भुखमरी-कुपोषण दूर करने वाली सामुदायिक रसोई पर राज्यों की सुस्ती, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया जुर्माना

पांच महीने बाद भी पांच राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश को छोड़कर किसी ने भी नोटिस का जवाब नहीं दिया। इससे नाराज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों पर पांच लाख का जुर्माना लगाया
Photo: Arpita Sarkar, Anjor Bhaskar
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नोटिस मिलने के पांच महीने बीत जाने के बाद भी अधिकांश राज्य देश में फैली भुखमरी, कुपोषण और भुखमरी से होने वाली मौतों को कम करने के लिए सामुदायिक रसोईघरों की स्थापना की मांग वाली याचिका पर अपना जवाब नहीं दे सके। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए जवाब नहीं देने वाले राज्यों पर पांच लाख रुपए जुर्माना लगाते हुए एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। साथ ही, वो राज्य जिनके जवाब तैयार हैं लेकिन दाखिल नहीं किए गए हैं, उन्हें एक दिन का समय देते हुए कोर्ट ने जुर्माने की राशि एक लाख रखी है। हालांकि, अंडमान और निकोबार, पंजाब, कर्नाटक, उत्तराखंड, झारखंड, नगालैंड और जम्मू कश्मीर ने इस मामले में अपना जवाब कोर्ट को दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में भुखमरी और कुपोषण जैसे विषय पर राज्यों की सुस्ती को दुर्भाग्यपूर्ण कहा है।

दरअसल नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि वह देश में फैली भुखमरी, कुपोषण और भुखमरी से होने वाली मौतों को कम करने के लिए सामुदायिक रसोईघरों की स्थापना की मांग वाली याचिका पर अपना जवाब दाखिल करे।

भुखमरी से 'जीने के अधिकार' को खतरा

भुखमरी और कुपोषण को लेकर वर्ष 2019 में इस विषय पर सामाजिक कार्यकर्ता अनुन धवन, ईशान धवन और कुंजना सिंह ने वकील असीमा मंडला, फुजैल अहमद अय्यूबी और मंदाकिनी सिंह के माध्यम से ये याचिका दायर की थी। इस याचिका में आंकड़ों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं ने भविष्य में भयानक कुपोषण और उससे होने वाली मृत्यु की आशंका जाहिर की थी। याचिका के मुताबिक कुपोषण और भुखमरी एक खतरनाक दर से बढ़ रही है, जिससे 'भोजन के अधिकार' को खतरा है जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत 'जीने के अधिकार' में शामिल है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सामुदायिक रसोई की स्थापना के लिए योजनाएं बनाने के लिए दिशा-निर्देश मांगे हैं। याचिकाकर्ताओं ने भारत में चल रहे सामुदायिक रसोई जैसे आंध्र प्रदेश में अन्ना कैंटीन, तमिलनाडु में अम्मा उनावगम,  ओडिशा में अहार केंद्र जैसी कई योजनाओं का जिक्र भी किया है। देश के अलावा याचिका में विदेश से अमेरिका और यूरोप में सूप किचन के उदाहरण भी शामिल किए गए हैं। ऐसे रसोई में बाजार मूल्य से कम में भोजन दिया जाता है।

बेघरों और बिना दस्तावेज के लोगों को कैसे मिलेगा खाना

कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है कि बेघरों और बिना दस्तावेज के लोगों के लिए एक राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड का निर्माण हो, जिससे किसी कमी की वजह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली से वंचित रहने के बाद उनका भोजान सुनिश्चित हो सके। बेघर और बिना आधार कार्ड वाले लोगों के लिए योजनाओं पर अदालत में हलफनामा दाखिल नहीं करने की वजह से अदालत ने यह जुर्माना लगाया।

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