दुनिया भर में बढ़ते संघर्ष और जलवायु परिवर्तन के चलते एक बड़ी आबादी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही थी, कोरोना महामारी ने इस संकट को और बढ़ा दिया है। दुनिया की बड़ी आबादी भुखमरी का शिकार है। इसी को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने दुनिया के सबसे ज्यादा खाद्य असुरक्षित 4.9 करोड़ लोगों के जीवन को 2021 में संवारने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए एफएओ को करीब 7,991 करोड़ रुपए (110 करोड़ डॉलर) की जरुरत है।
यह वो लोग हैं जो अपने अस्तित्व के लिए कृषि पर निर्भर हैं। ऐसे में एफएओ का लक्ष्य इन लोगो तक जरुरी मदद पहुंचाना है जिससे वो पैदावार में वृद्धि कर सकें जो ज्यादा से ज्यादा लोगों को पोषण दे सके। उसका लक्ष्य इस तरह के खतरों से निपटने के लिए स्थानीय समुदायों को मजबूत बनाना, उनकी क्षमता में सुधार करना और उन्हें इस लायक बनाना है कि वो संकट के समय में भी अपनी आजीविका और अस्तित्व को बचाए रख सकें।
यदि एफएओ द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों को देखें तो दुनिया भर में करीब 13.5 करोड़ लोगों की स्थिति सबसे बदतर है जो खाद्य संकट का सबसे ज्यादा शिकार हैं। इनमें से करीब 7.3 करोड़ लोग अफ्रीका और 4.3 करोड़ मध्यपूर्व और एशिया के हैं।
एफएओ की एमरजेंसी एंड रेसीलैंस डिवीजन के निदेशक डॉमिनिक बर्गर के अनुसार पिछले साल जो संकट उत्पन्न हुआ था उसके 2021 में भी जारी रहने की सम्भावना है ऐसे में इसपर तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है। एफएओ का मानना है कि इनमें से 3 करोड़ लोगों के लिए स्थिति सबसे ज्यादा बदतर है जो खाद्य असुरक्षा के चरण 4 का सामना कर रहे हैं, जिसका मतलब है कि वो पहले से ही इस हालात में हैं कि उनके लिए भोजन नहीं है और वो इसके चलते भूखे मरने को मजबूर हैं। इन लोगों की सम्पति और आजीविका के साधन पहले ही नष्ट हो चुके हैं। लाखों लोग बुरी स्थिति में जीवन काट रहे हैं, जिनको मदद की जरुरत है। इनमें से कई लोग अपने जीवन और जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि पर निर्भर है हर पांच में से चार लोग
कृषि इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकिं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले हर पांच लोगों में से चार अपनी जीविका के लिए किसी न किसी रूप में कृषि पर निर्भर हैं। ऐसे में गंभीर खाद्य असुरक्षा का सबसे पहला शिकार वो ही बनते हैं। ऐसे में आकाल से निपटने और उसे कम करने की शुरुवात ग्रामीण क्षेत्रों से करनी चाहिए। इसके लिए बड़े पैमाने पर सामूहिक कार्रवाई को शामिल करना चाहिए।
एफएओ पहले ही कोविड-19 से उपजे सामाजिक और आर्थिक संकट के खिलाफ 2.4 करोड़ लोगों को मदद पंहुचा चुका है, जिससे वो अपना जीवन पुनः शुरू कर सकें। इसके साथ ही अफ्रीका और यमन में भी टिड्डियों के हमले के खिलाफ एफएओ ने 31 लाख टन अनाज को बचाने में मदद की है, जिसकी कीमत करीब 6,821 करोड़ रुपए है। यह इतना अनाज है जिससे करीब 2 करोड़ लोगों के सालभर के खाने की जरुरत को पूरा किया जा सकता है।
2021 में एफएओ की योजना 30 से ज्यादा देशों में अत्यधिक भुखमरी का सामना कर रहे समुदायों की मदद करने की है। जिसमें डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया और यमन जैसे देश शामिल हैं। गौरतलब है कि यमन संघर्ष और आर्थिक पतन के चलते दुनिया के सबसे खराब संकट के दौर को झेल रहा है। इसके साथ ही यहां के किसान टिड्डियों और प्राकृतिक आपदाओं से भी जूझ रहे हैं। ऐसे में एफएओ का लक्ष्य वहां 63 लाख लोगों तक आर्थिक और कृषि सम्बन्धी मदद पहुंचाने का है, जिससे वो इस संकट के दौर का सामना कर सकें।
इसी तरह सीरिया में 1.2 करोड़ लोगों को कृषि सम्बन्धी मदद देने की योजना है। वहीं इथियोपिया में भुखमरी का सामना कर रहे 67 लाख लोगों की मदद करने की योजना है, जबकि दक्षिणी सूडान में भी 60 लाख लोगों को खाद्य संकट से निपटने, कृषि को बेहतर बनाने और उपज में वृद्धि करने की है।