भारत की भू विविधता के संरक्षण के लिए कानूनी प्रावधान जरूरी: विशेषज्ञ

यूनेस्को हाउस में आयोजित सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने कहा, भारत में भी यूनेस्को जियो पार्क की संभावना
दिल्ली स्थित यूनेस्को हाउस में चल रहा है सम्मेलन
दिल्ली स्थित यूनेस्को हाउस में चल रहा है सम्मेलन
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लाखों साल में बनी भू धरोहरों को खत्म होने के बाद दोबारा नहीं प्राप्त किया जा सकता। इनके संरक्षण के लिए दुनियाभर में 229 ग्लोबल जियो पार्क हैं और भारत में भी इनकी संभावना है। भविष्य में भारत में भी जियो पार्क देखने को मिल सकते हैं।

इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जियोलॉजिकल साइंसेज (आईयूजीएस) की जियोहेरिटेज कमीशन के अध्यक्ष एसीयर हिलारियो ने नई दिल्ली स्थित यूनेस्को हाउस सभागार में आयोजित “भारत की भू-विविधता और भू-धरोहर: इसका सतत विकास” विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान अपने वीडियो संदेश में यह बात कही।

सोसाइटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट्स, यूनेस्को और आईआईटी कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन में देशभर से 100 से अधिक विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं ने भाग लिया।  

सम्मेलन में भू-विविधता की भूमिका को राष्ट्रीय समृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया। मुख्य अतिथियों में यूनेस्को के निदेशक टिम कर्टिस, भारत भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के उप महानिदेशक डॉ. अमित धारवडकर तथा यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क कार्यक्रम के डॉ. अलीरेजा आमिरकाजेमी उपस्थित रहे। सभी विशेषज्ञ इस बात पर एकमत थे कि भारत की भू-विविधता के संरक्षण हेतु आवश्यक विधायी प्रावधान किए जाएं तथा प्रभावी संरक्षण कार्यक्रमों को लागू किया जाए।

आमिरकाजेमी ने अपने संबोधन में भारत में सतत भू-पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए संस्थागत ढांचे और स्थानीय समुदायों की भागीदारी पर बल दिया।

यूनेस्को मुख्यालय पेरिस से ऑनलाइन आमंत्रित वक्ता क्रिस्टोफ वेंडरबर्गे (प्रमुख, यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क कार्यक्रम) ने बताया कि किसी क्षेत्र को यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क के रूप में मान्यता दिलाने के लिए समुदाय-आधारित पहल, स्थल-सूचीकरण, स्थानीय साझेदारी, सतत प्रबंधन योजनाएं और चरणबद्ध प्रक्रियाएं आवश्यक हैं।

हिलारियो ने कहा, “भू-भिलेखों का संरक्षण न केवल शिक्षा और आपदा तैयारी को मजबूत करता है, बल्कि सांस्कृतिक पहचान को भी सुदृढ़ बनाता है।”

यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क के कार्यकारी सदस्य अलीरेजा आमिरकाजेमी ने एक सफल जियोपार्क के लिए आवश्यक तत्वों जैसे व्याख्या केन्द्र, आगंतुक प्रबंधन, समुदाय प्रशिक्षण तथा दीर्घकालिक निगरानी प्रणाली की रूपरेखा प्रस्तुत की।

चर्चा सत्र में डॉ. बेन्नो बोअर ने कहा, “इतनी समृद्ध भू-धरोहर होने के बावजूद भारत में अब तक एक भी यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क नहीं है। यह स्थिति अवश्य बदलनी चाहिए।” उन्होंने भारत के वैज्ञानिक समुदाय से सामूहिक प्रयासों के माध्यम से यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क दर्जा प्राप्त करने का आह्वान किया। आयोजकों ने इस आयोजन को “भू-विज्ञान का जागरण” बताया, जिसने भारत के भू-संरक्षण प्रयासों को यूनेस्को के सतत विकास ढांचे से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रखा।

सम्मेलन के संयोजक सतीश त्रिपाठी ने कहा कि जियोपार्क स्थापना के लिए जमीनी स्तर पर ठोस कार्यवाही आवश्यक है। विशेषज्ञों ने संयुक्त रूप से अनुसंधान सहयोग, नीतिगत सुधार और समुदाय-आधारित संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि भारत की अद्वितीय भू-धरोहर को संरक्षित और संवर्धित किया जा सके।

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