स्लीप एपनिया नामक गंभीर डिसऑर्डर का शिकार हैं 10.4 करोड़ भारतीय: एम्स

रिसर्च से पता चला है कि भारतीय महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह समस्या कहीं ज्यादा गंभीर है। जहां 13 फीसदी भारतीय पुरुष इससे पीड़ित हैं। वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा पांच फीसदी दर्ज किया गया
13 फीसदी भारतीय पुरुष स्लीप एपनिया नामक डिसऑर्डर से पीड़ित हैं; फोटो: आईस्टॉक
13 फीसदी भारतीय पुरुष स्लीप एपनिया नामक डिसऑर्डर से पीड़ित हैं; फोटो: आईस्टॉक
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कहते हैं बेहतर नींद न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में करीब कामकाजी आयु के करीब 10.4 करोड़ लोग ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) नामक गंभीर डिसऑर्डर का शिकार हैं।

इतना ही नहीं, इनमें से 4.7 करोड़ लोगों इसके मध्यम से गंभीर स्तर से पीड़ित हैं। देखा जाए तो यह विकार भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी समस्या है। यह जानकारी नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग से जुड़े डॉक्टरों द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है।

इसके नतीजे स्लीप मेडिसिन रिव्यु नामक जर्नल के अक्टूबर 2023 अंक में प्रकाशित हुए हैं। अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पिछले दो दशकों में इसको लेकर किए गए सात अन्य अध्ययनों का विश्लेषण किया है। यह रिसर्च 11,009 लोगों पर किए अध्ययन पर आधारित है, जिनकी औसत आयु 35.5 से 47.8 वर्ष के बीच थी।

गौरतलब है कि नींद से जुड़े इस डिसऑर्डर में व्यक्ति की श्वास नली के ऊपरी मार्ग में रुकावट होने लगती है। इसकी वजह से जब वो व्यक्ति सोता है तो उसकी सांस बार-बार रूकती और चलती है। सबसे अधिक चिंता की बात तो ये है कि इसकी वजह से सोते समय भी सांस रुक सकती है, जो मृत्यु का कारण तक बन सकती है।

वहीं सांस के बार-बार रुकने से खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसकी वजह से हृदय, मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार स्लीप एपनिया के दौरान रोगी की सांस कुछ सेकंडों से लेकर एक मिनट तक के लिए रुक सकती है।

किसी भी उम्र के लोगों को शिकार बना सकता है यह डिसऑर्डर

अध्ययन के मुताबिक देश में करीब 11 फीसदी वयस्क इस विकार से पीड़ित हैं। इतना ही नहीं रिसर्च में यह भी सामने आया है कि भारतीय महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह समस्या कहीं ज्यादा गंभीर है। अनुमान है कि जहां 13 फीसदी भारतीय पुरुष इससे पीड़ित हैं।

वहीं केवल पांच फीसदी महिलाएं इस डिसऑर्डर का शिकार हैं। वहीं मध्यम से गंभीर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के प्रसार की बात करें तो पांच फीसदी भारतीय इसका शिकार हैं।

इस बीमारी के जो लक्षण हैं उनमें नींद में परेशानी आना, खर्राटे लेना, सिर में दर्द रहना, सोते समय सांस फूलना, मुंह का सूखना, दिनभर थकान, आलस का रहना और दिन के समय नींद आना शामिल हैं। इसकी वजह से रोगी को ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है। इतना ही नहीं खून में ऑक्सीजन की कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति की काम करने की क्षमता भी  प्रभावित हो सकती है।

विशेषज्ञों के अनुसार यह विकार अक्सर खराब लाइफस्टाइल और खानपान में लापरवाही की वजह से लोगों में देखने को मिलता है। ऐसा नहीं है कि देश में केवल बुजुर्ग ही इससे पीड़ित है। आज युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक सभी इस डिसऑर्डर का शिकार बनते जा रहे हैं। ऐसे में इस विकार को लेकर लोगों में जागरुकता बेहद जरूरी है।

इससे बचने के लिए सही समय पर डॉक्टरों से सलाह लेना जरूरी है। इतना ही नहीं खानपान और लाइफस्टाइल में किया बदलाव भी इससे निपटने में मददगार हो सकता है। नियमित व्यायाम और वजन पर नियंत्रण भी इसमें फायदेमंद हो सकता है। इतना ही नहीं इससे पीड़ित व्यक्ति को पीठ के बल सोने से बचना चाहिए, इसके विपरीत पेट के बल या अपनी सुविधानुसार करवट सोने से इसमें फायदा मिलता है।

स्लीप एपनिया की समस्या से निजात पाने में मेलाटोनिन भी फायदेमंद हो सकता है, इसके लिए अनार, अंगूर, खीरे आदि का सेवन किया जा सकता है। साथ ही भोजन में वसा की कमी भी फायदेमंद हो सकती है।

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