आहार संस्कृति: सेमल है सदा के लिए

औषधीय गुणों के अलावा सेमल से एयर कंडिशनिंग के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकता है
आदिवासी महिलाएं सेमल के फूलों और पत्तियों से सब्जी बनाती हैं (फोटो: संगीता खन्ना)
आदिवासी महिलाएं सेमल के फूलों और पत्तियों से सब्जी बनाती हैं (फोटो: संगीता खन्ना)
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विभिन्न संस्कृतियों और भौगोलिक क्षेत्रों में जब किसी एक पौधे का इस्तेमाल पारंपरिक दवा और भोजन के रूप में किया जाता है, तो इसका अर्थ है कि उस समाज ने इसका इस्तेमाल एक लंबे समय के परीक्षण, जांच-परख के बाद ही किया होगा। यानी उस समाज ने अपनी स्थानीय उपज, मौसम और प्राकृतिक रूझानों की जांच-परख की होगी और फिर कई पीढ़ियों के द्वारा यह सब किए जाने के बाद उक्त पौधे में कुछ गुणों को पाया होगा। सेमल ऐसा ही एक पेड़ है, जिसे कापुक या रेशमी कपास का पेड़ (बॉम्बैक्स सेइबा) भी कहा जाता है। वसंत ऋतु में इसमें शानदार फूल आते हैं, जो पक्षियों और इंसान को अपने तरफ आकर्षित करते हैं।

कई आदिवासी समुदाय औषधीय गुणों के कारण सेमल का सेवन करते हैं। कई समुदाय इसके पेड़ की पूजा करते हैं और इसकी रक्षा करते हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान में भील जनजाति का एक कबीला सेमल पेड़ की रक्षा इसलिए करता है क्योंकि वे इसे अपना कुलदेवता मानते हैं। मणिपुर में मैती समुदाय का खुमान कबीला भी सेमल की रक्षा और संरक्षण करता है और इससे मिलने वाली उपज का उपयोग करता है। भारत के कई आदिवासी क्षेत्रों में सेमल को लेकर कई लोक गीत प्रचलित हैं।

बहुत पहले जब मैं झारखंड के धनबाद में सेन्ट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फ्यूल रिसर्च में थी, तब वहां मैंने एक विशाल सेमल का पेड़ देखा था। सेमल की रुई का उपयोग करके हम मुलायम तकिए बनाते थे। मुझे आश्चर्य होता था, जब मैं देखती थी कि कई स्थानीय आदिवासी महिलाएं वहां गिरे हुए फूलों की कलियों को इकट्ठा करती थीं। उन्होंने झिझकते हुए मुझसे कहा कि वे इससे सब्जी बनाती हैं। इस बात ने सेमल के बारे में और अधिक जानने की मेरी इच्छा बढ़ा दी।

मैंने जाना कि सेमल के कपास और यहां तक कि इसके छाल पर मौजूद कांटों का उपयोग माइग्रेन के इलाज के लिए किया जाता है। सेमल के पेड़ के विभिन्न भागों का उपयोग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, त्वचा, स्त्री रोग और मूत्र रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। कई अध्ययनों में साबित हुआ है कि सेमल में रोगाणुरोधी, एंटी-इन्फ्लामेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, एनाल्जेसिक और ऑक्सीटोसिक गुण होते हैं। इसकी जड़, तने की छाल और बीजों में लीवर को नुकसान से बचाने की क्षमता होती है। मुंहासों के इलाज के लिए छाल और कांटों के अर्क का उपयोग किया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण सेमल रक्तचाप को कम करने में मदद करता है और यह दिल के लिए भी अच्छा होता है।

ठंडी तासीर

प्राकृतिक रूप में उगाया जाने वाला सेमल कई परागकणों को आकर्षित करता है। यह हमारी लकड़ी की मांग को पूरा करने के अलावा, जानवरों के लिए चारा भी प्रदान करता है। सेमल एक अग्नि-प्रतिरोधी वृक्ष है। यह अपने शीतल (कूलिंग) गुणों के लिए भी जाना जाता है। अगर कोई हाउसिंग कॉलोनियों के आसपास सेमल के पेड़ लगाता है, तो एयर कंडिशनिंग के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।

