मध्य प्रदेश में डीएमएफ का काम आधा-अधूरा

कैग के अनुसार, राज्य के खनिज संसाधन विभाग ने पर्यावरण पर रेत खनन के प्रभावों का आकलन गंभीरता से नहीं किया
Credit: Samrat Mukharjee
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भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने मध्य प्रदेश के खनिज संसाधन विभाग को जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के आधे-अधूरे क्रियान्वयन का दोषी पाया है। इससे संबंधित एक रिपोर्ट 10 जनवरी 2019 को राज्य विधानसभा में पेश की गई थी।

खान और खनिज अधिनियम के अनुसार राज्य सरकारों को लघु खनिज के रियायत धारकों द्वारा भुगतान की जाने वाली योगदान राशि को डीएमएफ को देने के लिए कहा गया था, लेकिन राज्य सरकार ने संशोधित अधिनियम के इस प्रावधान को लागू करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। खनन क्षेत्र के आसपास के क्षेत्र में सामुदायिक विकास में मदद के लिए संशोधित अधिनियम में जिला खनिज निधि की कल्पना की गई थी।

गलत क्रियान्वयन के बाद पकड़े जाने पर विभाग ने कैग को बताया कि इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी। लेकिन राज्य के खनिज संसाधन विभाग पर कार्रवाई नहीं की गई थी। जबकि दिसंबर 2017 में घोषित नई रेत खनन नीति ने निर्धारित किया था कि रेत पर रॉयल्टी से 50 रुपए प्रति घन मीटर का भुगतान डीएमएफ को किया जाएगा। राज्य सरकार ने अन्य लघु खनिजों के संबंध में अप्रैल 2018 तक डीएमएफ को कोई योगदान राशि नहीं दी।

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