ड्रैगन का नाम सुनते ही जेहन में एक आग उगलने वाले खतरनाक जीव की छवि उभरती है। लेकिन ड्रैगन फ्रूट की विशेषता इसके ठीक विपरीत है। यह फल बीमारियों से लड़ता है न कि किसी जीव से।
ड्रैगन फ्रूट कैक्टस प्रजाति के एक पौधे का फल है जिसे सुपर फूड भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें कैंसर सहित कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता है और इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। ड्रैगन फ्रूट को पिताया और स्ट्रोबेरी पेयर के नाम से भी जाना जाता है।
इसका वानस्पतिक नाम हायलोसेरीयस उंडटस है। यह मुख्यतः उष्णकटिबन्धीय क्षेत्र का पौधा है और इसकी उत्पत्ति मध्य और दक्षिणी अमेरिका माना जाता है। एनसायक्लोपीडिया ऑफ फ्रूट्स एंड नट्स के अनुसार ड्रैगन फ्रूट को पहली बार करीब 2300 वर्ष पूर्व प्री-कोलंबियन सेटलमेंट के दौरान देखा गया था। इसके बाद यूरोप के लोग इसका बीज ताइवान लेकर आए। वर्ष 1870 में फ्रांसीसी लोगों ने वियतनाम के लोगों का ड्रैगन फ्रूट से परिचय करवाया। वर्तमान में वियतनाम ड्रैगन फ्रूट का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
ड्रैगन फ्रूट के साथ जुड़ी एक लोककथा के अनुसार, हजारों साल पहले एक युद्ध के दौरान ड्रैगन जब सांस छोड़ता था तो उससे एक गोले जैसी कोई वस्तु भी गिरती थी। उस युद्ध में जब सभी ड्रैगन मारे गए तो सैनिकों ने उन गोलों को इकट्ठा कर लिया और उसे राजा को भेंट कर दिया। राजा ने उन गोलों को विजयी सैनिकों को ही इनाम के तौर पर लौटा दिया।
जब सैनिकों ने उस गोले को काटा तो उसमें से सफेद और मीठा गूदा निकला, जिसे खाने से वे सैनिक भी ड्रैगन के समान ताकतवर बन गए। ऐसा माना जाता है कि एशिया महाद्वीप में ड्रैगन फ्रूट को लोकप्रिय बनाने के लिए यह लोककथा गढ़ी गई थी, ताकि इस फल की विशेषताओं को आसानी से लोगों के बीच प्रचारित किया जा सके।
ड्रैगन फ्रूट के पौधे कैक्टस फैमिली के होने के कारण बहुत ज्यादा गरमी और ठंड को भी आसानी से झेल सकते हैं। साथ ही यह कम पोषक तत्वों वाली मिट्टी में भी जीवित रह सकते हैं और इसे पानी की भी बहुत कम आवश्यकता होती है। ड्रैगन फ्रूट के एक फल का वजन 300 ग्राम से 600 ग्राम तक हो सकता है।
दुनियाभर में ड्रैगन फ्रूट की मुख्यतः तीन प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें लाल छिलका और सफेद गूदा, लाल छिलका और लाल गूदा और पीला छिलका और सफेद गूदे वाले ड्रैगन फ्रूट शामिल हैं। ड्रैगन फ्रूट की सभी प्रजातियों में गूदों के अनगिनत कीवी जैसे बीज होते हैं, जिसे गूदे के साथ ही खाया जाता है। ड्रैगन फ्रूट का स्वाद हल्का मीठा होता है।
ड्रैगन फ्रूट के पौधे का इस्तेमाल सजावटी पौधे के तौर पर भी किया जाता है। पौधे में मई-जून के महीने में फूल आते हैं और अगस्त से दिसंबर के महीने तक फल लगते हैं। ड्रैगन फ्रूट के फूल रात में ही खिलते हैं, इसलिए इसे क्वीन ऑफ द नाइट भी कहते हैं। इसके फूल का इस्तेमाल चाय बनाने में फ्लेवर के लिए किया जा सकता है। वहीं इसके तने के गूदे का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए किया जाता है।
