ट्रंप के वार्षिक संबोधन के मायने

संबोधन के दौरान ट्रंप अपने पसंदीदा विषय अप्रवासन और सीमा की दीवार पर ही सबसे अधिक समय तक बोलते नजर आए
सौजन्य : फ्लिकर / डंकीहोटे
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अपने दूसरे “स्टेट ऑफ द यूनियन” संबोधन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक तरफ उदार दिखे तो दूसरी तरफ आक्रामक भी। हालांकि, संबोधन के दौरान ट्रंप अपने पसंदीदा विषय “अप्रवासन और सीमा की दीवार” पर ही सबसे अधिक समय तक बोलते नजर आए। तीन विशेषज्ञों से अमेरिकी राष्ट्रपति के भाषण के प्रमुख उद्धरण और उनके संदर्भों के निहितार्थ समझने की कोशिश

शरणार्थियों का वर्तमान और इतिहास

लीसा गार्सिया बेडोला, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले

ट्रंप ने दक्षिणी सीमा के मौजूदा हालात को एक “नैतिक मुद्दे” में तब्दील कर दिया है। लेकिन उनका नैतिकता का यह दावा इतिहास के सामने कहीं नहीं ठहरता। इसे विडंबना ही कहेंगे कि संबोधन के अंत में राष्ट्रपति ट्रंप ने होलोकॉस्ट (जनसंहार) से बचे जूडा सामेट और जोशुआ कॉफमैन का उल्लेख किया। विडंबना इसलिए, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के चलते ही जरूरतमंद शरणार्थियों को शरण देने, उन्हें मदद मुहैया कराने के अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का उदय हुआ। जून 1939 में 937 यात्रियों से भरे एक जर्मन समुद्री जहाज “सेंट लुईस” को मयामी बंदरगाह से लौटा दिया गया था। इन 937 यात्रियों में से अधिकतर यहूदी शरणार्थी ही थे। मजबूरन जहाज को यूरोप लौटना पड़ा और इसके बाद एक तिहाई से अधिक यात्रियों की ऐतिहासिक “होलोकॉस्ट” में मौत हो गई। यह यहूदी शरणार्थिोंयों की उन कई दुखद कहानियों में से एक है, जिनमें सुरक्षित देशों ने उन्हें अपने यहां शरण देने से मना कर दिया और बाद में नाजी सैनिकों ने उनकी हत्या कर दी।

ट्रंप ने इस इतिहास को एकदम उलट तौर पर पेश करने की कोशिश की और तर्क दिया कि संयुक्त राष्ट्र में राजनीतिक शरण पाने के लिए हजारों मील का सफर तय कर रहीं मध्य अमेरिकी महिलाएं और बच्चे अमेरिकियों की सुरक्षा व हितों के लिए खतरा हैं। उन्होंने शरणार्थियों की हताशपूर्ण परिस्थितियों और मानव तस्करों, नशीली दवाओं के अवैध कारोबारियों और मासूमों को शिकार बनाने वालों के नृशंस अपराधों को तराजू के एक ही पलड़े में रख दिया। हालांकि, शरणार्थियों के लिए ये विशेषण नए नहीं हैं और समाज में सर्वस्वीकृत तौर पर स्थापित हो चुके हैं, साथ ही ट्रंप के द्वारा बार-बार की जा रही बयानबाजी का हिस्सा भी बन चुके हैं।

जांच का मतलब कानून व्यवस्था खारिज करना नहीं

रॉबर्ट स्पील, पेन्सिलविनिया स्टेट यूनिवर्सिटी

ट्रंप की इस बात का निहितार्थ यह है कि जब तक ट्रंप, उनके प्रशासन और 2016 के अभियान से जुड़े कथित तौर पर दुराचारों की जांच जारी रहेगी, कांग्रेस कोई भी कानून नहीं बना सकेगी। हालांकि, अमेरिका के इतिहास में हाल के राष्ट्रपतियों के खिलाफ हुई जांच कुछ और ही इशारा करती है।

1973 में, राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के खिलाफ चल रही वाटरगेट जांच के दौरान कांग्रेस ने पहले वॉर पावर एक्ट को पास किया, फिर उस पर प्रेसिडेंशियल वीटो को हटा दिया। यह कानून आधुनिक युग में राष्ट्रपति की सैन्य एवं विदेश नीति से जुड़ी शक्तियों को पुनः परिभाषित करता था। इसी दौरान कांग्रेस ने राष्ट्रपति निक्सन द्वारा हस्ताक्षरित इंडेंजर्ड स्पीशीज एक्ट भी पारित किया। जानवरों, पौधों की नस्लों तथा पारिस्थिकीतंत्र को अनियंत्रित विकास से बचाने वाले इस ऐतिहासिक पर्यावरण कानून के निर्माण में वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया था। अमेरिकी प्रतिनिधि सदन की न्यायिक समिति ने राष्ट्रपति निक्सन पर महाभियोग चलाने के पक्ष में अपना मत दिया और अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि राष्ट्रपति ने जानबूझकर ओवल ऑफिस टेप रिकॉर्डिंग्स को खत्म करवा दिया, जिन्हें वाटरगेट जांच के दौरान छानबीन के लिए मंगवाया गया था। उस ऐतिहासिक महीने में एक और प्रमुख बात हुई, कांग्रेस ने एक और महत्वपूर्ण कानून पारित किया।

कांग्रेस ने बजट एंड इंम्पॉउंडमेंट कंट्रोल एक्ट ऑफ 1974 ने फेडरल बजट की प्रक्रिया को बदल डाला, ताकि कांग्रेस का नियंत्रण और अधिक बढ़ सके तथा राष्ट्रपति कांग्रेस द्वारा स्वीकृत फंड को खर्च करने से इनकार न कर सकें। इसके साथ ही कम आय वाले अमेरिकियों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए लीगल सर्विस कॉरपोरेशन एक्ट ऑफ 1974 भी पास किया गया।

