स्कूलों में बच्चों को अर्द्धसूत्रण (मिओसिस) की प्रकिया को समझाने के लिए प्याज के फूलों का खूब इस्तेमाल होता है। इस प्रक्रिया में पराग बनते समय गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है।
प्याज के फूलों का यह उपयोग देखकर हो सकता है कि कुछ लोग इसे खाने के बारे में कतई न सोचें लेकिन इसके डंठल का उपयोग लंबे समय से भोजन के रूप में किया जाता रहा है। ये डंठल हरी प्याज की पत्तियों की तुलना में अधिक लेकिन मुख्य प्याज की तुलना में कम तीखे होते हैं। सर्दी के मौसम फूलों के डंठल सीमित मात्रा में बाजार में मिलते हैं और अक्सर ऊंची कीमत पर बिकते हैं। दक्षिणी दिल्ली के चितरंजन पार्क के बाजार में जहां से मैंने इसे खरीदा था, वहां इसे पियाजकोली कहा जाता है। लगभग 200 ग्राम की पियोजकोली 30 रुपए में मिली। पश्चिम बंगाल में सर्दियों के महीनों में इन डंठलों को छौंक कर खाया जाता है। देश के अन्य प्रदेशों में जहां भी प्याज की खेती होती है, वहां लोग इसे खाने में उपयोग कर लेते हैं। प्याज की खेती में डंठलों को काटकर निकालना पड़ता है क्योंकि इनके उगते ही प्याज की गांठ का विकास कम होने लगता है।
भोजन के तौर पर इसे खाने का लंबा इतिहास होने के बावजूद प्याज के फूलों के गुणों के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। मार्च 2023 में जाकर एंटीऑक्सीडेंट जर्नल में फूल के जैविक गुणों के बारे में पहली बार विस्तृत अध्ययन प्रकाशित हुआ। अध्ययन में स्पेन और पुर्तगाल के शोधकर्ताओं ने ताजे फूलों के एथेनॉलिक अर्क का पॉलीफेनोलिक प्रोफाइल, एंटीऑक्सिडेंट और मोटापा-रोधी गुण पता लगाया। टीम ने पहली बार फूल से कैम्फेरोल (जिसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, रोगाणुरोधी, कार्डियोवास्कुलर और न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं) और आइसोरहैमनेटिन ग्लूकोसाइड्स (हृदय कोशिकाओं को सूजन, ऑक्सीडेटिव क्षति और एपोप्टोसिस से बचाव में सहायक) नामक रासायनिक यौगिकों को अलग किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि फूल के अर्क ने नेमाटोड्स में वसा जमाव को कम कर दिया। अध्ययन ने पहली बार प्याज के फूलों में एंटीऑक्सीडेंट और मोटापा रोधी गुणों को स्थापित किया। साथ ही भोजन के रूप में इसके उपयोग और पौष्टिक औधष (न्यूट्रास्यूटिकल) के रूप में इसे मान्यता दी।
प्याज के फूल के डंठल की सब्जी में प्याज का हल्का स्वाद होता है। सलाद और सूप में भी इसका इस्तेमाल हो सकता है। पश्चिम बंगाल की रेसिपी में अक्सर फेंक दिए जाने वाले फूलों में तेल और सिरका मिलाकर चटनी के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्राचीन इतिहास
प्याज शब्द फारसी भाषा से लिया गया है। हालांकि इस पौधे के मूल स्थान की सटीक जानकारी स्पष्ट नहीं है लेकिन माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति मध्य एशिया में करीब 5,000 साल पहले हुई थी। प्याज की अधिकांश प्रजातियां भूमध्यसागरीय बेसिन से ईरान और अफगानिस्तान के बीच पाई जाती हैं। इससे संकेत मिलता है कि यही प्याज की उत्पत्ति का स्थल है।
प्याज की आकृतियां मिस्र में पिरामिड की दीवारों और तीसरी व चौथी सल्तनत (2700 ईसा पूर्व) के मकबरों में उकेरी गई हैं। मान्यता है कि मिस्र के लोग प्याज की आराधना करते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि यह शाश्वत जीवन का प्रतीक है। इसीलिए ममी के साथ प्याज भी दफनाई जाती थी। यही वजह थी कि पुरातत्ववेत्ताओं को 1160 ईसा पूर्व मारे गए राजा रामसेस चतुर्थ की ममी के आंख में रखी गई छोटी प्याज मिली। मिस्र के बाल नरेश तूताखामन के मकबरे में भी प्याज मिली थी।
प्राचीन यूनान के योद्धा अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में प्याज (जो वास्तव में प्याज के ठंडल और उसकी पत्तियां हैं) खाते थे। रोमन भी प्याज का नियमित सेवन करते थे और अपने योद्धाओं की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए प्याज उनके शरीर पर मलते थे। फ्रांस के भोजन को संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकप्रिय बनाने वाली अमेरिकी शेफ जूलिया चाइल्ड ने एक बार कहा था कि प्याज के बिना सभ्यताओं की कल्पना करना भी मुश्किल है।
प्याज के बीज पानी से भारी धातुओं को हटाने में उपयोगी पाए गए हैं। शोधकर्ताओं ने सितंबर 2021 में कीमोस्फेयर जर्नल में बताया था कि जब उन्होंने भारी धातुओं क्रोमियम, कैडमियम, जिंक, कॉपर और लेड के खिलाफ बीज बायोमास का उपयोग किया तो उन्होंने पाया कि बीज बायोमास जिंक और क्रोमियम के बजाय लेड, कॉपर और कैडमियम को हटाने में अधिक उपयोगी हैं।
लिलियासी या लिली परिवार के सदस्य प्याज (एलियम सेपा) के फूल बेहद आकर्षक होते हैं। यह छोटी-छोटी गेंदों के गुच्छे सरीखे प्रतीत होते हैं। इन्हें कटे फूलों के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस हरी सब्जी को खरीदने के बाद मैं इसका ऐसे भी इस्तेमाल करती हूं।
व्यंजन : प्याज के डंठल की सब्जीसामग्री |
विधि: फूल के डंठल 1.5 इंच लंबे टुकड़ों में काट लें। कलियों को अलग रखें। आलू समान आकार के टुकड़ों में काट लें। अब पैन में वनस्पति तेल, सरसों व साबुत लाल मिर्च डालें। उसके बाद हल्दी पाउडर और मिर्च पाउडर डालें। इसमें आलू एवं नमक डालें और कुछ मिनट तक पकाएं (टुकड़े अधपके होने चाहिए)। इसमें पियाज कली के टुकड़े डालें। इसे डंडी और आलू दोनों नरम होने तक पकाएं। फिर चीनी डालकर अच्छे से मिलाएं। अब आंच से उतारकर सरसों का तेल छिड़क दें। इसका आनंद रोटी, चावल और या दाल के साथ लिया जा सकता है। |
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