दिल्ली में मानसून के जोर पकड़ने से पहले, जून-जुलाई में एक-दो बौछार होते ही गर्मी से कुछ राहत मिल जाती है। इस समय, शहर भर की गली-कूंचो के पेड़ कच्चे-पक्के जामुन (सिजीयिम क्यूमिनाइ) से लदे रहते हैं। ऐसे में जमीन पर बिछ गए जामुन की गंध मिट्टी की सोंधी खुशबू में रचबस जाती है। इससे इस बात का संकेत मिलता है की बस अब मानसून आने ही वाला है। तब बड़े बूढ़ों की नसीहतें मिलनी शुरू हो जाती हैं कि जामुन बारिश होने के बाद ही खाने चाहिए जब वे मोटे-मीठे और रसीले हो जाएं। वैसे भी इन्हें खाने का सबसे अच्छा वक्त बारिश ही है क्योंकि इस मौसम में बीमारियों का प्रकोप रहता है और जामुन में मौजूद रसायन इनसे बचाव करता है। जामुन में पोषक तत्वों की कमी नहीं है, जैसे कि विटामिन सी, बी, पोटैशियम, आयरन आदि सेहत को और दुरुस्त करते हैं। जामुन डायबिटीज के लिए तो फायदेमंद है ही साथ ही यह दिल के लिए भी अच्छा होता है। इसके बीजो मंे जम्बोसीन और जंबोलीन ग्लाइकोसाइड हैं, जो खाने के कार्बोहाइड्रेट को शुगर में आसानी से नहीं बदलने देते। जामुन का फल पाचन क्रिया के लिए लाभप्रद तो होता ही है। इसके साथ जामुन खाने से मुंह की दुर्गंध भी मिट जाती है। वैसे तो इन फलों को ऐसे ही नमक लगाकर खाया जा सकता है पर अगर आप एक दो दिन तक इनको सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इसकी मीठी चटनी भी बनाई जा सकती है।
व्यंजन - सामग्री :
जामुन: 500 ग्राम चीनी: 50 ग्राम नींबू का रस: 1 नींबू बनाने की विधि : एक बर्तन में जामुन लें और उन्हें मसल के गुठलियां निकाल दें। थोड़ा पानी मिलाएं और धीमी आंच पर उबालें। चीनी मिलाएं और गाढ़ा करें। गैस से उतार कर ठंडा करें। इस पर नीम्बू का रस डालें और मिलाएं। इस चटनी को साफ शीशे की बोतल में 2-4 दिन तक स्टोर किया जा सकता हैं। |
मणिपुर में बारिश का मजा लेते वक्त स्थानीय लोग केली चना खाते है। यह मसालेदार तले हुए चने हैं जो पत्ते में परोसे जाते हैं। चने को हल्की आग पर उबाला जाता है और फिर तल कर मसाला मिलाया जाता है। चने की जगह यह मटर से भी तैयार किया जा सकता है।
व्यंजन - सामग्री :
मटर: 1 कप (उबले हुए) प्याज : 2 (कटे हुए ) पत्ता गोभी: 2 बड़े चम्मच (कटे हुए) टमाटर : 2 (कटे हुए) अदरक : 2 टी स्पून (कटा हुआ) लहसुन: 1 टी स्पून (कटा हुआ) हरी मिर्च: 2 (बारीक कटी हुई) लाल मिर्च: 1 टी स्पून हल्दी: 1/2 टी स्पून धनिया पाउडर: 1 टी स्पून चाट मसाला: 1 टी स्पून नमक स्वादानुसार हरा धनिया: 1 टी स्पून (बारीक कटा हुआ) बनाने की विधि : कढ़ाई में तेल लीजिए और उसमें प्याज, हरी मिर्च, अदरक और लहसुन भूनिए। इसमें टमाटर, पत्ता गोभी, नमक और बाकी मसाले डालिए। जब टमाटर पक जाए तो उसमें उबले मटर डाल दीजिए और मिला दीजिए। ऊपर कटा धनिया डालिए और यह खाने को तैयार है। |
जब बारिश महाराष्ट्र पहुंचती है तो वहां भी खाने के तेवर बदल जाते हैं। शेवला या जंगली सूरन (अमाेरफोफैलस कम्यूटेटस) महाराष्ट्र की एक ऐसी मौसमी सब्जी है जो बरसात के मौसम में खाई जाती है। यह एक प्रकार का कंदमूल है, जिसमें बारिश के बाद पत्ते निकल आते है। इसके साथ एक कली भी होती है, जिसे खाया जाता है। शेवला भी अरबी की एक प्रजाति है। अरबी की तरह ही इसमें भी ऑक्सालेट की मात्रा अधिक होती है।
