
करलाझर गांव में 13 मार्च की रात 10 बजे जंगल में आग की लपटें दिखीं तो ग्रामीण चौकन्ने हो गए। करण सिंह नाग ने करीब 15 लोगों को इकट्ठा किया और तुरंत आग की तरफ दौड़ लगा दी। आग बुझाने की भागदौड़ और अंधेरे में कुछ लोग गिरकर घायल हो गए। हड़बड़ी में कुछ लोग बिना जूते या चप्पल पहने ही जंगल की तरफ भागे। करण सिंह नाग और उनके साथ गए ग्रामीणों ने झाड़ियों की मदद से ढाई से तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। रात करीब 12.30 वे आग बुझाकर घर पहुंचे।
गांव के जंगल में आग की ऐसी ही एक घटना 18 मार्च को भी घटित हुई। ग्रामीणों को वाट्सऐप ग्रुप के जरिए सुबह 10 बजे और फिर दिन के 2 बजे आग की सूचना मिली। 8-10 ग्रामीणों ने सूचना मिलने के तुरंत बाद मौके पर पहुंचकर आग बुझा दी। आग बुझाने वालों में शामिल करण सिंह नाग स्वीकार करते हैं कि इस साल असामान्य रूप से जंगल में आग की चार से पांच घटनाएं हुई हैं लेकिन सभी मामलों में ग्रामीणों ने फुर्ती से आग पर काबू पा लिया, इसलिए आग से गांव के जंगल को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा। वह डाउन टू अर्थ को स्पष्ट करते हैं कि गांव का कोई शख्स जंगल में आग नहीं लगाता। यह शरारत पड़ोसी गांवों के किसी शख्स की है।
छत्तीसगढ़ वन विभाग के अनुसार, राज्य में 2025 में आग लगने की 19,003 घटनाएं हुई हैं जो पिछले चार वर्षों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। राज्य में पिछले पांच वर्षों के दौरान आग की कुल 87,513 घटनाएं हुई हैं। गरियाबंद जिले में 2025 में 789 और इसी जिले में स्थित उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में आग की 866 घटनाएं दर्ज हुई हैं जो इन्हें सर्वाधिक आग प्रभावित स्थानों की सूची में शामिल करती हैं।
करलाझर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के उन कोर क्षेत्र के गांवों में शामिल है, जिन्हें वनाधिकार अधिनियम (एफआरए) की धारा 5 के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (सीएफआरआर) पत्र मिले हैं। गरियाबंद जिले के कुल 134 गांवों को 84,039 हेक्टेयर वन क्षेत्र पर सीएफआरआर मिला है। वहीं अगर पूरे राज्य में देखें तो कुल 4,303 गांवों को 19,36,387 हेक्टेयर क्षेत्र के वनों का सीएफआरआर हासिल हुआ है।
सीएफआरआर के लिए करलाझर की लड़ाई करीब एक दशक पहले शुरू हुई थी। लेकिन 2021 के बाद इसमें तेजी आई। करण सिंह नाग के अनुसार, वन विभाग ने हमें सीएफआरआर का अधिकार देने से मना कर दिया था क्योंकि जंगल पर वह अपना अधिकार मानता था। 2018 में हमने सीएफआरआर की मांग को लेकर डीएफओ का घेराव किया। इसके बाद 2023 तक अधिकार पत्र मिलने से पहले तक कलेक्टर के घेराव से लेकर रैलियां तक निकाली गईं।
सीएफआरआर ग्राम सभाओं को सामुदायिक वन संसाधनों तक पहुंच को विनियमित करने, प्रबंधित करने, वन्यजीवों और वनों पर प्रभाव डालने वाली किसी भी गतिविधि को रोकने का अधिकार देता है। एफआरए की धारा 5 ग्राम सभा को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देती है कि वन में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के आवास, उनकी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को प्रभावित करने वाली किसी भी प्रकार की विनाशकारी प्रथाओं से बचाए।
सीएफआरआर पाने वाले छत्तीसगढ़ के करलाझर जैसे गांवों ने एफआरए के इन प्रावधाओं का इस्तेमाल कर वन प्रबंधन की एक स्वतंत्र और प्रभावी प्रणाली विकसित की है। इसके जरिए स्थानीय समुदाय वनों का प्रबंधन तुलनात्मक रूप से वन विभाग के अधीन वनों से बेहतर कर रहे हैं। करलाझर में आग लगने की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई ऐसा ही एक उदाहरण है। सीमित संसाधनों के कारण वन विभाग के अधीन रहने वाले जंगलों में ऐसी त्वरित कार्रवाई देखने को नहीं मिलती।
वन संरक्षण के उपाय
