महाराष्ट्र में मिले जीका वायरस के 8 मामले, हरकत में आई केंद्र सरकार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए परामर्श जारी कर जीका वायरस से संबंधित एहतियात बरतने को कहा है
जीका संक्रमित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव आ जाता है। फाइल फोटो: सीएसई
जीका संक्रमित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव आ जाता है। फाइल फोटो: सीएसई

महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामले सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय हरकत में आ गया है। मंत्रालय की ओर से राज्यों को एक परामर्श जारी किया गया है, जिसमें कुछ आवश्यक हिदायतें दी गई हैं।

2 जुलाई 2024 तक महाराष्ट्र में जीका वायरस के 8 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें पुणे में 6, कोल्हापुर में 1 और संगमनेर 1 मामले दर्ज किए गए हैं।

प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो द्वारा 3 जुलाई 2024 को जारी विज्ञप्ति में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल के हवाले से कहा गया है कि महाराष्ट्र में सामने आए मामले को देखते हुए देश में जीका वायरस की स्थिति पर निरंतर सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है।

चूंकि जीका संक्रमित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव आ जाता है, इसलिए राज्यों को सलाह दी गई है कि वे चिकित्सकों को कड़ी निगरानी के लिए सचेत करें। राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे संक्रमित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं या प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले मामलों की देखभाल करने वाले लोगों को निर्देश दें कि वे गर्भवती महिलाओं की जीका वायरस संक्रमण के लिए जांच करें और जीका से संक्रमित पाई गईं गर्भवती माताओं के भ्रूण के विकास की निगरानी करें और केंद्र सरकार के दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करें।

राज्यों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे स्वास्थ्य सुविधाओं/अस्पतालों को एक नोडल अधिकारी की पहचान करने की सलाह दें जो अस्पताल परिसर को एडीज मच्छर से मुक्त रखने के लिए निगरानी और कार्य करें।

विज्ञप्ति के मुताबिक राज्यों को कीट विज्ञान निगरानी को मजबूत करने और आवासीय क्षेत्रों, कार्यस्थलों, स्कूलों, निर्माण स्थलों, संस्थानों और स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में वेक्टर नियंत्रण गतिविधियों को तेज करने का निर्देश दिया गया है।

साथ ही यह भी कहा गया है कि लोगों के बीच किसी भी तरह के भ्रम या घबराहट को कम करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर एहतियात संबंधी संदेश दिए जाएं।

लोगों को बताया जाए कि जीका किसी भी अन्य वायरल संक्रमण की तरह ही है जिसके अधिकांश मामले लक्षणहीन और हल्के होते हैं। हालांकि, इसे माइक्रोसेफली से जुड़ा मामला बताया जाता है, लेकिन 2016 के बाद से देश में जीका से जुड़े माइक्रोसेफली की कोई रिपोर्ट नहीं आई है।

केंद्र ने राज्यों से यह भी आग्रह किया है कि वे पहचान में आए जीका के किसी भी मामले के बारे में तुरंत एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) को बताएं।

प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे; राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), दिल्ली और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की कुछ चुनिंदा वायरस अनुसंधान और ​​प्रयोगशालाओं में जीका परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है।

बताया गया है कि डीजीएचएस ने इस साल की शुरुआत में 26 अप्रैल को एक एडवाइजरी भी जारी की थी। एनसीवीबीडीसी के निदेशक ने भी फरवरी और अप्रैल, 2024 में दो एडवाइजरी जारी की हैं ताकि राज्यों को एक ही वेक्टर मच्छर से फैलने वाली जीका, डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी के बारे में पहले से चेतावनी दी जा सके।

यहां उल्लेखनीय है कि डेंगू और चिकनगुनिया की तरह जीका भी एडीज मच्छर जनित वायरल बीमारी है। यह एक गैर-घातक बीमारी है। हालांकि, जीका संक्रमित गर्भवती महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में माइक्रोसेफली (सिर का आकार कम होना) से जुड़ा है, जो इसे एक बड़ी चिंता का विषय बनाता है।

भारत में 2016 में गुजरात राज्य में जीका का पहला मामला सामने आया था। तब से, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक जैसे कई अन्य राज्यों में भी बाद में जीका मामले दर्ज किए हैं।

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