आहार संस्कृति: पोषण की खान है अमरूद, ऐसे बनाएं चटनी

सेहत के लिए फायदेमंद अमरूद आसानी से उगते हैं और देश के लगभग सभी हिस्सों में मिलते हैं
फोटो: विभा वार्ष्णेय / सीएसई
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ये तो पक्का है कि एक साथ बहुत सारे अमरूद खरीदना एक बड़ी गलती है, वो भी तब, जब घर में केवल आपको ही यह फल पसंद हो। असल में जैसे-जैसे अमरूद पकते हैं, उसकी गंध तेज होती जाती है। फिर आपके पास दो ही विकल्प बचते हैं, या तो आप इन्हें तुरंत खा लें या फेंक दें। दूसरा विकल्प मुझे पसंद नहीं है, इसलिए मैं बस एक-दो अमरूद ही खरीदती हूं। वैसे पके हुए फल की चटनी और सब्जी बहुत लज्जतदार होती है। ऐसे में अगर ठेला भर अमरूदों को देखकर मन ललचाए तो ज्यादा खरीद भी सकते हैं।

कच्चे अमरूद खाने का मजा सर्दियों में काले नमक या चाट मसाले के साथ है। चूंकि यह आराम से मिलने वाला स्ट्रीट फूड है, इसलिए जब भूख लगे, तब इसे खा सकते हैं। फल वाला अमूमन इसके चार हिस्से करता है और उसमें चाकू से ही काले नमक का मसाला लगा देता है। कई फल वाले इन्हें फूल ही तरह भी काटकर पेश करते हैं।

अमरूद (सिडियम गुआजावा) भारत में इतना लोकप्रिय है कि अपने देश में सबसे ज्यादा उगाया जाता है और आम, केले व संतरे के बाद इसका उत्पादन ही सबसे ज्यादा होता है। इसकी खेती और उत्पादन हर साल बढ़ रहा है। 2022 में इसका उत्पादन क्षेत्र 315 हजार हेक्टेयर था जबकि 1991-92 में केवल 94 हजार हेक्टेयर था। उसकी तरह 2022 में करीब 4.92 मिलियन टन का उत्पादन हुआ जो 2015 के 3.99 मिलियन टन से ज्यादा है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अनुसार, 2021-22 में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा उत्पादन हुआ, उसके बाद मध्य प्रदेश और बिहार में।

इसका मूलस्थान मध्य अमेरिका है और इसे 17वीं शताब्दी में भारत लाया गया था। अमरूद झाड़ीनुमा पेड़ है जो उष्णकटिबंधीय व उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में आराम से उगता है। इसका फल देश-विदेश में खाया जाता है और मौजूदा समय में 60 देशों में इसका व्यापार होता है। तेज गर्मी और सूखे की स्थिति भी यह सहन कर लेता है लेकिन ठंड और बारिश फल को नुकसान पहुंचाती है। फल आने के मौसम में इसे पानी की लगातार जरूरत होती है। बूंद सिंचाई इसके लिए बहुत मुफीद है। अमरूद उगाने वाले किसानों के लिए यह अच्छा है और बदलते तापमान में यह एक महत्वपूर्ण फसल हो सकती है।

अमरूद में फल पूरे साल लग सकते हैं और बढ़िया बात यह है कि किसान अपनी पसंद से फूल उगाने का समय सुनिश्चित कर सकता है। बहुत ही आसान तरीकों से फूल उगाने का समय बदला जाता है। चाहे तो आप सिंचाई कुछ रोक दें या टहनियां व जड़ों की कटाई छटाई कर दें या यूरिया का छिड़काव कर दें। अमरूद में फूल तीन बार लगता है और इन्हें बहार कहा जाता है। ये है मृगबहार जिसमें फूल जून में लगता है, हस्ता बहार जहां फूल अक्टूबर में होता है और अंबे बहार जहां फूल फरवरी में उगता है। इन बहारों के फल नवंबर, मार्च और जुलाई में तैयार हो जाते हैं। लगभग 80-90 प्रतिशत फूल फल बनना शुरू होते हैं पर अंत तक केवल 35 से 60 प्रतिशत ही फल तैयार हो पाते हैं।

