भोपाल गैसकांड के 467 प्रभावितों की कोविड-19 से मौत, 38 का नाम सूची में नही

गैस पीड़ित संगठनों ने पहले ही अंदेशा जताया था कि गैस पीड़ितों की मृत्यु दर अधिक हो सकती है
भोपाल के एक अस्पताल में कोविड मरीजों से मिलते हुए स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी। फोटो— मप्र जनसंपर्क विभाग
भोपाल के एक अस्पताल में कोविड मरीजों से मिलते हुए स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी। फोटो— मप्र जनसंपर्क विभाग
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जब कोविड19 का कहर टूटा तो यह आशंका जताई गई थी कि पहले से ही अनेक गंभीर बीमारियां झेल रहे भोपाल गैस पीड़ितों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा। भोपाल गैस पीड़ितों के लिए विशेष तौर पर उपलब्ध कराई गई चिकित्सकीय सुविधाओं के कमजोर पड़ते जाने से इस बात का भी डर था कि इससे बहुत सारे लोग मारे जाएंगे। इस बात की पुष्टि भोपाल गैस पीड़ित संगठनों की ओर से की गई पड़ताल में निकलकर आई है।

गैस पीड़ित संगठनों ने प्रदेश के आला अधिकारियों को एक पत्र लिखकर 467 गैस पीड़ितों की मृत्यु के सबूत सौंपे हैं, इनमें 38 गैस पीड़ितों के नाम सीएमओ गैस राहत की सूची में शामिल नहीं पाए गए हैं । गैस पीड़ित संगठनों ने मांग की है कि इन मौतों को आधिकारिक डेटा में शामिल किया जाए।  

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा शहजादी बी और भोपाल ग्रुप फॉर इंफोर्मेशन एंड एक्शन रचना ढिंगरा ने बताया है कि उन्होंने कोविड की पहली लहर शुरू होते वक्त यानी 21 मार्च 2020 ही सरकार को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने यह आशंका जताई थी कि भोपाल गैस पीड़ित आज भी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। कई युवाओं को आनुवांशिक रूप से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, उनके फेफड़े कमजोर हैं। 

संगठनों ने यह मांग की थी कि कोविड टेस्टिंग के लिए फौरी इंतजाम किए जाएं और इलाज की व्यवस्था भी हो। इसलिए जरुरत इस बात की थी कि भोपाल गैस पीड़ितों का मामला प्राथमिकता से रखा जाता, पर ऐसा नहीं हो सका। यही कारण रहा कि कोरोना से होने वाली कई मौतों को सरकारी रिकार्ड में शामिल ही नहीं किया गया।

गैस पीड़ित संगठनों ने सीएमओ आफिस भोपाल गैस राहत से कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान हुई 1225 मौतों की सूची प्राप्त की। इनमें से 1167 मौतों की पड़ताल की घर—घर जाकर पड़ताल की है। 58 मौतों के मामलों को ट्रेस नहीं किया जा सका। इनमें 467 लोग वह पाए गए जिन्हें 1984 में हुए भोपाल गैस कांड में गैस लगी थी। गैस पीड़ित संगठनों ने इसकी एक सूची बनाई है, और उसके सबूत भी जमा किए हैं।

यह सभी सबूत स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मोहम्मद सुलेमान, भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया और गैस राहत के निदेशक बसंत कुर्रे को भेजे गए हैं। रचना ढिंगरा ने बताया कि यह सूची केन्द्रीय प्रशासन को भी भेजेंगे और मांग करेंगे कि इन मौतों को कोविड से हुई मौतों में जोड़ा जाए और इन पीड़ितों को विशेष मुआवजा दिया जाए।

रशीदा बी ने डाउन टू अर्थ को कहा है कि पहले से ही कई तरह की समस्याओं को भोग रहे भोपाल गैस पीड़ितों के लिए कोविड19 एक मुसीबत बनकर सामने आया, इसमें राहत के ​लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा भी की थी, लेकिन अब तक किसी भी गैस पीड़ित मृतक को कोई मुआवजा नहीं मिल पाया है। 

गैस पीड़ित संगठनों ने कहा है कि कोविड19 से मौतों के इन बड़े आंकड़ों को देखकर यह साफतौर पर कहा जा सकता है कि एमआईसी गैस का प्रभाव अब तक है, वह अस्थायी नहीं बल्कि स्थाई है। उन्होंने मांग की है कि यही आंकड़े सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में गैस पीड़ितों के सही मुआवजे के लिए लंबित सुधार याचिका में देना चाहिए ताकि यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल से गैस पीड़ितों को जिंदगी भर की तकलीफ के लिए मुआवजा लिया जा सके। 

उल्लेखनीय है कि भोपाल शहर कोरोना की पहली और दूसरी लहर में खासा प्रभावित रहा है। पहली लहर का असर भोपाल सिटी में अधिक रहा, जो कि ज्यादा गैस प्रभावित है। सरकार के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार भोपाल में कोविड19 के कारण 974 मरीजों की मौत होना दर्ज किया गया है, जबकि प्रदेश में 10518 लोगों की मृत्यु दर्ज है। भोपाल जिले में अब तक कोरोना से 123425 लोग संक्रमित हो चुके हैं।

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