चार दिन से लगातार जल रहे हैं कुल्लू के जंगल, नवंबर में सूखे ने बढ़ाया संकट

एक अक्टूबर से 29 नवंबर के बीच हिमाचल में सामान्य से 98 फीसदी कम बारिश हुई है
नवंबर के महीने में भी कुल्लू के जंगल लगातार चार दिन से जल रहे हैं। फोटो: रोहित पराशर
नवंबर के महीने में भी कुल्लू के जंगल लगातार चार दिन से जल रहे हैं। फोटो: रोहित पराशर
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हिमाचल प्रदेश की पर्यटन नगरी कुल्लू के जंगल चार दिन से जल रहे हैं। अभी तक 100 हैक्टेयर से अधिक वन भूमि आग की चपेट में आ चुकी है। आग पर काबू में पाने के लिए अग्निशमन विभाग, स्थानीय पंचायत के लोग, पुलिस प्रशासन और वन विभाग की टीमें लगी हुई हैं।

हिमाचल के जंगलों में आग की यह अकेली घटना नहीं है, बल्कि पिछले दो महीनों यानी एक अक्टूबर से 30 नवंबर तक भारतीय वन सर्वेक्षण के आंकडों के अनुसार दावानल (फारेस्ट फायर) की 149 घटनाएं घट चुकी हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधी में 95 आग की घटनाएं हुई थी, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 57 फीसदी अधिक है।

प्रदेश में बढ़ रही दावानल की इनघटनाओं के पीछे सूखे को एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

1 अक्टूबर से 29 नंवबर तक हिमाचल में नाम मात्र बारिश हुई है। मौसम विभाग के आंकडों के अनुसार प्रदेश में सामान्य से 98 फीसदी कम बारिश हुइ है।

कुल्लू के बड़ा भुईन पंचायत के प्रधान विनोद कायस्था ने डाउन टू अर्थ को बताया कि बड़ा भुईन पंचायत के जंगलों के लगभग 2 किलोमीटर के दायरे में आग फैली हुई है।

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी इस क्षेत्र में दिवाली के समय में बड़ी आग की घटना हुई थी, जिसमें काफी वन संपदा को नुकसान पहुंचा था।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के वैज्ञानिक शोभित कटियार का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में सर्दियों के इस मौसम में बारिश बहुत कम हुई है। 2016 के बाद यह पहली घटना है जिसमें केवल 0.8 मिलीमीटर यानी एमएम बारिश हुई है। इस समय 40 एमएम बारिश होना सामान्य माना जाता है। यानी सामान्य से केवल 2 प्रतिशत बारिश हुई हे।

उन्होंने बताया कि नवंबर माह में प्रदेश के 11 जिलों में बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई है। जिससे मौसम शुष्क बना हुआ है।

3 दिसंबर के बाद प्रदेश में मौसम में बदलाव होगा और तापमान में गिरावट के साथ बारिश और बर्फबारी देखने को मिल सकती है। लंबे सूखे से जहां एक तरफ आग की घटनाएं बढ़ रही हैं वहीं दूसरी ओर इससे कृषि और बागवानी क्षेत्र को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सूखे की वजह से प्रदेश में रवि की फसलों के बुआई में असर पड़ा है। पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में कृषि अर्थशास्त्री प्रो मनोज गुप्ता ने डाउन टू अर्थ को बताया कि प्रदेश में बने सूखे से रवि फसलों की बोआई की देरी से उनके उत्पादन में असर पड़ेगा, वहीं जिन क्षेत्रों में फसलों की बुआई हो गई है, वहां बारिश न होने की वजह से उनकी सेहत पर असर पड़ेगा।

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