संसद में 33 प्रतिशत महिलाओं की उपस्थिति 55 साल में होगी

महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या के बावजूद विधानसभाओं में उनकी उपस्थिति बमुश्किल 7 से 8 प्रतिशत है। जबकि संसद में उनकी मौजूदगी महज 11 प्रतिशत ही है।
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पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे। इन चुनावों को अप्रैल-मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। पिछले कुछ चुनावों की तरह इन चुनावों में भी महिलाओं ने रिकॉर्ड मतदान किया।

गौर करने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और मिजोरम के कई विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया। छत्तीसगढ़ के 90 में से 24 विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं की मतदान पुरुषों से अधिक था। मध्य प्रदेश की 230 में से 51 विधासभाओं में महिलाओं ने अधिक मतदान किया। 24 क्षेत्रों में तो उनका मतदान प्रतिशत 80 से अधिक था। इसी तरह मिजोरम में पुरुषों के मुकाबले 19,399 महिला मतदाता अधिक थीं।

चिंता की बात यह है कि महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या के बावजूद राज्य विधानसभाओं में उनकी उपस्थिति बमुश्किल 7 से 8 प्रतिशत है। जबकि संसद में उनकी मौजूदगी महज 11 प्रतिशत ही है।

पिछले 56 सालों में भारत की लोकसभा में चुनी हुई महिलाओं की मौजूदगी दोगुनी तक नहीं हुई है। 1962 की लोकसभा में केवल 6 प्रतिशत महिलाएं थीं। 2014 में यह महज 11 प्रतिशत ही हो पाई।

इसी दौरान में महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग करने वाला विधेयक भंग हो गया। शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक “परफॉर्मिंग रिप्रजेंटेशन, विमिन मेंबर इन इंडियन पॉर्लियामेंट” में अनुमान लगाया गया है कि संसद में महिलाओं की मौजूदगी 33 प्रतिशत कब होगी। यह अनुमान 1957 से 15 चुनावों के आधार पर लगाया गया है। अनुमान चौंकाने वाला है। अनुमान के मुताबिक, लोकसभा में महिलाओं की 33 प्रतिशत उपस्थिति में 55 साल और लगेंगे। यानी करीब 11 आम चुनावों के बाद यह स्थिति बनेगी। यह अनुमान किताब के लेखक शिरीन एम राय और कैरोल स्पारी ने लगाया है। राय यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक में पॉलिटिक्स एंड इंटरनेशनल स्टडीज विभाग में प्रोफेसर हैं। वहीं कैरोल स्पारी यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम में स्कूल ऑफ पॉलिटिक्स एंड इंटरनेशनल रिलेशन में सहायक प्रोफेसर हैं। उनका आकलन हर लोकसभा चुनाव में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी के रुझान के आधार पर है।  

किताब के अनुसार, अगले 11 आम चुनावों में संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत बढ़ेगी।

लोकसभा और विधानसभाओ में महिला आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से विवाद का विषय बना हुआ है। जबकि दूसरी तरफ ग्राम पंचायत जैसे स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत तक आरक्षण मिला हुआ है। यही वजह है कि भारत में करीब 6 लाख महिलाएं पंचायतों में चुनी गई हैं।

जानकारों का मानना है कि स्थानीय स्तर पर महिलाओं की भागीदारी ने चुनावों में महिलाओं की सक्रियता बढ़ाई है लेकिन राजनीति दल अब भी महिला उम्मीदवारों को टिकट देने में आनाकानी कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों को पत्र लिखकर 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए प्रस्ताव पारित करने को कहा है। लेकिन क्या राज्य इस दिशा में पहल करेंगे, यह देखने वाली बात होगी।  

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