क्या आप जानते हैं कि देश में करीब 40 फीसदी बच्चे जिन्हें विटामिन ए सप्लीमेंट की जरूरत है, वो इससे वंचित हैं। यह जानकारी ओपन एक्सेस जर्नल बीएमजे ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक नए अध्ययन में सामने आई है, जिसमें भारत में इस विटामिन की कमी से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
निष्कर्ष बताते हैं कि देश में राज्यों के बीच और उनके भीतर भी इसकी उपलब्धता के बीच बड़ी खाई है। इतना ही नहीं देश में कई जिले ऐसे हैं जहां विटामिन ए सप्लीमेंट की बहुत ज्यादा जरुरत है। देश में विटामिन ए की स्थिति को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने सभी 640 जिलों में इसकी उपलब्धता और पहुंच की मैपिंग की है। इसके लिए राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (एनएफएचएस- 4) और व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (सीएनएनएस) के आंकड़ों का उपयोग किया गया है।
विटामिन ए की कवरेज के स्तर का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने करीब 204,645 माओं से यह जानकारी हासिल की थी कि क्या उनके बच्चों को एनएफएचएस -4 सर्वेक्षण के 6 महीनों के भीतर विटामिन ए की खुराक दी गई थी।
नागालैंड में केवल 29.5 फीसदी जरुरतमंद बच्चों को मिल पाई थी इसकी खुराक
इन आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि भारत में इस विटामिन की जरुरत वाले करीब 39.5 बच्चों को इसकी खुराक नहीं मिली थी। देखा जाए देश में इसकी कुल कवरेज 60.5 फीसदी थी, जोकि अधिकांश अन्य दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में कम है।
इतना ही नहीं आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इस विटामिन की कवरेज में काफी विषमता है। जहां एक तरफ नागालैंड जैसे राज्य है जहां केवल 29.5 फीसदी जरुरतमंद बच्चों को इसकी खुराक मिली थी वहीं गोवा में यह आंकड़ा 89.5 फीसदी दर्ज किया गया है।
वहीं यदि जिलास्तर के आंकड़ों को देखें तो जहां नागालैंड के लोंगलेंग जिले में इसका कवरेज केवल 12.8 फीसदी था वहीं कर्नाटक के कोलार में यह आंकड़ा 94.5 फीसदी दर्ज किया गया था। देश में विटामिन ए की स्थिति कितनी खराब है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश के 640 में से केवल 71 जिलों यानी केवल 11 फीसदी ने 80 फीसदी से अधिक जरुरतमंद बच्चों को इस विटामिन की खुराक मिली थी। वहीं 13 जिलों में इसकी कवरेज 20 फीसदी या उससे भी कम थी।
इनमें नागालैंड के 4 जिले (लोंगलेंग, मोन, फेक, और जुन्हेबोटो), मणिपुर के 3 जिले (उखरूल, चंदेल और सेनापति) जबकि उत्तर प्रदेश के तीन जिले (मुजफ्फरनगर, बरेली और बहराइच) शामिल थे। वहीं राजस्थान के दो जिलों (डूंगरपुर और राजसमंद) और अरुणाचल प्रदेश के एक जिले पूर्वी कामेंग में 20 फीसदी से भी कम जरुरतमंद बच्चों को विटामिन ए की खुराक नसीब हुई थी। हालांकि इस पूरे अध्ययन में विटामिन ए की कवरेज और उसकी कमी के प्रसार के बीच कोई महत्वपूर्ण संबंध नहीं देखा गया था।
शोधकर्ताओं के मुताबिक यह अध्ययन विटामिन ए की खुराक संबंधी आंकड़ों पर आधारित है जिसमें इसकी कमी के कारणों पर प्रकाश नहीं डाला गया है। लेकिन इससे इतना तो स्पष्ट है कि देश में बड़ी संख्या में जरूरतमंद बच्चों को इसकी खुराक नहीं मिल रही है।
इसकी कम कवरेज मुख्यतः उन क्षेत्रों में ज्यादा है जहां बुनियादी ढांचे और उसकी पहुंच में दूरी है। साथ ही उन क्षेत्रों में संक्रमण का ऊंचा स्तर और स्वास्थ्य सुविधाओं की असमान उपलब्धता थी। वहीं समृद्ध क्षेत्रों में इसकी कवरेज ज्यादा थी। आमतौर पर इन क्षेत्रों की स्थिति स्वास्थ्य, जनसंख्या और सामाजिक आर्थिक विकास के मामले में कहीं ज्यादा बेहतर थी।
शरीर के लिए क्यों जरुरी है विटामिन ए
भारत में विटामिन ए की कमी को एक महत्वपूर्ण लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचाना गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2006 से देश में 9 से 59 महीने की आयु के सभी बच्चों के लिए विटामिन ए की उच्च खुराक की सिफारिश की है।
देखा देखा पर्याप्त विटामिन ए केवल पोषक आहार से प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन खराब पोषण और 5 साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाला संक्रमण इसकी कमी के लिए जिम्मेवार है। अनुमान है कि विकासशील देशों में करीब 19 करोड़ यानी करीब एक तिहाई बच्चे विटामिन ए की कमी से जूझ रहे हैं।
यह विटामिन हमारे शरीर के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह शरीर में कोशिकाओं की कई जरुरी प्रक्रियाओं के लिए मायने रखता है। यह शरीर की वृद्धि, विकास, आंखों की रोशनी, घावों को भरने और इम्यून सिस्टम के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।