हाल ही में ग्रीन स्कूल प्रोग्राम (जीएसपी) अवॉर्ड बांटे गए थे। इसमें गुड़गांव के शिव नाडर स्कूल से आए हमारे एक दोस्त अगस्त्य राव ने बहुत ही वाजिब सवाल पूछा, “प्रकृति को बचाने के लिए जिन छात्रों को चुना गया है, उन्हें इनाम में प्लास्टिक का पेन क्यों दिया जा रहा है?” सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने यह सवाल पूछने पर छात्र की पीठ थपथपाई और उसे शाबाशी देते हुए कहा, “इसी तरह के सवाल हमें बेहतर जीवन की ओर ले जाते हैं। वाकई, प्लास्टिक का पेन क्यों?” सुनीता ने विस्तार से समझाया कि प्लास्टिक पेन का विकल्प ढूंढने जैसे छोटे कदम से किस तरह हम बड़ा बदलाव ला सकते हैं। आइए जानतें कि हम पर्यावरण को बचाने के लिए कौन-कौन से छोटे लेकिन असरदार उपाय अपना सकते हैं।
एक बार में एक कदम
जैसे आपका पेट एक बार में बहुत ज्यादा गोलगप्पे हजम नहीं कर सकता, उसी तरह पृथ्वी भी पर्यावरण संतुलन को खराब किए बिना एक सीमा तक ही प्लास्टिक के कूड़े का भार उठा सकती है। हममें से हर कोई छोटी-छोटी कोशिशें करके जीवन से युक्त ब्रह्माण्ड के इकलौते ग्रह को बचाने में मदद कर सकता है।
मेकैनिकल “पुश” पेंसिल का इस्तेमाल
हममें से हर किसी ने अपनी पढ़ाई-लिखाई की शुरुआत लकड़ी की पेंसिल से की थी। लेकिन अब हमें पता है कि पेंसिल बनाने के लिए कई पेड़ों को काटना पड़ता है, तो क्यों न हम मेकैनिकल पेंसिल या “पुश पेंसिल” जैसे विकल्पों की ओर रुख करें जो आसानी से इस्तेमाल किए जा सकते हैं। वैसे ये भी प्लास्टिक से ही बनाए जाते हैं लेकिन ये ज्यादा लंबे समय तक चलते हैं। आजकल स्टील से बनी मेकैनिकल पेंसिल भी मिलती हैं लेकिन ये पेंसिल प्लास्टिक से बनी मेकैनिकल पेंसिल से महंगी होती हैं। अगर हम अपने पेन/ पेंसिल खोने की आदत पर ध्यान दें तो प्लास्टिक पेंसिल का इस्तेमाल करना ही बेहतर होगा।
बॉलपेन की जगह फाउंटेन पेन
साल 1999 में जब मैं नौ साल की थी जब मेरे भाई ने पहली बार जेल पेन खरीदा था। तब मैं पेंसिल ही इस्तेमाल करती थी इसलिए जेल पेन से काफी प्रभावित हुई और इसके साथ मेरा लगभग 20 साल लंबा रिश्ता शुरू हुआ। फाउंटेन पेन बीते जमाने की बात हो चुके थे और जब मैंने जेल पेन का इस्तेमाल शुरू किया तब इनकी कीमत कम होकर 15-20 रुपए प्रति पेन पर आ चुकी थी। एक ओर जहां मैं तीसरी क्लास तक सिर्फ पेंसिल से काम करती थी, वहीं दसवीं क्लास तक पहुंचते-पहुंचते मैं एक महीने में 3-4 पेन खरीदने लगी थी। साल 2010 आने तक मेरे परिवार के सभी लोगों ने फाउंटेन पेन का इस्तेमाल बंद कर दिया। अब वे बाकी पुराने सामान के साथ शोपीस बन चुके हैं। इस्तेमाल से बाहर हो चुके ये पेन अब डायनासोर की तरह लुप्त हो चुके हैं। अब मुझे अहसास होता है कि यह पुराना और इस्तेमाल से बाहर हो चुका फाउंटेन पेन पर्यावरण को बचाने का प्रभावी तरीका है क्योंकि न केवल यह ज्यादा दिन चलता है बल्कि इससे गंदगी भी कम होती है।
