हर साल 1.1 करोड़ लोगों की जान ले रही है स्वस्थ आहार की कमी

दुनिया भर में पर्याप्त पोषक आहार ना मिल पाने के कारण बड़ी संख्या में लोग कुपोषण जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं जोकि कई बीमारियों की जड़ है
हर साल 1.1 करोड़ लोगों की जान ले रही है स्वस्थ आहार की कमी
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स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ आहार बहुत जरुरी होता है, अनुमान है कि इसकी कमी हर साल दुनिया भर में करीब 1.1 करोड़ लोगों की जान ले लेती है। इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट द्वारा साझा की गई जानकारी से पता चला है कि असुरक्षित भोजन के सेवन से हर साल करीब 4.2 लाख लोगों की मौत हो रही है। स्वस्थ आहार हमारे शरीर की बुनियादी जरूरतों में से एक है।

अनुमान है कि दुनिया भर में पर्याप्त पोषक आहार ना मिल पाने के कारण बड़ी संख्या में लोग कुपोषण जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं जोकि कई बीमारियों की जड़ है। इसका सीधा असर देशों की स्वास्थ्य प्रणाली और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।

वैश्विक स्तर पर इस समस्या से निपटने और सबके लिए स्वस्थ आहार सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने एक गठबन्धन किया है। इसका मकसद सबके लिए स्वस्थ आहार के साथ-साथ खाद्य प्रणलियों में व्यापक बदलाव करना है जिससे सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। यूएन एजेंसियों का कहना है कि इस नई पहल के जरिए स्वास्थ्य, पोषण व पर्यावरण के सतत विकास को मजबूत किया जाएगा।

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की जिन पांच एजेंसियों ने आधिकारिक रूप से इस गठबंधन में शामिल होने की बात कही है उनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्लूएफपी), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) और खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) शामिल हैं।

सिर्फ पेट भरना ही नहीं, स्वस्थ आहार भी है जरुरी

इस गठबंधन की घोषण वर्ष 2021 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणालियों की शिखर बैठक के दौरान की गई थी। इसका उद्देश्य एक ऐसी दिशा में सामूहिक प्रयासों को संगठित व समर्थित करना है, जिससे शाश्वत खाद्य प्रणालियों की मदद से सभी के लिये सेहतमन्द आहार सुनिश्चित किया जा सके।

एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में करीब 300 करोड़ लोगों को सेहतमन्द आहार नहीं मिल रहा है। देखा जाए तो वैश्विक स्तर पर बीमारियों के बोझ के लिये जिम्मेदार 10 प्रमुख जोखिमों में से छह के लिए गैर स्वास्थ्यकर भोजन ही जिम्मेवार है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार कुपोषण सीधे तौर पर भोजन के मूल अधिकार का उल्लंघन है, जिसकी वजह से स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है और सामाजिक विषमताएं कहीं ज्यादा गहरा रही हैं। 

इतना ही नहीं जिस गैर-जिम्मेदाराना तरीके से खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए वनों की कटाई की जा रही है और जैवविविधता एवं महासागरों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है उससे स्थिति और बदतर हो रही है। इनकी वजह से जहां जूनोटिक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है साथ ही रोगाणुरोधी प्रतिरोध भी बढ़ रहा है जो अपने आप में नई समस्याएं पैदा कर रहा है।

मनुष्य और पर्यावरण को बीमार बना रही है मौजूदा खाद्य प्रणलियां

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि मौजूदा खाद्य प्रणालियां हमें बीमार बना रही हैं। ऐसे में इनमें बदलाव जरुरी है, जिससे स्वास्थ्य के साथ-साथ सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। जो आहार शाश्वत खाद्य प्रणालियों के जरिए हासिल होता है वो पर्यावरण के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। यह बीमारियों को दूर रखता है।

देखा जाए तो सेहतमन्द आहार का मतलब केवल पेट भरना ही नहीं है बल्कि इसका अर्थ सबके लिये स्वास्थ्यकर भोजन से है। इसे हमारी थाली तक कैसे पहुंचाया जाता है उससे जुड़ा उत्पादन और वितरण भी मायने रखता है। हमें ऐसी प्रणाली को बढ़ावा देना चाहिए जिससे न केवल स्वस्थ आहार मिल सके साथ ही पर्यावरण, मृदा, जल और जैवविविधता की भी रक्षा हो सके। 

इस क्रम में, संयुक्त राष्ट्र ने सुसंगत नीतिगत कार्रवाई, तौर-तरीकों, आंकड़ों की उपलब्धता और संसाधनों के आबंटन की अहमयित को भी रेखांकित किया है। इस गठबन्धन की कार्ययोजना जिन तीन बिन्दुओं पर आधारित है वो निम्नलिखित हैं:

  • खाद्य प्रणालियों पर कार्रवाई के लिये मौजूदा विशेषज्ञता व हितधारकों में बेहतर समन्वय व संगठित प्रयास करना।
  • देशो के बीच एक दूसरे के अनुभवों से सीखने और समझने पर जोर देना।
  • देशों की प्राथमिकताओं के आधार पर पोषण, स्वास्थ्य और सततता के एकीकरण के जरिए, विशेष परियोजनाओं का प्रबन्धन करना।

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस पहल के जरिए 2030 के लिए एसडीजी के अनेक अहम उद्देश्यों जैसे भुखमरी और कुपोषण आदि को दूर करने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं इसकी मदद से सबके लिए स्वस्थ आहार सुनिश्चित हो सकेगा, जो स्वास्थ्य और कल्याण में मददगार होगा।

इससे संचारी और गैरसंचारी रोगों के प्रसार में कमी आएगी। साथ ही जलवायु परिवर्तन और पोषण जैसे मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह पहल खाद्य प्रणाली में शाश्वत खपत व उत्पादन को भी बढ़ावा देगी।

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