साल 2022 में अपने पांचवें जन्मदिन से पहले ही मौत के मुंह में समा गए 49 लाख बच्चे

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार पांचवें जन्मदिन से पहले मरने वाले बच्चों की संख्या घट रही है
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, डीएफआईडी
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, डीएफआईडी
Published on

संयुक्त राष्ट्र इंटर-एजेंसी ग्रुप फॉर चाइल्ड मोर्टेलिटी एस्टीमेशन (यूएन आईजीएमई) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में अपने पांचवें जन्मदिन से पहले मरने वाले बच्चों की संख्या ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, जो 2022 में घटकर 49 लाख हो गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आंकड़ों के पीछे दाइयों और कुशल स्वास्थ्य कर्मियों का योगदान हैं। जो माताओं को उनके नवजात शिशुओं को सुरक्षित रूप से जन्म देने में मदद करती हैं, स्वास्थ्य कार्यकर्ता टीकाकरण करते हैं और बच्चों को घातक बीमारियों से बचाते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता जो परिवारों को बच्चों के लिए सही स्वास्थ्य और पोषण सहायता सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाते हैं।

रिपोर्ट के हवाले से यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने कहा, लोगों, समुदायों और देशों द्वारा बच्चों तक कम लागत, गुणवत्ता और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की दशकों के संकल्प के पीछे जीवन बचाने के लिए जानकारी और ज्ञान अहम उपकरण हैं।

रिपोर्ट से पता चलता है कि पहले की अपेक्षा आज कहीं अधिक बच्चे जीवित रह रहे हैं, 2000 के बाद से वैश्विक स्तर पर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 51 प्रतिशत की गिरावट आई है। कई कम और निम्न-मध्यम आय वाले देशों ने इस गिरावट को पीछे छोड़ दिया है, जिससे पता चलता है कि प्रगति तब संभव है जब बाल स्वास्थ्य और कल्याण सहित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए संसाधन पर्याप्त रूप से आवंटित किए जाएं।

निष्कर्ष बताते हैं कि कंबोडिया, मलावी, मंगोलिया और रवांडा में 2000 के बाद से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 75 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है।

निम्न और मध्यम आय वाले देश - अंगोला, भूटान, बोलीविया, भारत, ईरान, मोरक्को, निकारागुआ, सेनेगल और तंजानिया ने 2000 के बाद से अपने पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को दो तिहाई से ज्यादा कम कर दिया है।

लेकिन रिपोर्ट के निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि इस प्रगति के बावजूद, रोकी जा सकने वाली सभी बच्चों और युवाओं की मौतों से निजात पाने के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। पांच वर्ष की आयु से पहले 49 लाख लोगों की जान जाने के अलावा जिनमें से लगभग आधे नवजात शिशु थे पांच से 24 वर्ष की आयु के अन्य 21 लाख बच्चों और युवाओं का जीवन भी कम हो गया। इनमें से अधिकतर मौतें उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में हो रही थीं।

जीवन का यह दुखद नुकसान मुख्य रूप से रोके जाने योग्य या उपचार योग्य कारणों से होती है, जैसे समय से पहले जन्म, जन्म के समय जटिलताएं, निमोनिया, दस्त और मलेरिया आदि। अच्छी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तक बेहतर पहुंच के साथ कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी, जिसमें आवश्यक, किफायती हस्तक्षेप, जैसे टीकाकरण, जन्म के समय कुशल स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धता, शुरुआती और निरंतर स्तनपान के लिए सहायता तथा  बचपन में बीमारियों की जांच और उपचार शामिल है।

 रिपोर्ट के हवाले से डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने कहा, हालांकि भारी प्रगति हुई है, फिर भी हर साल लाखों परिवार अभी भी बच्चे को खोने का विनाशकारी दुख झेलते हैं, अक्सर जन्म के बाद पहले ही दिनों में। हर महिला और बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार करना महत्वपूर्ण है, जिसमें आपात स्थिति के दौरान और दूरदराज के क्षेत्र भी शामिल है।

अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार और रोकी जा सकने वाली मौतों से बच्चों के जीवन को बचाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं सहित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए शिक्षा, नौकरियों और अच्छी कामकाजी परिस्थितियों में निवेश की आवश्यकता है।

सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता हर समुदाय में बच्चों और परिवारों तक टीकाकरण, परीक्षण और घातक लेकिन इलाज योग्य बीमारियों के लिए दवा और पोषण सहायता जैसी जीवन रक्षक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में जोड़ा जाना चाहिए और उचित भुगतान किया जाना चाहिए, अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और देखभाल की बहुत अच्छी गुणवत्ता प्रदान करने के साधनों से सुसज्जित होना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समुदाय-आधारित बाल अस्तित्व संबंधी काम जरूरतमंद लोगों तक पहुंच सके तो सबसे अधिक खतरे वाले देशों में बच्चों की मृत्यु में काफी हद तक कमी आ सकती है। बाल स्वास्थ्य और उत्तरजीविता में सुधार के लिए बचपन की बीमारियों का प्रबंधन आवश्यक है।

रिपोर्ट के हवाले से विश्व बैंक के स्वास्थ्य, पोषण और जनसंख्या के वैश्विक निदेशक और महिलाओं, बच्चों और किशोरों के लिए वैश्विक वित्तपोषण सुविधा के निदेशक डॉ. जुआन पाब्लो उरीबे ने कहा, इस साल की रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो दर्शाती है कि अब बहुत कम बच्चे अपने पांचवें जन्मदिन से पहले मरते हैं।

लेकिन यह बिल्कुल पर्याप्त नहीं है। हमें रोकथाम योग्य बाल मृत्यु पर लगाम लगाने और अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता का सम्मान करने के लिए अधिक निवेश, सहयोग और प्रगति में तेजी लाने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है कि सभी बच्चों को समान स्वास्थ्य देखभाल और अवसर उपलब्ध हों, चाहे उनका जन्म कहीं भी हुआ हो।

जबकि दुनिया भर के आंकड़े स्वागत योग्य संकेत देते हैं, वहीं ऐसे भारी खतरे और असमानताएं भी हैं जो दुनिया के कई हिस्सों में बच्चों के अस्तित्व को खतरे में डालती हैं। इन खतरों में बढ़ती असमानता और आर्थिक अस्थिरता, नए और लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष, जलवायु परिवर्तन का तीव्र प्रभाव और कोविड-19 का नतीजा शामिल है, जिससे स्थिरता या यहां तक कि फायदे में उलटफेर हो सकता है और बच्चों के जीवन की लगातार अनावश्यक नुकसान हो सकता  है।

सबसे अमीर घरों की तुलना में सबसे गरीब घरों में पैदा हुए बच्चों की पांच साल की उम्र से पहले मरने की आशंका दोगुनी होती है, जबकि नाजुक या संघर्ष-प्रभावित परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों की अपने पांचवें जन्मदिन से पहले मरने के आसार अन्य जगहों के बच्चों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक होती है।

वहीं, रिपोर्ट के हवाले से संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के अवर महासचिव ली जुनहुआ ने कहा, नए अनुमान बताते हैं कि उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच को और मजबूत करने से, खासकर जन्म के समय के आसपास, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलती है।

हालांकि बाल मृत्यु दर में कमी लाने में की प्रगति को ट्रैक करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, उन्हें हमें यह भी याद दिलाना चाहिए कि दुनिया भर में नवजात शिशुओं, बच्चों और युवाओं के बीच असमानताओं को कम करने और रोकी जा सकने वाली मौतों को रोकने के लिए और प्रयासों और निवेश की आवश्यकता है।

मौजूदा दरों पर, 59 देश एसडीजी के तहत पांच वर्ष से कम आयु के मृत्यु दर लक्ष्य से चूक जाएंगे और 64 देश नवजात शिशु मृत्यु दर लक्ष्य से पीछे रह जाएंगे। इसका मतलब है कि 2030 तक लगभग 3.5 करोड़ बच्चे अपने पांचवें जन्मदिन तक पहुंचने से पहले ही मर जाएंगे, मौत का यह आंकड़ा बड़े पैमाने पर उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिणी एशिया या कम और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में परिवारों द्वारा वहन किया जाएगा।

रिपोर्ट में आंकड़ों में बड़े अंतर का भी उल्लेख किया गया है, विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिणी एशिया में, जहां मृत्यु दर का बोझ अधिक है। बाल अस्तित्व और स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से ट्रैक और मॉनिटर करने के लिए आंकड़े और सांख्यिकीय प्रणालियों में सुधार किया जाना चाहिए, जिसमें घरेलू सर्वेक्षण के माध्यम से मृत्यु दर और स्वास्थ्य पर संकेतक, स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) के माध्यम से जन्म और मृत्यु पंजीकरण और नागरिक पंजीकरण और महत्वपूर्ण सांख्यिकी (सीआरवीएस) शामिल हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in