मेड, ड्राइवर और प्लंबर को भी पेंशन!

श्रम मंत्रालय ने असंगठित क्षेत्र के सबसे कमजोर 25 प्रतिशत लोगों के लिए एक वित्तीय सुरक्षा योजना शुरू करने की कार्ययोजना तैयार की है
Credit: Wikimedia commons
Credit: Wikimedia commons
Published on

38 वर्षीय नेहा घर-घर जाकर काम करती हैं। महीने भर सात घरों में काम करने के बाद भी वह महज नौ हजार रुपए ही कमा पाती हैं। वह बताती है कि सुबह छह बजे से रात नौ बजे तक काम करती हैं। कोई भी मालिक उसे एक दिन की छुट्टी देने को तैयार नहीं होता और यदि किसी बीमारी की वजह से वह छुट्टी कर लेती हैं तो वह महीने के आखिरी में उसको मिलने वाली सैलरी काट लिया जाता है।

नेहा की तरह ही 45 वर्षीय राजेश पेशे से ड्राइवर हैं। टैक्सियां चलाने के बाद वह एक घर में काम करते हैं। उन्हें माह के आखिर में 14 हजार रुपए मिलते हैं। उन्हें कोई छुट्टी नहीं मिलती। छुट्टी लेने पर सैलरी में कटौती की जाती है। काम के घंटे भी तय नहीं है। कभी-कभी मालिक को हवाई अड्डे छोड़ने के लिए रात दो बजे भी बुला लिया जाता है। प्लंबर का काम करने वाले 40 साल के रमेश की कहानी भी जुदा नहीं है। बिना छुट्टी पूरे सप्ताह काम करने के बाद भी उनकी मासिक आय 12-13 हजार रुपए पर अटक जाती है। काम भी रोज नहीं मिलता।

नेहा, राजेश और रमेश जैसे कामगारों को सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती। लेकिन अब उनके दिन फिर सकते हैं और वे पेंशन के हकदार बन सकते हैं। दरअसल, इस संबंध में केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने एक कार्ययोजना बनाकर वित्त मंत्रालय के पास प्रस्ताव भेजा है। गौरतलब है कि देश के 50 करोड़ कामगारों में 90 फीसदी असंगठित कामगारों का है। 

श्रम मंत्रालय ने ऐसे असंगठित क्षेत्र के सबसे कमजोर 25 प्रतिशत लोगों के लिए एक वित्तीय सुरक्षा योजना शुरू करने की कार्ययोजना तैयार की है। इसके तहत असंगठित क्षेत्र के 10 करोड़ कामगारों को न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाएगी। यह पेंशन उन्हीं कामगारों को देने की योजना है जिनकी मासिक आय 15,000 रुपए से कम होगी। 

इस कदम से घरेलू नौकरानियों, ड्राइवरों, प्लंबर, बिजली का काम करने वालों, नाइयों और उन दूसरे कामगारों को लाभ हो सकता है, जो इस स्कीम के तहत तय आय से कम कमाई कर पाते हैं। कामगारों के इस हिस्से को कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। उम्रदराज होने के बाद वे अपनी आजीविका का इंतजाम नहीं कर सकते।

ऐसे कामगारों को प्राय: सरकारों की ओर से तय न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता और न ही पेंशन या स्वास्थ्य बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा मिल पाती है। 15,000 रुपए महीने से ज्यादा वेतन वाले कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन या एंप्लॉयीज स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के तहत कवर्ड हैं, लिहाजा उन्हें प्रस्तावित योजना के दायरे से बाहर रखा जाएगा।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in