भले ही सर्दियों में फल की मांग ज्यादा होती है पर दक्षिण भारत में बारिश के फल तोड़े जाते हैं क्योंकि इस समय ये महंगे बिकते हैं। अमरूद का व्यापार अच्छा है क्योंकि इसके फल आराम से ढोए जा सकते हैं। व्यापार को बढ़ाने के लिए बेहतर किस्में भी विकसित की गई हैं। इनमें लाल अमरूद काफी लोकप्रिय है। लाल अमरूद 50 साल पहले तो एकदम दुर्लभ था पर अब कुछ ऐसी हाइब्रिड किस्में बनाई गई हैं, जिसमें सब फल लाल ही होते हैं, उदाहरण के लिए भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान द्वारा बनाई गई अरका किरन और लखनऊ स्थिति केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा विकसित ललित किस्म। इलाहाबाद सुरखा के फल अंदर और बाहर दोनों तरफ से ही लाल हैं और साथ ही मीठे और कम बीज वाले भी हैं।

अमरूद की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए कृषि तकनीक को भी बेहतर किया गया है। पहले केवल 275 पौधे प्रति हेक्टेयर उगाए जाते थे। अब केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने मीडो ऑर्चर्ड सिस्टम बनाया है जिसमें 5,000 पौधे प्रति हेक्टेयर उगाए जा सकते हैं। इससे पैदावार तो बढ़ती ही है।

खुशबू का इस्तेमाल

अमरूद बेहद पोषणकारी है और इसमें विटामिन सी, बी, ए, बीटा केरोटीन, लाइपोसीन, ल्यूटीन और क्रिप्टोसैंथीन जैसे फ्लेविनॉयड हैं। अमरूद में संतरे से पांच गुणा अधिक विटामिन सी है। साथ ही इसमें पैक्टीन, कैल्शियम और फास्फोरस भी काफी है। इतने फायदे होने के बावजूद अगर आप अमरूद सिर्फ इसलिए न खाएं कि इसकी गंध तेज है तो ये आपकी गलती होगी। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि सभी को इसकी गंध खराब लगती है। मैक्सिको में लोग पके हुए अमरूद को बिस्तर के पास रखते हैं ताकि उसकी गंध से खटमल भाग जाएं। ताजे अमरूद की खुशबू इत्र में भी प्रयोग की जाती है। 2007 में एजिलाबेथ अर्डन कंपनी ने बिलीव नामक इत्र लॉन्च किया जिसमें अमरूद का इस्तेमाल किया गया था। इसमें अमरूद के साथ संतरे की भी खुशबू है।

व्यंजन

अमरूद-धनिया की चटनी

पका अमरूद : 1
धनिया की पत्ती : 50 ग्राम
हरी मिर्च : 2
नीबू: 1
काली मिर्च : आधा चम्मच
भुना जीरा पाउडर : आधा चम्मच
अदरक : आधे इंच का टुकड़ा

विधि : अमरूद को काटकर बीज अलग कर दें। इसे छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें। हरी मिर्च और अदरक को भी काट लें। शेष सामग्री में इन्हें मिला दें और इन्हें मिक्सर में पीस लें। अब चटनी तैयार है। इसे किसी भी भोजन के साथ खा सकते हैं।

अगर आप महंगे सुपरफूड्स, हरी पत्तेदार सब्जियां खाकर भी स्वस्थ महसूस नहीं करते तो हो सकता है कि जैविक एसिड ऑक्सालेट आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा हो। सैली के नॉर्टन अपनी किताब में इस समस्या को पूरे वैज्ञानिक तथ्यों के साथ रखती हैं और उससे बचने का रास्ता सुझाती हैं। यह किताब स्वस्थ माने जाने वाले भोजन का भ्रम तोड़ती है। लेखिका ने दशकों इस पीड़ा से गुजरने के बाद अपने अनुभवों को किताब में दर्ज किया है।

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