संसद में आज: तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में 54.25 लाख पौधे लगाए गए

एमएसडब्ल्यू-आधारित सीबीजी परियोजनाओं की स्थापना से लैंडफिल का बोझ कम होता है, मीथेन उत्सर्जन पर अंकुश लगता है।
संसद में आज: तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में 54.25 लाख पौधे लगाए गए
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सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में तमिलनाडु के द्वारा दी गई जानकारी का हवाला दिया। जिसमें कहा गया कि तमिलनाडु सरकार ने 2021-22 में हरित तमिलनाडु मिशन शुरू किया, जिसका उद्देश्य 10 सालों के भीतर राज्य के भौगोलिक क्षेत्र के वृक्षों और वन आवरण को 23.71 फीसदी से बढ़ाकर 33 फीसदी करना है।

यह मिशन जैव विविधता, वन उत्पादकता, कृषि भूमि पर वृक्षारोपण, शहरी और अर्ध-शहरी हरियाली, हरित रोजगार और किसानों की आय बढ़ाने पर आधारित है। पिछले तीन सालों (2022-23 से 2024-25) में, तमिलनाडु वन विभाग, अन्य सरकारी विभागों, गैर-सरकारी संगठनों और जनता द्वारा राज्य भर में 10.86 करोड़ पौधे लगाए गए हैं। कुड्डालोर जिले में, लोगों की भागीदारी से लगभग 54.25 लाख पौधे लगाए गए हैं।

देश में पीएनजी और सीएनजी नेटवर्क का विस्तार और कीमत तय करना

सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने राज्यसभा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) की जानकारी का हवाला दिया। जिसमें कहा गया कि देश भर में (टियर 2 और टियर 3 शहरों सहित) शहरी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क के विकास के लिए पूरे मुख्य भूमि क्षेत्र को कवर करते हुए 307 भौगोलिक क्षेत्रों (जीए) में सीजीडी नेटवर्क के विकास के लिए संस्थाओं को अधिकृत किया है।

कम से कम कार्य कार्यक्रम (एमडब्ल्यूपी) लक्ष्यों के अनुसार, अधिकृत संस्थाओं को 2034 तक लगभग 12.6 करोड़ पीएनजी घरेलू [(पीएनजी) (डी)] कनेक्शन प्रदान करने और 18,336 सीएनजी स्टेशन स्थापित करने हैं। 31 मई, 2025 तक, अधिकृत संस्थाओं ने 1.50 करोड़ से अधिक पीएनजी (डी) कनेक्शन प्रदान किए हैं और 8000 से अधिक सीएनजी स्टेशन स्थापित किए हैं।

अंडमान में तेल खोजना

अंडमान में तेल खोजने को लेकर पूछे गए एक और सवाल के जवाब में आज, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने राज्यसभा में कहा कि सरकार अंडमान-निकोबार बेसिन में कच्चे तेल और हाइड्रोकार्बन के भंडारों की खोज और पहचान के लिए निरंतर कदम उठा रही है। सरकार चाहती है कि देश की लंबे समय के लिए ऊर्जा सुरक्षा में योगदान दे सकें और आयात पर निर्भरता कम कर सकें।

हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) की शुरुआत के बाद, सरकार ने अंडमान-निकोबार बेसिन में तेल और गैस अन्वेषण के लिए चार ब्लॉक आवंटित किए हैं, जो लगभग 23,261 वर्ग किलोमीटर (एसकेएम) इलाके में फैले हैं।

अन्वेषण प्रयासों के चलते इन ब्लॉकों में 8,501 लाइन किलोमीटर 2-आयामी (2डी) भूकंपीय आंकड़े और 3,270 एसकेएम 3डी भूकंपीय आंकड़े हासिल हुए हैं और अब तक इन ब्लॉकों में तीन कुओं की खुदाई की जा चुकी है। इसके अलावा ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी)-एक्स के तहत, अंडमान बेसिन में कुल 47,058 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले चार ब्लॉक प्रस्तावित किए गए हैं।

देश में सीपीसीबी द्वारा प्रदूषित नदी के हिस्सों की पहचान करना

सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पिछले वर्षों में समय-समय पर निगरानी की गई नदी जल गुणवत्ता के आधार पर 2009 से देश में प्रदूषित नदी खंडों (पीआरएस) की पहचान करने का कार्य शुरू किया है।

अब तक, सीपीसीबी ने साल 2009, 2015, 2018 और 2022 में ऐसी चार रिपोर्ट प्रकाशित की हैं। नवंबर 2022 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा प्रकाशित पीआरएस रिपोर्ट में उपलब्ध नवीनतम जानकारी के अनुसार, 30 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की 279 नदियों पर 311 प्रदूषित नदी हिस्सों की पहचान की गई है।

शहरी विकास कार्यक्रमों में जलवायु लचीलेपन को जोड़ना

सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री तोखन साहू ने राज्यसभा में बताया कि भारतीय संविधान की 12वीं अनुसूची के अनुसार, शहरी बाढ़ प्रबंधन सहित शहरी नियोजन राज्य सरकारों और शहरी स्थानीय निकायों व शहरी विकास प्राधिकरणों के अधिकार क्षेत्र में आता है।

यह जल निकासी व्यवस्था के रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं। भारत सरकार योजनाबद्ध हस्तक्षेपों व सलाहों के द्वारा राज्यों के प्रयासों में सहायता करती है। यह शहरी नियोजन पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।

क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज असेसमेंट फ्रेमवर्क 3.0 केआंकड़ों के अनुसार, 2023 में, 95 शहरों (इस अभ्यास में भाग लेने वाले 226 शहरों में से) ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के दिशानिर्देशों के आधार पर वार्ड स्तर के खतरे और क्षमता आकलन सहित आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार की हैं।

नगर आधारित कचरे के सीबीजी संयंत्र

सीबीजी संयंत्र को लेकर उठे एक प्रश्न के उत्तर में आज, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने राज्यसभा में बताया कि चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने जैविक कचरे को बायोगैस, संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) और जैविक खाद में परिवर्तित करने के लिए कई मंत्रालयों और विभागों को शामिल करते हुए "संपूर्ण सरकार" नजरिया अपनाया है।

एमएसडब्ल्यू-आधारित सीबीजी परियोजनाओं की स्थापना से लैंडफिल का बोझ कम होता है। मीथेन उत्सर्जन पर अंकुश लगता है, वैज्ञानिक तरीके से कचरे के प्रसंस्करण को बढ़ावा मिलता है। प्रदूषण का स्तर कम होता है, कचरे को स्वच्छ ऊर्जा और जैविक खाद में बदला जाता है जिससे चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

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