आज गुलामी और ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार के पीड़ितों की याद में मनाया जा रहा अंतर्राष्ट्रीय दिवस

पंद्रहवीं और उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध के बीच जारी गुलाम अफ्रीकियों के ट्रान्साटलांटिक व्यापार में लाखों महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की तस्करी की गई, जिनमें से अधिकतर पश्चिमी अफ्रीका से अमेरिका लाए गए
साल 2006 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 61/19 के माध्यम से माना कि "दास व्यापार और गुलामी मानवता के इतिहास में मानवाधिकारों के सबसे बुरे उल्लंघनों में से हैं "
साल 2006 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 61/19 के माध्यम से माना कि "दास व्यापार और गुलामी मानवता के इतिहास में मानवाधिकारों के सबसे बुरे उल्लंघनों में से हैं " फोटो साभार: आईस्टॉक
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दुनिया भर में हर साल 25 मार्च को गुलामी और ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार के पीड़ितों की याद में अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह दिन औपनिवेशिक शासन के दौर में ट्रांसअटलांटिक दास व्यापार के तहत पीड़ित लाखों निर्दोष लोगों के दुखद इतिहास को सम्मानित करने का एक अवसर है। इस अवसर पर, दुनिया भर में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, पंद्रहवीं और उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध के बीच जारी गुलाम अफ्रीकियों के ट्रान्साटलांटिक व्यापार में लाखों महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की भारी संख्या में तस्करी की गई, जिनमें से अधिकतर पश्चिमी अफ्रीका से अमेरिका में लाए गए। इस जबरन विस्थापन ने साम्राज्यवादी और अन्य शक्तियों को और शक्ति दी। इसने श्वेत वर्चस्व और नस्लीय हीनता के झूठी कहानी को भी जन्म दिया, जिसका इस्तेमाल इस शर्मनाक प्रथा को सही ठहराने के लिए किया गया और जो आज भी हमारे समाजों को परेशान कर रहा है।

क्योंकि गुलाम अफ्रीकियों के ट्रान्साटलांटिक व्यापार का नस्ल के बारे में हमारी आधुनिक अवधारणाओं पर सीधा प्रभाव पड़ा, इसलिए नस्लवाद और पूर्वाग्रह सहित इसकी विरासतों से लड़ने के लिए इस अवधि की जानकारी जरूरी है। इसलिए, गुलामी और ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार के पीड़ितों की याद का अंतर्राष्ट्रीय दिवस केवल अतीत को याद करने के बारे में नहीं है। यह उन संरचनाओं को खत्म करने के लिए आज कार्रवाई करने के बारे में है जो अफ्रीकी मूल के लोगों को पीछे रखती हैं।

साल 2006 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 61/19 के माध्यम से माना कि "दास व्यापार और गुलामी मानवता के इतिहास में मानवाधिकारों के सबसे बुरे उल्लंघनों में से हैं " और 25 मार्च 2007 को ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार के उन्मूलन की दो सौवीं वर्षगांठ की याद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया। उसके अगले वर्ष, संकल्प 62/122 के माध्यम से, इसने 25 मार्च को दासता और ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार के पीड़ितों की याद के वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया, जिसकी शुरुआत 2008 में हुई।

25 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है यह दिन?

25 मार्च 1807 को यूनाइटेड किंगडम में दास व्यापार उन्मूलन अधिनियम पारित किया गया था। उस दिन से, अफ्रीका के तट या देशों के किसी भी हिस्से में, वहां से दासों या लोगों की खरीद और बिक्री को समाप्त कर दिया गया और गैरकानूनी घोषित किया गया। जबकि इस अधिनियम ने गुलाम अफ्रीकियों के ट्रान्साटलांटिक व्यापार पर तो रोक तो लगा दी परंतु इसने दासता को समाप्त नहीं किया, जो अभी भी दशकों तक जारी रहा।

उन्मूलन के बाद गुलाम अफ्रीकियों द्वारा प्रतिरोध और निरंतर कार्य किए गए, जिसमें हैती की क्रांति भी शामिल थी, जिसके कारण 1804 में हैती गणराज्य की स्थापना हुई, गुलाम महिलाओं और पुरुषों के संघर्ष के चलते स्वतंत्र होने वाला यह पहला राष्ट्र बना।

क्यों अहम है यह दिन?

गुलामी के शिकार लोगों और ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार की याद में अंतर्राष्ट्रीय दिवस चिंतन का समय है। लेकिन यह शिक्षा और जागरूकता का भी समय है। इसके विपरीत मिथकों के बावजूद, गुलाम अफ्रीकियों ने न केवल अपने श्रम के द्वारा बल्कि कौशल और ज्ञान के माध्यम से भी अमेरिका को समृद्ध किया। इसके अलावा अपने भाग्य को स्वीकार करने के बजाय, वे प्रतिरोध के कार्यों में लगे रहे।

संयुक्त राष्ट्र ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार और दासता पर अपने आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से ऐसी कहानियों को सामने लाने का काम करता है, जिसे दुनिया भर में संचार विभाग और रूट्स ऑफ एनस्लेव्ड पीपुल्स प्रोजेक्ट द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा चलाया जाता है।

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