कोविड-19 से पहले दुनिया में 35.60 करोड़ बच्चे थे अत्यधिक गरीब: रिपोर्ट

विश्व बैंक और यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के बाद अत्यधिक गरीब बच्चों की संख्या में हो बड़ा इजाफा हो सकता है
विश्व बैंक और यूनीसेफ ने बच्चों में बढ़ती गरीबी के बारे में चेताया है। फोटो: विकास चौधरी
विश्व बैंक और यूनीसेफ ने बच्चों में बढ़ती गरीबी के बारे में चेताया है। फोटो: विकास चौधरी
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कोविड-19 वैश्विक महामारी शुरू होने से पहले ही दुनिया में हर छह में से एक बच्चा यानी लगभग 35.60 करोड़ बच्चे अत्याधिक गरीबी में जीवनयावन कर रहे थे। विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की एक नई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

20 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट "ग्लोबल एस्टिमेट ऑफ चिल्ड्रन इन मोनिटरी पॉवरिटी: एन अपडेट" में आशंका जताई गई है कि कोविड-19 के कारण हालात और ज्यादा बदतर हो सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया में सबसे अधिक यानी लगभग दो तिहाई अत्यधिक गरीब बच्चे सब-सहारा अफ्रीका के परिवारों से हैं। इन परिवारों की औसत आमदनी प्रति व्यक्ति प्रति दिन 1.90 डॉलर या इससे कम हैं।

इसके बाद दक्षिण एशिया में 20 फीसदी बच्चे गरीबी से पीड़ित हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 के मुकाबले 2017 में अत्यधिक गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या में मामूली गिरावट आई है। यह गिरावट लगभग 2.90 करोड़ है।

यूनीसेफ और विश्व बैंक ने सचेत किया है कि बेशक गरीबी बच्चों की संख्या में कमी आई है, लेकिन यह प्रगति काफी धीमी है, बल्कि कोविड-19 की वजह से एक बार फिर से गरीब बच्चों की संख्या बढ़ सकती है।

यूनीसेफ की ओर से जारी विज्ञप्ति में कार्यक्रम निदेशक संजय विजेसेकरा ने कहा है कि ये नए आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। वह भी ऐसे समय में, जब कोविड-19 की वजह से हालात और अधिक बिगड़ने की आशंका है।

रिपोर्ट में जोर देते हुए कहा गया है कि सरकारों को तत्काल ऐसी योजनाओं को शुरू कर देना चाहिए, जिससे बच्चों की स्थिति बेहतर की जा सके, ताकि बच्चों और उनके परिवारों को गरीबी की दलदल में फंसने से बचाया जा सके।

दुनिया भर की कुल आबादी में बच्चों की हिस्सेदारी एक तिहाई है, लेकिन अगर गरीबों की बात करें तो बच्चों की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। जो एक चिंताजनक विषय है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे कम उम्र के बच्चों के लिए हालात बेहद खराब हैं। विकासशील देशों में 5 साल से कम उम्र के लगभग 20 फीसदी बच्चे अत्यधिक गरीबी में जीवन बसर कर रहे हैं।

रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि पिछले कुल सालों में वयस्कों में गरीबी जिस रफ्तार से कम हुई है, उनके मुकाबले में बच्चों की गरीबी में कमी की रफ्तार धीमी है। साल 2013 के आंकड़ों की तुलना में 2017 में निर्धनों की कुल आबादी में बच्चों का अनुपात बढ़ा है।

रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि हिंसा प्रभावित इलाकों में रह रहे बच्चों में गरीबी का स्तर अधिक है। ऐसे देशों में जहां 40 फीसदी से अधिक बच्चे अत्यधिक गरीबी में जीवन जी रहे हैं, वहीं दूसरे देशों में गरीब बच्चों का आंकड़ा 15 फीसदी है।

रिपोर्ट बताती है कि अत्यधिक गरीबी के शिकार 70 फीसदी से ज्यादा बच्चे ऐसे घरों में रहते हैं, जहां घर के मुखिया खेतों और चारागाहों में काम करते हैं।

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