भारत में पिछले कुछ सालों से ड्रैगन फ्रूट की मांग बढ़ने के कारण कई किसानों ने इसकी खेती की तरफ रुख किया है। पुणे सहित देश के कई हिस्सों में इसकी खेती की जा रही है और इसको उगाने वाले किसान काफी मुनाफा भी कमा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के धमधा और कुम्हारी क्षेत्र के किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के अनुसार, प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती नौ साल पहले शुरू की गई और वर्तमान में छत्तीसगढ़ प्रतिवर्ष लगभग 50 करोड़ रुपए के ड्रैगन फ्रूट की आपूर्ति देश एवं विदेशों में करता है। उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में भी ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
जिला प्रशासन और जिला उद्यान विभाग के द्वारा ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण के साथ ही पौधों की सैपलिंग भी वितरित की जा रही है, जिससे आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों की माली हालत में सुधार लाया जा सके। उत्तर प्रदेश के ही मेरठ जिले के मोदीपुरम स्थित भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान में भी ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन को लेकर चल रहा शोध अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है।
औषधीय गुण
ड्रैगन फ्रूट में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर सहित कई बीमारियों से बचाव में सक्षम हैं। इसमें फ्लू से लड़ने वाला विटामिन सी पाया जाता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। 100 ग्राम ड्रैगन फ्रूट में 11 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.1 ग्राम प्रोटीन, 0.4 ग्राम वसा, 3 ग्राम फाइबर, 20.5 मिलीग्राम विटामिन सी, 1.9 मिलीग्राम आयरन, 0.05 मिलीग्राम विटामिन बी2, 0.04 मिलीग्राम विटामिन बी1, 22.5 मिलीग्राम फोस्फोरस, 8.5 मिलीग्राम कैल्शियम और 0.16 मिलीग्राम विटामिन बी3 पाया जाता है।
जर्नल ऑफ फूड साइंस में वर्ष 2011 में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट में पॉलीफीनॉल और फ्लावोनोइड पाया जाता है जो कई प्रकार के कैंसर की कोशिका को बनने और बढ़ने से रोकने में कारगर है। फूड केमिस्ट्री नामक जर्नल में वर्ष 2010 में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि ड्रैगन फ्रूट में बड़ी मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो कि पाचन शक्ति बढ़ाता है।
जर्नल ऑफ फार्माकोग्नोसी रिसर्च में वर्ष 2010 में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट का नियमित सेवन तनाव को दूर करता है और मधुमेह को भी नियंत्रित रखता है। वर्ष 2012 में 3 बायोटेक नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि ड्रैगन फ्रूट में मोटापा दूर करने वाले तत्व पाए जाते हैं तथा यह कई प्रकार के हृदय रोगों को भी ठीक कर सकता है।
व्यंजन
सामग्री:
अब इलेक्ट्रिक बीटर से एक ही दिशा में घुमाते हुए हाई मोड पर 15 मिनट तक क्रीम को बीट करते रहें। जब क्रीम फूलकर दोगुना हो जाए तो इसमें पिसी हुई चीनी और वनीला एसेंस मिलाएं और 10 मिनट के लिए बीट करें और तैयार क्रीम को फ्रीजर में रख दें। अब ड्रैगन फ्रूट को बीच से काटकर उसका गूदा एक चम्मच से निकाल लें और इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। केले को भी छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। अब क्रीम वाले भगोने में ड्रैगन फ्रूट और केले के टुकड़ों को डालकर इलेक्ट्रिक बीटर से 10 मिनट के लिए बीट करें। अब एक कंटेनर में मिश्रण को डालकर 2 घंटे के लिए फ्रीज करें। फिर इसे फ्रीजर से निकालकर हैंड मिक्सर से हिलाएं, जिससे आइसक्रीम पर जमी बर्फ टूट जाए। अब कंटेनर को फिर से 6-8 घंटे के लिए फ्रीज करें। आइस स्कूप से निकालकर और किशमिश से सजाकर परोसें। |