प्रोजेक्ट बनाने के लिए रिसाइकिल कागज
स्कूल हमारी छुट्टियों में कई सारे काम पकड़ा देते हैं। कभी होमवर्क मिलता है तो कभी प्रोजेक्ट दे देते हैं। लेकिन हर साल ये काम करने के दौरान बहुत-सा कचरा इकट्ठा हो जाता है। और मजे की बात तो यह है कि रद्दी कागज से प्रोजेक्ट बनाने के दौरान और ज्यादा कागज रद्दी बन जाता है। तो क्यों न स्कूलों से कहा जाए कि प्रोजेक्ट में रिसाइकिल कागज का इस्तेमाल करें? इससे न केवल छात्र कचरे का सही इस्तेमाल करना सीखेंगे और अपने अपने जीवन में अपनाएंगे बल्कि हर साल रद्दी कागज के बढ़ते भंडार को रोकने में भी मदद मिलेगी।
बोतलें, टिफिन बाॅक्स प्लास्टिक से बने या मेटल से
यह जगजाहिर बात है कि प्लास्टिक मिट्टी में नहीं मिलता इसलिए यह पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है। आपके कुछ ज्यादा होशियार साथियों ने आपको यह भी बताया होगा कि प्लास्टिक की बोतल औसतन 450 साल तक धरती पर मौजूद रहती है! हालांकि चीजों को खो देने की हमारी आदत की बदौलत 450 दिन में हमें नई बोतल की जरूरत पड़ जाती है। तो क्या स्टील थर्मो फ्लास्क या स्टील/ कांच से बनी पानी की बोतल का इस्तेमाल करना समझदारी नहीं है। शायद है। प्लास्टिक की बोतलों के उलट, स्टील या कांच की बोतलों का दुबारा इस्तेमाल किया जा सकता है और इनसे पर्यावरण को उतना नुकसान नहीं होता जितना प्लास्टिक से होता है। तो चलो प्लास्टिक के बजाय स्टील से बने टिफिन बॉक्स का इस्तेमाल करें।
किताबों और कॉपियों पर बांस से बने कागज के कवर
किताबों के कवर बोरिंग पढ़ाई को थोड़ा मजेदार बना देते हैं। ये कवर हमारी एक और खूबी को सामने लाते हैं और वह खूबी ये देखना है कि किताब या कॉपी पर पानी, दूध, जूस या मक्खन गिरने से क्या होता है। वो दिन बीत गए जब कॉपी- किताबों पर खाकी रंग का या बांस से बने कागज का कवर चढ़ाया जाता था। इनकी जगह आरामदायक प्लास्टिक कवर ने ले ली है जिन पर पानी का असर नहीं होता। हम बार बार फिर से क्यों न कॉपी और किताबों पर बांस के कागज का कवर चढ़ाएं? और अगर आप अपने टीचर को यह बताएंगे कि इस कागज का इस्तेमाल करके आप धरती को साफ रखने में किस तरह मदद कर रहे हैं तो आप सफाई के लिए ज्यादा नंबर भी ले सकते हैं।
पेंसिल बैग के बारे में क्या खयाल है?
सबसे अच्छा पेंसिल बॉक्स खरीदने की कोशिश में हम अक्सर ऐसे पेंसिल बॉक्स खरीदते हैं जिन पर हमारे पसंदीदा सुपरहीरो या कार्टून कैरेक्टर की फोटो छपी होती है। लेकिन प्लास्टिक के बॉक्स ही क्यों? कपड़े से बने पेंसिल बैग या स्टील से बने पेंसिल बॉक्स भी ये काम कर सकते हैं।
कपड़े या नायलॉन के थैलों का उपयोग करें
शॉपिंग करने में हमें खूब मजा आता है। जब भी हम कुछ खरीदते हैं तो प्लास्टिक के थैले मांगते हैं। कपड़े या नायलॉन से बने बैग का इस्तेमाल करके हम प्लास्टिक के थैलों से मुक्ति पा सकते हैं। बस हमें प्लास्टिक के थैलों को ‘ना’ कहना है। ये बहुत ही आसान है।