
मेरी खुशी का उस वक्त ठिकाना नहीं रहा, जब मुझे वह फल मिल गया जिसे मैं लंबे वक्त से खोज रही थी। मुझे इतना तो पता था कि एग फ्रूट तमिलनाडु और केरल में खाया जाता है, लेकिन यह कभी मेरे हाथ नहीं लगा। आखिरकार श्रीलंका में यह फल खुद ही मेरे पास पहुंच ही गया। मैं श्रीलंका के मध्य में स्थित नुवारा एलिया में सफर कर रही थी। इसी दौरान एक बच्चे से मैंने थैला भरकर एग फ्रूट खरीद लिया। स्थानीय भाषा में इसे लावुलु कहते हैं और उसने बताया कि यह बंदरों का पसंदीदा है।
यह फल बड़ा सख्त था, इसलिए बच्चे ने कुछ दिन इंतजार के बाद इसे खाने की सलाह दी। मैंने उत्सुकतावश एक फल तभी काटा। यह चिपचिपा और लेटेक्स (सफेद चिपचिपा पदार्थ) से भरा हुआ था। करीब सप्ताह भर इस फल को पकने में लगे और फिर इससे चीकू जैसी खुशबू आई। लावुलु या पॉटेरिया कैम्पेचियाना सपोटेसी परिवार से संबंधित है। यह फल मूल रूप से मध्य अमेरिका में पाया जाता है और इसका नाम मैक्सिकन शहर कैम्पेचे से लिया गया है। लावुलु उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह फलता-फूलता है।
यह फल बड़ा, गोल या अंडाकार और गूदेदार है। इसके ऊपर नुकीला सिरा होता है। अंदर एक बड़ा बीज, स्वाद मीठा होता है। यह कैल्शियम, एस्कॉर्बिक एसिड, नियासिन, फॉस्फोरस, आयरन और कैरोटीन से भरपूर है। फल के रासायनिक विश्लेषण से पता चलता है कि यह स्टार फल, जिसे सुपरफूड माना जाता है, से भी अधिक पौष्टिक है।
गूदे का रंग और टेक्सचर उबले अंडे की जर्दी सरीखा होता है। यही वजह है कि इसे बोलचाल की भाषा में एग फ्रूट कहा जाता है। इसे कपकेक फल, जपोटे अमरिलो या कैनिस्टेल के नाम से भी जाना जाता है। केरल और तमिलनाडु में इसे क्रमशः मुत्तपजम और मंजल सप्पोटा या मांसल पालम कहा जाता है।
जर्नल प्लांट आर्काइव्स में 2020 में प्रकाशित नागरकोल के स्कॉट क्रिश्चियन कॉलेज के वनस्पति विज्ञानियों के अध्ययन के अनुसार, यह कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य में पहचाने गए उन 80 पौधों में से एक है, जिन्हें क्षेत्र के आदिवासी खाते हैं। कच्चा फल पीला होता है लेकिन पकने पर बाहरी छिलका भूरा हो जाता है। कैरोटीनॉयड की उपस्थिति के कारण फल का गूदा चमकीला पीला होता है। इसका उपयोग जैम और सूप तैयार करने के लिए किया जाता है (रेसिपी देखें)। हालांकि जैम पारंपरिक रूप से तैयार किया जाता है, पर ब्लूबेरी और तरबूज के साथ फल का उपयोग करके जैम बनाने की संशोधित विधि को चीन ने 2015 में पेटेंट कराया था। कच्चे फल का उपयोग सब्जी के रूप में भी किया जाता है।
पारंपरिक रूप से पके गूदे को सुखाकर रख लिया जाता है ताकि इसका उस वक्त इस्तेमाल हो सके जब फल नहीं मिलता। इसे धूप में सुखाने पर स्वाद और सुगंध चली जाती है पर रिसर्च, सोसाइटी एंड डेवलपमेंट जर्नल में 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला कि इसके रंग, स्वाद और कैरोटीनॉयड, फेनोलिक एसिड, पॉलीसेकेराइड और नियासिन जैसे लाभकारी पोषक तत्वों को बनाए रखने के लिए इसे मशीनों मे ठंडा करके सुखाना बेहतर विकल्प है।
2024 में ब्राजील के मारिंगा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने आइसक्रीम को रंगने के लिए गूदे का इस्तेमाल किया जिसमें उच्च स्तर के बायोएक्टिव यौगिक थे और बहुत दिनों तक ये रंग बरकरार रहा। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि सूखा कैनिस्टल पल्प अपनी फोटोस्टेबिलिटी के कारण खाद्य रंग के रूप में उपयोग की क्षमता रखता है। गूदे के उपयोग से भोजन का पौष्टिक स्तर भी बढ़ जाता है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुआ था।
