आपने अक्सर बुजुर्गो को कहते सुना होगा – “नहाए के बाल और खाए के गाल अलग नजर आ जाते हैं। कहने को ये बहुत साधारण सी बात है, लेकिन इसके मायने बहुत गहरे हैं”। जैसा आपका खान-पान होता है चेहरे पर चमक भी वैसी ही होती है।
हमारी सेहत एक तरह का इनवेस्टमेंट (निवेश) है। जैसा निवेश करेंगे, रिटर्न भी वैसा ही मिलेगा। यानी जितना अच्छा खाना खाएंगे, सेहत उतनी ही अच्छी रहेगी। अच्छे खाने से मतलब संतुलित आहार से है। यानी आपके खाने में वो तमाम ज़रूरी पोषक तत्व होना लाज़मी हैं, जिसकी आपके शरीर को ज़रूरत है।
अफसोस की बात है कि ज़्यादातर लोग चटर-पटर, तला-भुना तो खूब खाते हैं, परंतु संतुलित आहार नहीं लेते। इसकी भी कई वजह हैं। पहली वजह तो यही है कि हम हर समय दौड़ते-भागते रहते हैं।हमारे पास हरेक काम करने का समय होता है, लेकिन, सुकून से खाना खाने का टाइम बिल्कुल नहीं होता।
लिहाजा जो मिलता है, आनन-फानन में वही खा कर सिर्फ पेट भर लेते हैं। कई लोगों को ये पता ही नहीं होता कि उन्हें कौन सी चीज़ खाने से कौन सा पोषक तत्व मिल सकता है। हम सभी खुद को कैसे तंदुरुस्त और सेहतमंद रखें, इसके लिए कई तरह की रिसर्च की जा रही हैं।
वैज्ञानिकों ने ऐसी सौ चीजों की लिस्ट बनाई है, जिन्हें खान-पान का हिस्सा बनाकर हम अपने शरीर को सभी ज़रूरी पोषक तत्व दे सकते हैं। इसी क्रम में चलिए, कोदो मिलेट से आपको रूबरू कराते हैं।
कोदो, जिसे अंग्रेजी में कोदो मिलेट या काउ ग्रास के नाम से जाना जाता है। कोदो के दानों को मिलेट के रूप में खाया जाता है और कोदो का वानस्पतिक नाम पास्पलम स्कोर्बीकुलातम हैं। कोदो औषधीय महत्व की फसल है। इसे शुगर फ्री चावल के नाम से ही पहचान मिली है। यह मधुमेह के रोगियों के लिए उपयुक्त आहार है।
स्वास्थ्य और खाद्य पदार्थों के विशेषज्ञ, वन्य आधारित खेती के जनक मिलेट मेन ऑफ़ इंडिया के नाम से जाने जाते हैं खादर वली। वली बताते हैं, “मिलेट स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए वरदान हैं, जिनके माध्यम से आधुनिक जीवन शैली की बीमारियों (मधुमेह, रक्तचाप, थायराइड, मोटापा, गठिया, एनीमिया और 14 प्रकार के कैंसर) को ठीक किये जा सकते हैं”।
वर्ष 2009 में जर्नल ऑफ एथनोफार्माकोलोजी में प्रकाशित एक शोध कोदो को मधुमेह के रोगियों के लिए स्वास्थ्यवर्धक पाता है। वहीं, वर्ष 2005 में फूड केमिस्ट्री नामक जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार कोदो में फाइबर काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो लोगों को मोटापे से बचाता है।
वर्ष 2014 में प्रकाशित पुस्तक हीलिंग ट्रडिशंस ऑफ द नॉर्थवेस्टर्न हिमालयाज के अनुसार कोदो बुरे कोलेस्ट्रोल घटाने में भी मददगार साबित होता है।
कोदो क्या है?
कोदो का पौधा धान के पौधे जैसा ही होता है, लेकिन खास बात यह है कि इसकी खेती में धान से बहुत कम पानी की जरूरत होती है। लोग कोदो के बारे में इतना ही जानते हैं, लेकिन कोदो का पौधा 60-90 सेमी तक ऊंचा व सीधा होता है।
इसके बीज चमकीले, गहरे बैंगनी रंग के, छोटे, सफेद, गोल सरसों के समान होते हैं। इसका रंग श्यामला होता है। कोरोना काल ने लोगों के खानपान की आदत को भी बदला है और अब स्वाद के साथ लोग सेहत पर भी ध्यान दे रहे हैं।
प्राचीन इतिहास
खाद्यान्न फसलों में कोदों (पेस्पैलम स्कोर्बिकुलेटम) भारत का एक प्राचीन अन्न है, जिसे ऋषि अन्न का दर्जा प्राप्त है । ऐसा माना जाता है कि जब महर्षि विश्वामित्र जब सृष्टि की रचना कर रहे थे तो सबसे पहले उन्होंने कोदों अन्न की उत्पत्ति की थी।
यह एक जल्दी पकने वाली सबसे अधिक सूखा अवरोधी आदिवासी प्रिय फसल है। यह गरीबों की फसल मानी जाती है, क्योंकि इसकी खेती अनउपजाऊ भूमियों में बगैर खाद-पानी के की जाती है।
एक अनुमान के मुताबिक 3,000 साल पहले इसे भारत लाया गया। दक्षिणी भारत में, इसे कोद्रा कहा जाता है और साल में एक बार उगाया जाता है। यह पश्चिमी अफ्रीका के जंगलों में एक बारहमासी फसल के रूप में उगता है और वहां इसे अकाल भोजन के रूप में जाना जाता है। अकसर यह धान के खेतों में घास के समान उग जाता है।
कहां पाया जाता है?
भारत में कोदो पैदा करने वाले राज्य महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ भाग, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ पश्चिम बंगाल के कुछ भाग, बिहार, गुजरात एंव उत्तर प्रदेश है। और यह भारत के अलावा मुख्य रूप से फिलिपींस, वियतनाम, मलेशिया, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका में उगाया जाता है। दक्कन के पठारी क्षेत्र को छोड़कर भारत के अन्य हिस्सों में इसे बहुत ही छोटे रकबे में उगाया जाता है।
औषधीय गुण
एंटी मधुमेह
कोदो के नियमित सेवन से ब्लड में उपस्थित ग्लूकोस के स्तर को कम किया जा सकता हैं, क्योंकि कोदो में मधुमेह विरोधी कंपाउंड क्वेरसेटिन, फेरुलिक एसिड, पी-हाइड्रॉक्सीबेन्जोइक एसिड, वैनिलिक एसिड और सीरिंजिक एसिड पाया जाता हैं।
एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गतिविधि
कोदो में पॉलीफेनोल और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं। पॉलीफेनॉल्स मानव शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया जैसे स्टैफिलोकोकस ऑरियस, ल्यूकोनोस्ट ल्यूकोनोस्टोक मेसेन्टेरोइड्स, बेसिलस सेरेस और एंटरोकोकस फेसेलिस के खिलाफ लड़ने में सहायक होता हैं।
मोटापा विरोधी
कोदो में उच्च में फाइबर है जिससे यह वजन को बढ़ने से रोकता है। यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में वृद्धि को रोकने में भी मदद करता है और वजन का प्रबंधन करने और वजन घटाने को बढ़ावा देता है।
कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप विरोधी
हृदय रोग के लक्षण, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर से पीड़ित महिलाओं के लिए कोदो बहुत फायदेमंद है।