1988 में कांग्रेस और स्वतंत्र कानूनी सलाहकार केन स्टार राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर शपथ भंग करने और न्याय प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने के आरोपों की जांच कर रहे थे। उसी साल, कांग्रेस ने बच्चों को ऑनलाइन मार्केटिंग से बचाने और उनसे सूचनाएं हासिल करने से रोकने के लिए चिल्ड्रंस ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट को मंजूरी दी। कांग्रेस ने उसी साल राष्ट्रपति क्लिंटन द्वारा हस्ताक्षरित डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट को भी स्वीकृति दी, जिससे डिजिटल दुनिया भी अमेरिका के कॉपीराइट कानूनों के दायरे में आ गई। इससे इन कानूनों का अनुपालन भी नई अंतरराष्ट्रीय संधियों के अनुसार संभव हो सका। इसलिए, भले ही राष्ट्रपति के खिलाफ चल रही कांग्रेस की जांच और दो संस्थाओं के बीच युद्ध जैसी परिस्थितियों की वजह से वैधानिक प्रक्रियाओं का निर्विघ्न चल पाना आसान नहीं रह जाता, इसके बावजूद महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक प्रभाव वाले कानूनों को पारित कर पाना संभव है।

आव्रजन पर समझौते के नहीं हैं आसार

मैथ्यू राइट, अमेरिकन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक अफेयर्स

ट्रंप दरअसल मैक्सिको यूएस सीमा पर भौतिक अवरोध (दीवार) बनाना चाहते हैं। सर्वेक्षण एवं शोध करने वाली वेबसाइट्स मॉर्निंग कंसल्ट/पॉलिटिको की तरफ से कराए गए पोल के मुताबिक इस मुद्दे पर मतदाताओं के बीच सैद्धांतिक मतभेद हैं। निश्चित तौर पर वे ऐसा कुछ भी नहीं चाहते हैं, जिसे वर्तमान सरकार के लिए फिरौती वसूलने जैसा माना जाए। ट्रंप कहते हैं,“जहां दीवारें ऊंची हो रही हैं, सीमाओं को अवैध तरीके से पार करने के मामलों में गिरावट आ रही है।” अधिकतर अवैध अप्रवासी कहां से आ रहे हैं, यूएस की सीमा में कैसे प्रवेश कर रहे हैं और उनकी मौजूदगी के क्या आर्थिक व सामाजिक परिणाम निकलेंगे जैसे सवालों को छोड़ दीजिए। मत पूछिए कि राष्ट्रपति के द्वारा प्रस्तावित समाधान क्या वाकई काम करेंगे। बल्कि, इन सवालों की जगह राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम के पीछे की राजनीति पर गौर करिए। सबसे खास बात यह है कि उन्होंने डेमोक्रेट्स को इसके बदले में कोई भी पेशकश नहीं की है।

कांग्रेस ने पिछली बार जनवरी 2018 में जब अप्रवासन पर द्विपक्षीय समझौते पर गंभीरता से विचार किया था, तब डेमोक्रेट्स ने “ड्रीमर्स” यानी अवैध तरीके से यूएस लाए गए बच्चों के लिए स्थायी वैध नागरिकता की मांग की थी। उस समझौते में दीवार बनाने के लिए 2 बिलियन यूएस डॉलर के फंड की पेशकश भी थी, इसके बावजूद ट्रंप ने उसे खारिज कर दिया था। इसके बाद सीनेट में अल्पसंख्यकों के नेता चक शूमर ने जब दीवार के लिए और अधिक फंड देने के प्रस्ताव के साथ इसे दोबारा पेश किया, ट्रंप ने तब भी इसे सिरे से खारिज कर दिया। इसी साल जनवरी में ट्रंप ने “ड्रीमर्स” के लिए अस्थायी नागरिकता का प्रस्ताव दिया, ताकि 29 दिन से चल रहे सरकार के शटडाउन को खत्म किया जा सके और दीवार बनाने के लिए वह फंड हासिल कर सकें। लेकिन, डेमोक्रेट्स ने इसे अपर्याप्त बताते हुए अस्वीकृत कर दिया। फिलहाल, यह समझौता ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है।

बीते दिनों का शटडाउन खत्म होने के बाद अब ट्रंप के सामने दीवार बनाने के लिए फंड मुहैया कराने वाले समझौते को लेकर संभावनाएं और भी बदतर हो गई हैं। डेमोक्रेट्स लगातार वैधानिक वीटो के साथ ही अन्य चुनौतियां भी पैदा करते जा रहे हैं। उन्हें पता है कि जब कोई और चारा नहीं बचेगा तो ट्रंप पीछे हटने के लिए मजबूर हो जाएंगे। यहां तक कि वह कांग्रेस में समझौते को लेकर होने वाली चर्चाओं को समय की बर्बादी तक ठहरा चुके हैं। हमेशा की तरह दोनों दलों के बीच द्विपक्षीय समझौते की बात को दोहराने के अलावा अपने संबोधन में उन्होंने इस संबंध में और कोई संकेत नहीं दिया। बीतते वक्त के साथ, ट्रंप दीवार बनाने की अपनी घोषणा को कार्यान्वित करने के लिए आपातकाल भी लगा सकते हैं। हालांकि, यह विकल्प कानूनी और राजनीतिक चुनौतियों से भरा हुआ है, लेकिन इस सबमें वह इस कदर उलझ गए हैं कि शायद वह कोई अन्य विकल्प न खोज सकें।

(यह लेख द कन्वर्जेशन से विशेष समझौते के तहत प्रकाशित)

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