ऑक्सालेट गले में खुजलाहट पैदा करता है और इससे बचने के लिए शेवला की सब्जी बनाते समय इसमें खट्टी या कड़वी सामग्री भी डाली जाती है। बारिश के समय, महाराष्ट्र में काकड़ फल (गरुगा पिनाटा) भी पाया जाता है, यह कसैला होता है और शेवला के साथ इसका स्वाद बहुत ही बेहतरीन लगता है।
व्यंजन - सामग्री :
शेवला कली : 100 ग्राम काकड़ फल: 100 ग्राम प्याज: 2 (कटा हुआ) हरी मिर्च: 3 (कटी हुई) हल्दी पाउडर: 1/2 टी स्पून गरम मसाला: 1 टी स्पून ताजा नारियल: 1 टेबल स्पून(कद्दूकस) हरा धनिया: 1 टी स्पून (कटा हुआ) तेल: 2 टेबल स्पून नमक स्वादानुसार बनाने की विधि : शेवला कली से नीचे का पीला भाग हटा दें और मुलायम हिस्से को लें और पतले-पतले स्लाइस काट लें। पानी में काकड़ फल के साथ 20 से 30 मिनट तक पकाएं। पानी फेंक दें। एक कढ़ाई में तेल डालकर प्याज को भूरा होने तक भूने। अब पका हुआ शेवला, नमक और हल्दी पाउडर मिला लें। अंत में गरम मसाला, ताजा कसा हुआ नारियल और हरा धनिया डालिए। |
वैसे तो मानसून में देश भर में बहुत सारे व्यंजनों का मजा लिया जा सकता है पर सबसे सस्ता-सुंदर और टिकाऊ तरीका है आप भुना हुआ भुट्टा खाएं। बारिश शुरू होते ही सड़क किनारे छतरी तले कोयले की आग पर भुट्टों का भूनना आसानी से देखा जा सकता है। यह छिलकों की कई परतों में ढका-छुपा रहता है, ऐसे में इसे बारिश में बेझिझक खाया जा सकता है। आप अपनी पसंद के अनुसार भुट्टे पर काला नमक और नींबू लगा कर खा सकते हैं। भुट्टे को उबाल कर इमली की चटनी में डुबो कर भी खाया जाता है।
मानसून भारत में सबसे पहले केरल में पहुंचता है और यहां इसका आगमन तरह-तरह के पकौड़ों से किया जाता है। केरल में केला बहुतायत में होता है, ऐसे में केले के ही पकौड़े बना लिए जाते हैं। यदि बारिश का खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो तो इससे बेहतर कुछ और नहीं है। प्रदेश में कई तरह की रसम बनाई जाती है और इसके कई लाभ भी गिनाए जाते हैं। यह चटपटी व स्वादिष्ट हाेती है। मसालेदार रसम को चावल के साथ खाया जाता है और साथ ही इसे सूप या गरम पेय की तरह भी लिया जा सकता है, ऐसे में यह बारिश की ठंड को कमतर करती है। कुछ रसम तो औषधि तक के काम आती हैं। जैसे की मोरिंगा (सहजन) के पत्तों की रसम शरीर के दर्द को ठीक करने में भी मददगार सािबत होती है। मोरिंगा के पत्ते आयरन से भरपूर होते हैं और साथ ही इनमें कैल्शियम, पोटैशियम भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
व्यंजन - सामग्री :
सहजन के पत्ते: 1 गुच्छा अरहर की दाल: 2 टेबल स्पून इमली: नीम्बू बराबर (एक कप पानी) हींग: ½1/4 टी स्पून लहसुन: 4 फली (कुटा हुआ) पिसा जीरा: 1 टी स्पून रसम पाउडर: 2 टी स्पून काली मिर्च पाउडर: ½1 टी स्पून नमक स्वादानुसार घी: 1 टेबल स्पून सरसों के बीज: ½ 1 टी स्पून कड़ी पत्ता: 1 डंडी बनाने की विधि : अरहर की दाल को उबाल कर पीस लें। एक बरतन में थोड़ा पानी लें और उसमे सहजन के पत्ते डाल कर पका लें और निकाल कर अलग रख लें। बरतन में अब इमली का पानी और दो कप पानी डालें व पकाएं। अब इसमें दाल व पत्तों को मिला दें। इसे हल्की आंच पर पकाएं। अब नमक, हींग, रसम पाउडर, पिसा जीरा व पीसी काली मिर्च मिला लें और उबाल कर गैस बंद कर दें। इस पर सरसों, करी पत्ते और लहसुन का तड़का लगाएं। यह रसम अब पीने के लिए तैयार है। |