भारत में 11 फीसदी डायबिटीज और 35 फीसदी से अधिक लोग हाई ब्लडप्रेशर के शिकार : लैंसेट

अध्ययन के मुताबिक गैर-संचारी रोग (एनसीडी) अनुमान से अधिक हो सकते हैं, यह अनुमान मोटापा, उच्च रक्तचाप और बढ़ते कोलेस्ट्रॉल आदि के प्रसार के विश्लेषण पर आधारित है
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, वोल्गानेट.आरयू
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एक नए अध्ययन में भारतीय राज्यों में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) का आकलन किया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि भारत में राष्ट्रीय स्तर पर मधुमेह का प्रसार 11.4 प्रतिशत है, जबकि 35.5 प्रतिशत भारतीय उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं

भारत में गैर-संचारी रोगों का आकलन करने के लिए सभी राज्यों को शामिल करने वाला यह पहला बड़ा अध्ययन है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि भारत में सामान्य मोटापा 28.6 प्रतिशत और बढ़ते पेट के मोटापे का प्रसार 39.5 प्रतिशत था।

इसके अलावा, 24 प्रतिशत भारतीय हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया से पीड़ित पाए गए हैं। यहां बताते चलें कि हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें वसा धमनियों में जमा हो जाती है और लोगों को दिल के दौरे और स्ट्रोक के अधिक खतरे में डालती है।

वहीं 15.3 प्रतिशत लोगों को प्री-डायबिटीज है, प्री-डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जहां खून में शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन यह टाइप 2 मधुमेह नहीं है।

2021 में, भारत में 10.1 करोड़ लोग मधुमेह और 13.6 करोड़ प्री-डायबिटीज से पीड़ित थे, जबकि 31.5 करोड़ लोगों को उच्च रक्तचाप, 25.4 करोड़ लोगों को सामान्य मोटापा तथा और 35.1 करोड़ लोगों को बढ़ते पेट का मोटापा था। इसके अतिरिक्त, देश में 21.3 करोड़ लोगों को हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया था।

अध्ययन के परिणाम 2008 से 2020 के बीच देश के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,13,043 लोगों  जिसमें 33,537 शहरी और 79,506 ग्रामीण निवासी के सर्वेक्षण पर आधारित हैं।

प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ.आर.एम. अंजना ने बताया कि, इन निष्कर्षों को राज्यों में गैर-संचारी रोगों की तेजी से बढ़ती समस्या के बारे में सरकारों के लिए एक प्रमुख चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए और चुनौती का समाधान करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।

अध्ययनकर्ता डॉ. वी. मोहन के अनुसार, भारत में राज्य सरकारें, जो मुख्य रूप से अपने संबंधित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए जिम्मेवार हैं, गैर-संचारी रोगों पर विस्तृत राज्य-स्तरीय आंकड़ों में उनकी विशेष रूप से रुचि लेने की संभावना है। क्योंकि यह उन्हें गैर-संचारी रोगों की बढ़ती घटनाओं को सफलतापूर्वक रोकने और उनकी जटिलताओं का प्रबंधन करने के लिए साक्ष्य आधारित हस्तक्षेप विकसित करने में  मदद देगा। 

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि भारत में मधुमेह और अन्य चयापचय गैर-संचारी रोगों का प्रसार पहले की तुलना में काफी अधिक है।

उदाहरण के तौर पर देखें तो, 2019 से 2021 के दौरान राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-पांच ने दिखाया कि 15 वर्ष से अधिक आयु की 21 प्रतिशत महिलाओं को उच्च रक्तचाप था, जबकि इसी आयु वर्ग के 24 प्रतिशत पुरुषों में यह देखा गया। इसी सर्वेक्षण से पता चला था कि 15 से 49 वर्ष की आयु की 6.4 प्रतिशत महिलाएं मोटापे से ग्रस्त थीं, जबकि उस आयु वर्ग के चार प्रतिशत पुरुषों में यह पाया गया था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़े से पता चलता है कि भारत में 7.7 करोड़ लोगों को मधुमेह है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा, जबकि मधुमेह महामारी देश के अधिक विकसित राज्यों तक सीमित हो रही है, यह अभी भी अधिकांश अन्य राज्यों में बढ़ रही है। इस प्रकार, देश के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं, भारत में चयापचय गैर-संचारी रोगों के तेजी से बढ़ते मामलों को रोकने के लिए तत्काल राज्य आधारित नीतियों और हस्तक्षेपों की आवश्यकता है।

आईसीएमआर के गैर-संचारी रोग (एनसीडी) डिवीजन के प्रमुख डॉ. आर.एस. धालीवाल ने कहा कि अध्ययन के परिणामों से यह काफी स्पष्ट है कि भारत में मेटाबोलिक गैर-संचारी रोगों के कारण कार्डियोवैस्कुलर बीमारी और एक बड़ी आबादी अन्य लंबे समय तक चलने वाले अंगों की जटिलताओं के खतरे में है। 

यह अध्ययन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन द्वारा किया गया है। इसके निष्कर्ष द लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

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