से ऑक्सीजन पर थे।

यही ट्रेंड दूसरे अस्पतालों में भी देखने को मिला। जोहान्सबर्ग के हेलेन जोसेफ अस्पताल में 37 में से 31 रोगियों को 3 दिसंबर को किसी ऑक्सीजन सहायता की आवश्यकता नहीं थी।

प्रिटोरिया के उत्तर में डॉ जॉर्ज मुखरी एकेडमिक अस्पताल में 80 में से केवल 14 मरीज सप्लीमेंटरी ऑक्सीजन पर थे और एक वेंटिलेटर पर था।

स्टीव बीको एकेडमिक अस्पताल में अंशकालिक एचआईवी चिकित्सक अब्दुल्ला ने कहा, " अब तक जो तस्वीर सामने आई है, उसके मुताबिक वर्तमान में जो कोविड-19 के जो मरीज भर्ती हो रहे हैं, उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत कम पड़ रही है और वे जल्द ही ठीक होने की स्थिति में हैं। जबकि पिछली लहरों के दौरान ऐसे मरीजों की संख्या अधिक थी, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी"।

इसके अलावा, केवल चार मरीजों की देखभाल विशेषज्ञ कर रहे थे और एक आईसीयू में था, जो पिछली लहरों में देखी गई तुलना में काफी गिरावट थी। कोविड ​​​​-19 वार्ड में 38 वयस्कों में से 24 का टीकाकरण नहीं हुआ था, छह को टीका लगाया गया था, जबकि बाकी के बारे में जानकारी नहीं थी।

कोविड-19 निमोनिया से पीड़ित नौ लोगों में से आठ का टीकाकरण नहीं हुआ था और एक को पूरी तरह से टीका लगाया गया था। हालांकि, "ऑक्सीजन का कारण क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज था।"

इस बार, कम उम्र के लोग अधिक संक्रमित हुए हैं, जिसमें पिछले दो सप्ताह में भर्ती होने वालों में से कम से कम 80 प्रतिशत 50 वर्ष से कम आयु के हैं। इनमें 30 से 39 वर्ष की आयु के 28 प्रतिशत, और 0-9 वर्ष की आयु के 19 प्रतिशत शामिल हैं7

अब्दुल्ला ने तर्क दिया कि इसका एक कारण टीकाकरण कवरेज हो सकता है, जो 50 से ऊपर के लोगों के लिए 57 प्रतिशत और 18 से 49 वर्ष की आयु के लोगों के लिए 34 प्रतिशत है।

पिछले दो हफ्तों में अस्पताल में भर्ती 166 लोगों में से 10 की मौत हो गई। इनमें से चार लोगों की उम्र 26 से 36 वर्ष के बीच थी, जबकि पांच की उम्र 60 से अधिक थी, जबकि एक बच्चा था, जिसकी मृत्यु का कारण कोविड-19 नहीं था। अस्पताल में मृत्यु दर 6.6 प्रतिशत है, जो पिछली सभी लहरों के (23 प्रतिशत) से काफी कम है।

अब्दुल्ला ने लिखा, “ वर्तमान मृत्यु दर पिछले 18 महीनों में अस्पताल परिसर में होने वाली मौतों के अनुपात के अनुकूल है, जो कि 17 प्रतिशत थी। हालांकि इस बारे में अगले दो हफ्तों में ही स्पष्ट हो पाएगा। क्योंकि अभी बीमारी की गंभीरता पूरी तरह विकसित नहीं हो पाई है। ऐसे में हो सकता है कि मृत्यु दर में वृद्धि हो"।

पिछले दो हफ्तों में भर्ती किए गए कोविड-19 रोगियों के लिए अस्पताल में रहने की औसत अवधि पिछले 18 महीनों के 8.5 दिनों से घटकर 2.8 दिनों तक रह गई है।

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