औषधीय गुण
इस फल में औषधीय गुण होते हैं और इसका उपयोग कोरोनरी समस्याओं, यकृत विकारों, मिर्गी, त्वचा रोगों और अल्सर के उपचार के रूप में किया जाता है। 2014 में भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली के शोधकर्ताओं ने जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी एंड बायोकेमिस्ट्री में चूहों में लीवर की रक्षा करने की फल की क्षमता पर एक अध्ययन प्रकाशित किया। इन चूहों को एसिटामिनोफेन दवा दी गई जो बुखार और शरीर के दर्द के लिए एक लोकप्रिय दवा है पर यह लिवर को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है। एसिटामिनोफेन ने चूहों के लीवर में ऑक्सीडेटिव तनाव को ट्रिगर किया, जिससे रक्त में मार्कर एंजाइम की वृद्धि हुई। फलों के अर्क के साथ उपचार ने इन बढ़े हुए एंजाइमों को काफी हद तक कम कर दिया, जिससे पता चलता है कि फल लिवर कोशिकाओं की सामान्य कार्यात्मक क्षमता को बहाल कर सकता है। मायान पारंपरिक चिकित्सा में मधुमेह और दर्द के इलाज के लिए एग फ्रूट सहित 4 पौधों का उपयोग होता है। मैक्सिको में किए गए और 2017 में जर्नल ड्रग डेवलपमेंट रिसर्च में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि यह संयोजन प्रभावी है।
इस पेड़ को सजावट के उद्देश्य से भी लगाया जाता है। पेड़ लगभग 8 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। फल की तरह पेड़ में प्रचुर मात्रा में लेटेक्स होता है। इस लाभकारी फल का अब तक कम ही उपयोग हुआ है और अधिक शोध भी सीमित ही हुए हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इसके प्रति जिज्ञासा बढ़ी है। 2024 में मैक्सिको के शोधकर्ताओं ने जर्नल बायोडायवर्सिटी जीनोम्स में पेड़ का संपूर्ण जेनेटिक सीक्वेंस भी प्रकाशित किया है। इससे आशा है कि फल पर रिसर्च बढ़ेगी।
सामग्री
एग फ्रूट पका हुआ: 1
चीनी: 1/2 कप
नीबू: 1
विधि: फल छीलकर बीज को निकाल दें। गूदे को मैश करके पैन में डालें। चीनी डालकर पकाएं। अब इसे आंच से उतार लें और 1 नीबू का रस मिलाएं। जैम टोस्ट के साथ खाने के लिए तैयार है।
सामग्री
एग फ्रूट (कच्चा): 1½ कप
बारीक कटा प्याज: ½ कप
बारीक कटा लहसुन: 1 छोटी चम्मच
वेजिटेबल स्टॉक: 4 कप
पिसी हुई काली मिर्च: 1/8 छोटा चम्मच
मक्खन: 1 बड़ा चम्मच
क्रीम और धनिया : गार्निश के लिए
नमक : स्वादानुसार
विधि: एक सॉसपैन में मक्खन पिघलाएं। इसमें प्याज डालें और हल्का लाल होने तक भूनें। अब लहसुन डालें और एक मिनट तक पकाएं। इसके बाद एग फ्रूट, स्टॉक, काली मिर्च और नमक डालें। इसे लगातार हिलाते हुए 15 मिनट तक पकाएं। क्रीम और धनिया से गार्निश करें।
सिंध: सिंधी रेसिपीज एंड स्टोरीज फ्रॉम ए फॉरगोटन लैंड
लेखक: सपना अजवाणी
प्रकाशक: हार्पर कॉलिंस इंडिया
पृष्ठ: £272| मूल्य: £R727
लेखिका ने किताब के जरिए विभाजन के वक्त पाकिस्तान में शामिल होने वाले सिंध प्रांत के सिंधी समुदाय के खान-पान का वर्णन किया है। उनके मुताबिक, सिंधी खान-पान समुदाय की धरोहर है जो उन्हें उनकी खोई हुई मातृभूमि से जोड़ती है। इसमें कराची बन कबाब से लेकर सियाल तीवन तक, प्रत्येक व्यंजन के माध्यम से दृढ़ता, प्रवासन और भूमि के साथ गहरे संबंध की कहानी बयां होती है