करलाझर की सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रबंधन समिति (सीएफआरएमसी) ने जंगल की अवैध कटाई, अवैध चराई और अवैध शिकार को रोकने के लिए ठेंगापाली व्यवस्था को अपनाया है। इस व्यवस्था के तहत प्रतिदिन 5-5 लोगों की टीम बारी-बारी से जंगल में घूमती है। ठेंगापाली टीम जंगल में घूमकर निगरानी करती है और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि पकड़ने पर ग्रामसभा को सूचित करती है। ठेंगापाली के तहत करलाझर के जंगल में गस्त कर रहे 60 वर्षीय पुनीत राम बताते हैं कि गांव में 5-5 लोगों की कुल 10 टीमें हैं। हर टीम महीने में तीन दिन ठेंगापाली के लिए निर्धारित हैं।
करलाझर की सीएफआरएमसी गर्मियों के दिनों में श्रमदान के जरिए फायर लाइन तैयार करती है। इस दौरान सूखे पत्तों को गड्ढों में इकट्ठा कर खाद तैयार की जाती है। वनों के संवर्धन एवं पुनर्जनन के लिए सीएफआरएमसी जंगल की खाली जगह में पारंपरिक बीजों को संग्रहित कर सीडबॉल तैयार करती है और नर्सरी बनाकर पौधारोपण करती है। ग्रामसभा ने जंगल में मिट्ठी के क्षरण को रोकने के लिए छोटे-छोटे नालों का सर्वेक्षण कर बोल्डर चेकडैम, ब्रशहुड, गली प्लग जैसी संरचनाओं का निर्माण श्रमदान से कराया है।
करलाझर की ग्रामसभा को 2023 में 1,623.866 हेक्टेयर जंगल का सीएफआरआर हासिल हुआ जिसका प्रबंधन 2022 में बनी सीएफआरआरएमसी के हाथों में हैं। करण सिंह नाग इस समिति के अध्यक्ष हैं। उनका दावा है कि सीएफआरएमसी की सख्ती और नियमित निगरानी के कारण जंगल में लकड़ी की अवैध कटाई पूरी तरह बंद हो गई है।
उनका कहना है कि अधिकार पत्र मिलने से पहले शादी समारोह में मंडप बनाने के लिए जंगल में लकड़ी काटी जाती थी। समिति ने इस कटान को बंद कराने के लिए एक शामियाना खरीद लिया है जो जरूरत पड़ने पर ग्रामीणों को दिया जाता है। इससे शामियाने के लिए लकड़ी की कटाई बंद हो गई है। उनका यह भी कहना है कि सीएफआरएमसी की सख्ती से जंगल में अवैध शिकार बंद हो गया है। समिति ने 2023 में सांभर का अवैध शिकार करने वाले गांव के चार शिकारियों को पकड़ा था और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में उन्हें जेल भी हुई। वन विभाग ने इस काम के लिए ग्रामीणों की पीठ थपथपाई। नाग के अनुसार, उस घटना के बाद अवैध शिकार करने की किसी की हिम्मत नहीं हुई।
करलाझर का जंगल ओडिशा के नवरंगपुर जिले के अचला गांव से लगा है। अचला के पास खुद का जंगल न होने के कारण ग्रामीण महुआ, सालबीज, सरगी, तेंदू पत्तों जैसी वनोपज के लिए करलाझर के जंगल पर आश्रित हैं। करलाझर की सीएफआरएमसी ने 17 मार्च 2025 को अचला गांव के लोगों के साथ वन संरक्षण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अहम बैठक की। इस बैठक में सर्वसम्मति ने यह प्रस्ताव पास हुआ कि अचला ग्राम सभा के सभी पारा को करलाझर की नियम नीति के हिसाब से जंगल के निस्तार का अधिकार दिया जाएगा। लेकिन इसके लिए उनकी सीमा से लगे जंगल की रखवाली की जिम्मेदारी अचला ग्राम सभा की होगी। साथ ही यह भी प्रस्ताव पारित हुआ कि अचला ग्राम सभा वनोपज इकट्ठा करने जंगल में जा सकती है लेकिन जंगल में आग लगाना तथा अवैध रूप से जंगल की कटाई व दोहन नहीं करेगी।
करलाझर सहित उसके आसपास के सीएफआरआर प्राप्त 9 ग्राम सभाओं की फेडरेशन ने 2023 में जंगल से पेड़ों की कटाई रोकने के लिए देवगढ़ धाम मेले में आने वाले व्यापारियों को किराए पर बांस-बल्ली किराए पर देने का फैसला किया। इससे जहां मेले के दौरान जंगल से कटने वाली करीब 2 ट्रक लकड़ी कटनी बंद हो गई, वहीं ग्राम सभा को किराए से आमदनी भी हुई। ग्राम सभा फेडरेशन ने निर्णय लिए है कि देव दशहरा पर लगने वाले 2025 के मेले में पॉलीथीन पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगी। इस तरह के उपायों से करलाझर जंगल के साथ-साथ ग्रामीणों की आजीविका मजबूत कर रहा है।
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