आज दुनियाभर में खाने-पीने के सामान में मिलावट को रोकने और उसकी गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए कानून हैं। खाद्य सुरक्षा कानून की शुरुआत करीब 500 साल पहले जर्मनी के बवेरिया राज्य से हुई थी। बीयर की शुद्धता के लिए बने इस कानून को “राइनहाइट्सगेबोट” नाम से जाना जाता है। जर्मनी में बीयर 9वीं शताब्दी में रोजमर्रा के पेय में शामिल हो गई थी। दरअसल उस समय पश्चिमी यूरोप विशेष रूप से फ्रांस से शराब की आपूर्ति बंद हो जाने के कारण लोगों ने बीयर को मुख्य पेय में शामिल कर लिया। उन्होंने बीयर बनाने में नई तकनीक और अवयवों को परखा। इसी प्रक्रिया में उन्हें होप्स फूल का पता चला जो भांग प्रजाति के पौधे से ताल्लुक रखता है। इस पौधे से मद्यपान में कड़वापन आता है और उसे संरक्षित करने में मददगार है। बाद में यह फूल बीयर का मुख्य अवयव बन गया।
इरासमस विश्वविद्यालय के फिलिप एब्ले और हेंक जेडे व्रीज के शोधपत्र के अनुसार, आज दुनियाभर में चाय और पानी के बाद पेय के रूप में बीयर का सर्वाधिक सेवन किया जाता है। बीयर का उल्लेख हजारों साल पहले नवपाषाण काल से मिस्र और मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यताओं में मिलता है। उनका कहना है कि यही वजह है कि विश्व का पहला खाद्य सुरक्षा कानून बीयर पर लागू हुआ। आज जर्मनी में होने वाले जलसों में बड़े-बड़े गिलासों में भरकर बीयर परोसी जाती है। अप्रैल के आखिरी हफ्ते जर्मनी में जश्न का माहौल रहता है। 23 अप्रैल का दिन बीयर दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनियाभर में जर्मनी की बीयर की मांग रहती है। इस देश में बीयर की यह परंपरा सैकड़ों साल है और इसे बनाए रखने में राइनहाइट्सगेबोट कानून का बड़ा योगदान है।
यह कानून 23 अप्रैल 1516 को अस्तित्व में आया था। बवेरिया के शासक विल्हम चतुर्थ और लुडविक ने राज्य की विधानसभा में एक बैठक के दौरान इस कानून पर मुहर लगाई थी। इस कानून में कहा गया कि बीयर बनाने में केवल जौ, पानी और होप्स पौधे का इस्तेमाल होगा। उस समय खमीर (यीस्ट) का आविष्कार नहीं हुआ था। बाद में खमीर को भी बीयर बनाने की प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया। कानून का मकसद बीयर बनाने में सस्ते और सेहत के लिए नुकसानदेह तत्वों जैसे जड़ों, रश प्रजाति के पौधों और कवक का इस्तेमाल रोकना था। दरअसल, इन पौधों की कुछ प्रजातियां जहरीली और मतिभ्रम करने वाली होती हैं। अपने नागरियों को इन जहरीले पदार्थों से बचाने के लिए जर्मनी में खाद्य सुरक्षा कानून के रूप में राइनहाइट्सगेबोट को लागू किया गया। बवेरियन शासकों के इस कानून को स्वीकार करने में शुरू में हिचकिचाहट थी। प्रोटेस्टेंट सुधारक मार्टिन लूथर भी उसी दौर में थे जब यह कानून बना था। उन्होंने बवेरियन बीयर से अधिक उत्तरी जर्मनी की बीयर को तवज्जो दी।
यह कानून में शुरू में बवेरिया तक सीमित था लेकिन बाद में उत्तरी जर्मनी के राज्यों में भी अपना लिया गया। 1919 में यह जर्मन सम्राट के अधिकार वाले समस्त क्षेत्र में लागू हो गया। गैर जर्मन शराब निर्माता इस कानून को मुक्त व्यापार में बाधा के रूप में देखते थे। 1987 में यूरोपीय अदालत ने 1516 के कानून को निरस्त कर दिया लेकिन आज भी जर्मनी में इस कानून के तहत ही बीयर का उत्पादन किया जा रहा है।