सेमल का पेड़ मिट्टी को बांधता है और भारी मात्रा में गिरे हुए पत्ते और फूल प्रदान करता है जो वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए जबरदस्त उत्पाद हैं। सेमल मौसम में एक समृद्ध बायोमास उत्पन्न करता है और इसका उपयोग बंजर भूमि को फिर से खेती योग्य बनाने के लिए किया जाता है। पारिस्थितिक रूप से सक्रिय सेमल का पेड़ कार्बन को शुद्ध करता है और फूल आने से पहले सभी पत्तियों को गिराकर कार्बन को अलग करने में मदद करता है। कई शोधकर्ता मानते हैं कि सेमल एक जैव संकेतक है। यानी देर से फूल आने का मतलब अधिक गर्मी पड़ना या देरी से माॅनसून आना हो सकता है।

सेमल की उपयोगिता आपके किचन के लिए भी है और इसका व्यावसायिक मूल्य भी है। मुरादाबाद के बाजारों में घूमते हुए सेमल की कलियों से लदी एक गाड़ी ने मेरा ध्यान खींचा। मैंने गाड़ी में बैठी महिला से पूछा कि वह इसे कैसे पकाती है और क्या कलियां गाड़ी की डिक्की में चार दिन तक जीवित रहेंगी, तो उसने कहा कि हम उन्हें छील कर काट लेते हैं और इसे संरक्षित करने के लिए धूप में सुखा लेते हैं। एक बार घर पर मैंने ताजी सेमल और दूसरी बार धूप में सुखाई हुई कलियों की सब्जी बनाई। ताजी कलियों से बनी सब्जी में थोड़ी चिपचिपी होती है, लगभग उबली हुए भिंडी की तरह। इसमें हल्की सुगंध होती है। धूप में सुखाए गए सेमल को पानी में भिगोने की आवश्यकता होती है और इसका स्वाद थोड़ा तेज होता है। लेकिन सेमल को लेकर एक विडंबना भी है। कुछ ग्रामीण समुदायों का मानना है कि सेमल अशुभ होता है। यह मिथक इस बात को लेकर भी हो सकती है कि इसके तने की छाल पर कुछ रोगजनक बैक्टीरिया होते हैं।

व्यंजन : सेमल की सब्जी

सेमल कलियां : 250 ग्राम
कटे आलू : 1
प्याज का पेस्ट : 1/2 कप
अदरक-लहसुन का पेस्ट : 1 बड़ा चम्मच
ताजा टमाटर का पेस्ट : 1/2 कप
लाल मिर्च पाउडर : 1 छोटा चम्मच
हल्दी पाउडर : 1 चम्मच
गरम मसाला पाउडर : 1 छोटा चम्मच
नमक : स्वादानुसार
सरसों का तेल: 3 बड़े चम्मच
मेथी बीज: 1 छोटा चम्मच

बनाने की विधि : लाल पंखुड़ियों से हरे भाग को अलग कर चार भागों में काट लें। दो बड़े चम्मच सरसों का तेल गरम करें और कटे हुए सेमल के बीज तीन-चार मिनट भूनें। कटे हुए आलू डालें और पांच मिनट और भूनें। अब बचा हुआ 1 टेबल स्पून सरसों का तेल गरम करें और मेथी दाना डालें। हल्के भूरे होने के बाद प्याज का पेस्ट डालें और गुलाबी होने तक भूनें। अदरक-लहसुन और टमाटर का पेस्ट और नमक डालें। इसे तब तक पकाएं जब तक मिश्रण चमकदार न हो जाए। अब पिसा हुआ मसाला डालें और अच्छी तरह मिलाएं। इसे चलाते हुए दो मिनट तक पकाएं। पके हुए मसाले के मिश्रण में आंशिक रूप से तले हुए सेमल के बीज और आलू डालें। पानी डालें, अच्छी तरह मिलाएं और ढक्कन को ढक दें। करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं। अब चपाती के साथ परोसें।

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