इस गांव में कैंसर से दो साल में 50 मौतें, क्या है वजह?

बिहार में कोसी नदी के किनारे बसे इस गांव को पिछले दो साल से कैंसर ने अपनी चपेट में ले रखा है
बिहार के सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड का गांव सहरबा, जहां लोग कैंसर के शिकार हैं। फोटो: पुष्यमित्र
बिहार के सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड का गांव सहरबा, जहां लोग कैंसर के शिकार हैं। फोटो: पुष्यमित्र
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बिहार में कोसी नदी के किनारे बसे इस गांव को पिछले दो साल से कैंसर ने अपनी चपेट में ले रखा है। 50 से अधिक लोगों की इस अवधि में मौत हो चुकी है। पिछले दिनों पटना के आइजीआइएमएस अस्पताल की टीम को वहां एक ही दिन में 35 कैंसर के रोगी मिल गए। इनमें मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर से लेकर दिमागी कैंसर, फेफड़े का कैंसर और कैंसर के कई अलग-अलग प्रकार के मरीज हैं। मगर यह जानलेवा रोग क्यों इस गांव के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा, इसकी वजह का पता नहीं चल पा रहा है। यहां के पानी की जांच भी हो चुकी है, मगर उसमें आर्सेनिक या कोई अन्य कैंसरकारी तत्व नहीं मिला है।

सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड का यह सहरबा गांव पिछले दो साल से अजीब किस्म की दहशत का सामना कर रहा है। बमुश्किल 500 से 600 परिवार वाले इस छोटे से गांव में 50 से अधिक लोगों की कैंसर की वजह से मौत हो गयी है। गुरुवार को जब यह खबर लिखी जा रही है, तब भी एक मरीज के मौत होने की खबर आयी है। इसके अलावा अभी भी कई घरों में कैंसर के मरीज हैं। फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में जब एक स्थानीय अखबार में इस बारे में खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई तो जिला प्रशासन सक्रिय हुआ। सबसे पहले पीएचइडी विभाग की टीम ने वहां जाकर पानी की जांच की। विभाग ने रिपोर्ट दी कि यहां के पानी में आर्सेनिक, आयरन, नाइट्रेट, सल्फेट, मैग्नीशियम, क्लोराइड समेत टीडीएस भी सामान्य है। बिहार के कई जिलों में आर्सेनिक की वजह से कैंसर फैलने की घटनाओं की वजह से यह जांच करायी गयी थी।

इसके बाद पटना से आइजीआइएमएस अस्पताल की टीम दो मार्च, 2020 को जांच के लिए पहुंची। टीम को एक ही दिन की जांच में 35 लोग कैंसर से पीड़ित मिले। इस दौरान साठ लोगों की जांच हुई थी। हालांकि वे विशेषज्ञ भी न किसी नतीजे पर पहुंच सके, न ही कोई समाधान बता सके। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि पानी और खान-पान की वजह से संभवतः यह रोग हो रहा है। अगर शुरुआती चरण में इसका पता चल जाये तो इसे ठीक किया जा सकता है।

इस बीच पड़ोस के गांव के एक स्थानीय युवक विजय ने बताया कि इस गांव में कैंसर की शुरुआत दो लोगों द्वारा एक स्थानीय दवा दुकान से दांत उखड़वाने के बाद हुई है। दोनों की दांत उखड़वाने के बाद मौत हो गयी। गांव में पुरुषों में माउथ कैंसर के मामले भी खूब मिले हैं। हालांकि इसके अलावा दूसरे कैंसर के मामले भी मिल रहे हैं।

सहरसा के एक स्थानीय समाजसेवी प्रवीण आनंद इस मामले को लेकर काफी सक्रिय हैं। वे लगातार सरकार और स्थानीय प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं और कैंसर के महंगे इलाज में फंसे लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। वे कहते हैं कि आइजीआइएमएस की टीम आने के बाद लगा था कि स्थिति बदलेगी, इन पीड़ित लोगों को राहत मिलेगी। मगर उस कैंप के बाद न सरकार ने कुछ किया है, न प्रशासन ने। टीम ने सिर्फ मरीजों को आईजीआईएमएस रेफर कर दिया है। यहां के गरीब मरीज वहां जाने में खुद को सक्षम नहीं पा रहे।

इस मामले में जब सहरसा के जिलाधिकारी कौशल कुमार से बात की गयी तो उन्होंने कहा, यह तो बहुत पुराना मामला हो गया है। आइजीआइएमएस की टीम जांच कर गयी है, टीम ने जो निर्देश हमें दिये, हम उसके हिसाब से काम कर रहे हैं। यह पूछने पर कि आइजीआइएमएस ने क्या निर्देश दिये, तो उन्होंने कहा कि इस बारे में सिविल सर्जन से बात करना होगा, या फाइल देखना होगा।

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