रोचक इतिहास: कैसे पड़े लोकतांत्रिक संविधान के बीज

1215 ईसवीं में जारी मैग्ना कार्टा को आधुनिक संविधान का जनक माना जाता है
रोचक इतिहास: कैसे पड़े लोकतांत्रिक संविधान के बीज
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भारत समेत दुनियाभर के लोकतांत्रिक देश आज संविधान के अनुसार चल रहे हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि आखिर संविधान की नींव कब, कैसे और किन परिस्थितियों में पड़ी। आधुनिक संविधान की अवधारणा 1215 ईसवीं में ब्रिटिश राजतंत्र के दौर जारी मैग्ना कार्टा के साथ पनपी थी। इसे महान अधिकार पत्र के नाम से भी जाना जाता है। 15 जून 1215 ईसवीं में ब्रिटेन के राजा किंग जॉन और सामंतों (बैरन) के बीच इस ऐतिहासिक दस्तावेज पर सहमति बनी थी। इसमें सामंतों को कुछ अधिकार दिए गए थे। मैग्ना कार्टा में पहली बार यह स्वीकार किया गया कि कानून सर्वोच्च है और राजा भी इसके दायरे में है। इस अधिकार पत्र को तेरहवीं सदी की महान घटना माना जाता है क्योंकि यह लोकतांत्रिक अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है। किंग जॉन ने यह दस्तावेज मजबूरी और भारी दबाव में स्वीकार किया था क्योंकि उस दौर में राजा के खिलाफ उनके सामंतों ने विद्रोह कर दिया था।

नवाब राजा की ज्यादतियों और करों से परेशान थे। अपने 17 साल के शासनकाल में राजा ने जमींदारों पर 11 बार कर बढ़ाया। चर्च भी राजा से नाराज था क्योंकि उसने स्टीफन लैंगटन को कैंटबरी का मुख्य बिशप मानने से इनकार कर दिया था। इन परिस्थितियों में लोगों में यह संदेश गया कि राजा भरोसे योग्य नहीं है। आखिर में जमींदारों ने कर की अदायगी से इनकार कर दिया। उन्होंने ऐलान किया कि वे राजा के प्रति अपनी निष्ठा त्याग रहे हैं। ब्रिटेन में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी। मैग्ना कार्टा ने इसे खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। दोनों पक्षों में बातचीत के बाद 15 जून 1215 ईसवीं में लंदन में थेम्स नदी के किनारे रनीमीड नामक जगह पर राजा ने एक दस्तावेज पर सहमति जताई जिसमें 49 समझौते दर्ज थे।

दस्तावेज के शुरुआत में कहा गया था कि राजा ने नवाबों की मांगों को मान लिया है। मैग्ना कार्टा नाम से मशहूर इस दस्तावेज में कहा गया था कि राजा को न्याय को प्रभावित करने का अधिकार नहीं है। किसी भी व्यक्ति को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में नहीं लिया जाएगा और उसे निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है। किंग जॉन की मौत के बाद उनके पुत्र हेनरी ने मैग्ना कार्टा में कई संशोधन कराए। बाद में मैग्ना कार्टा ब्रिटेन में लोकतांत्रिक कानून और संवैधानिक व्यवस्था का आधार बना। इसी ने मानवाधिकारों की बुनियाद भी रखी। संयुक्त राष्ट्र के संविधान में भी इसके सिद्धांत को अपनाया गया है। इसमें दर्ज नागरिक अधिकारों को कई देशों ने मान्यता दी और अपने संविधान में इसे अंगीकृत किया। जब 1789 में अमेरिका में संविधान लागू हुआ तब भी इसी के सिद्धांत को अपनाया गया। 1957 में अमेरिकी वकीलों के संघ ने रनीमीड में मैग्ना कार्टा की याद में एक स्मारण भी खड़ा किया।

19वीं शताब्दी में हुए मुख्य परिवर्तनों में विभिन्न देशों द्वारा संविधान को अपनाना भी अहम था। पोलैंड में 1791 में लिखित संविधान अपनाया गया। इसके बाद फ्रांस में लिखित संविधान लागू किया गया। 1848 में यूरोपीय क्रांति के बाद दर्जनों देशों ने संविधान को अंगीकार किया। इस तरह देखते ही देखते लगभग पूरी दुनिया में संवैधानिक व्यवस्था की शुरुआत हो गई।

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