संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा जारी एक नए विश्लेषण में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी लड़कियों के रोजमर्रा के जीवन को बड़ी गहराई से प्रभावित कर रहा है, उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, उनकी शिक्षा, उनके परिवारों और समुदायों की आर्थिक परिस्थितिया बहुत नाजुक दौर से गुजर रही हैं। इस तरह के परिवर्तन से बाल विवाह की आशंका बढ़ गई है और अगले दशक में, 1 करोड़ से अधिक लड़कियों को महामारी के परिणामस्वरूप बाल्यावस्था में दुल्हन बनने का जोखिम उठाना पड़ेगा।
कोविड-19 से बाल विवाह का खतरा नामक विश्लेषण में चेतावनी दी गई है कि स्कूल बंद होने, आर्थिक तनाव, सेवा में व्यवधान, गर्भावस्था और महामारी के कारण होने वाली मौतों के कारण बाल विवाह के खतरे में सबसे कमजोर लड़कियां हैं।
यहां तक कि कोविड-19 के प्रकोप के पहले से ही, हाल के वर्षों में कई देशों में रोक के बावजूद, अगले दशक में 10 करोड़ लड़कियों के बाल विवाह का खतरा था। दुनिया भर में पिछले दस वर्षों में उन युवा महिलाओं का अनुपात, जिनका विवाह बाल्यावस्था में हो जाता था उनमें 15 फीसदी की कमी आई थी, 4 में से 1 से लेकर 5 में से 1 लगभग 2.5 करोड़ विवाहों के औसत के बराबर होता है जिसे रोका गया था, लेकिन अब वे खतरे में है।
यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने कहा कि कोविड-19 ने लाखों लड़कियां जो पहले से ही कठिन परिस्थितियों से गुजर रहीं थीं उनके लिए स्थितियां और भी बदतर बना दी हैं। बंद किए गए स्कूल, दोस्तों और सहायता करने वालों से दूरी और बढ़ती गरीबी ने इसमें आग में घी का काम किया है। लेकिन हम इस समस्या का निराकरण कर सकते हैं, हमें बाल विवाह को खत्म करना ही होगा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अपने आप को यह याद दिलाने का महत्वपूर्ण क्षण है कि ये लड़कियां अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य और अपना भविष्य खो सकती है, यदि हम तत्काल कदम नहीं उठाते हैं तो।
जिन लड़कियों की बचपन में शादी हो जाती है उन्हें पूरे जीवन भर प्रतिकूल परिणामों का सामना करना पड़ता है। उनकी घरेलू हिंसा के दौर से गुजरने की अधिक आशंका होती है और स्कूल जाने की संभावना कम होती है। बाल विवाह से प्रारंभिक और अनियोजित गर्भावस्था का खतरा बढ़ जाता है, जिससे मातृ जटिलताओं और मृत्यु दर का खतरा बढ़ जाता है। यह प्रथा लड़कियों को परिवार और दोस्तों से अलग-थलग कर सकती है और उन्हें उनके समुदायों में भाग लेने से दूर कर सकती है, उनके मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर भारी प्रभाव पड़ सकता है।
कोविड-19 लड़कियों के जीवन को गहराई से प्रभावित कर रहा है। महामारी से संबंधित यात्राओं पर प्रतिबंध और शारीरिक गड़बड़ी लड़कियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक सेवाओं और सामुदायिक समर्थन तक पहुंचना मुश्किल बनाते हैं जो उन्हें बाल विवाह, अवांछित गर्भावस्था और लिंग आधारित हिंसा से बचाते हैं। जैसे-जैसे स्कूल बंद होते हैं, लड़कियों के शिक्षा छोड़ने और वापस स्कूल न आने का आसार अधिक होते हैं। नौकरी के नुकसान और बढ़ती आर्थिक असुरक्षा भी वित्तीय बोझ को कम करने के लिए परिवारों को अपनी बेटियों की शादी करने के लिए मजबूर कर सकती है।
व्यापक सामाजिक सुरक्षा उपायों को लागू करें
महामारी के शुरुआती चरणों में, भारत सरकार ने निम्न-आय वाले परिवारों को भोजन और रसोई गैस सहित नकद हस्तांतरण प्रदान किया साथ ही सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए खर्च बढ़ाया। स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में श्रमिकों को बीमा कवरेज प्रदान किया गया और स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया। ऐसी आर्थिक नीतियां लड़कियों के कम उम्र में विवाह को रोकने में कारगर हो सकती हैं।
नकद हस्तांतरण और अन्य तरह की नौकरी देने से आय सुरक्षा को बढ़ाना महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया की 55 फीसदी आबादी सामाजिक सुरक्षा लाभों से असुरक्षित है। हालांकि, महामारी से संबंधित बाल विवाह को रोकने के लिए अकेले नकद हस्तांतरण और अस्थायी राहत उपाय अपर्याप्त हैं।
लड़कियों के लिए स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाएं उपलब्ध कराना
दुनिया भर में लगभग 65 करोड़ लड़कियां और महिलाएं आज भी जिंदा है जिनका विवाह बचपन में हो गया था। इनमें से लगभग आधे विवाह बांग्लादेश, ब्राजील, इथियोपिया, भारत और नाइजीरिया में हुए थे। कोविड-19 के प्रभावों को खत्म करने और 2030 तक इस प्रथा को समाप्त करने के लिए सतत विकास लक्ष्यों में निर्धारित लक्ष्य हासिल करने के लिए इसकी प्रगति को तेजी से बढ़ाया जाना चाहिए।
फोर ने कहा महामारी के एक वर्ष पूरा होने को है लड़कियों और उनके परिवारों पर पड़े इसके प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। इसमें स्कूलों को फिर से खोलना, प्रभावी कानूनों और नीतियों को लागू करना, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना, जिसमें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं, परिवारों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा उपाय प्रदान करना। उन्होंने कहा कि हम लड़कियों के बाल विवाह होने से उनका जो बचपन छीना जाता है, उस खतरे को काफी कम कर सकते हैं।