
हिमालय नीति अभियान (एचएनए) ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री से प्रदेश में बढ़ती ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या पर तुरंत ध्यान देने की मांग की है। 7 मई 2025 को मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में एचएनए ने कहा है कि प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से हो रहे विकास, पर्यटन और बदलती उपभोग प्रवृत्ति के चलते यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।
एचएनए के अनुसार, बिखरी और सीमित संसाधनों वाली अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली राज्य की पारिस्थितिकी अखंडता के लिए खतरा बनी हुई है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में प्रतिवर्ष 6,200 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। 14 शहरी निकायों में 1.81 लाख मीट्रिक टन विरासत अपशिष्ट (लेगेसी वेस्ट) का प्रसंस्करण नहीं किया गया है। कई ब्लॉकों में बुनियादी अपशिष्ट प्रसंस्करण उपकरण और बुनियादी ढांचे का भी अभाव है। कचरा प्रबंधन के लिए प्लास्टिक सड़कें, स्कूल बाय-बैक योजनाएं, सामुदायिक सफाई अभियान और निजी-सार्वजनिक सहयोग जैसी सफल पहल मौजूद हैं, लेकिन ये बिखरी हुई हैं और उनमें कन्वरजेंस का अभाव है।
एचएनए का सुझाव है कि हिमाचल प्रदेश सरकार सभी संबद्ध विभागों (शहरी विकास, ग्रामीण विकास, वन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यटन, शिक्षा, लोक निर्माण विभाग और पर्यावरण), पंचायती राज संस्थाओं, शहरी स्थानीय निकायों, नगर निगमों, गैर सरकारी संगठनों, सीमेंट उद्योगों और समुदाय आधारित संगठनों, कचरा संग्रहकर्ताओं, कूड़ा बीनने वालों का एक राज्य स्तरीय कंसलटेशन करे जो वर्तमान में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में अच्छे उदाहरण पेश कर चुके हैं।
एचएनए का यह भी सुझाव है कि प्रत्येक घाटी या सब-डिवीजन में अपशिष्ट प्रसंस्करण केंद्र होना चाहिए। पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों से बातचीत के बाद कचरा इकाइयों के लिए जमीन का आवंटन किया जाए। साथ ही मांग की गई है कि प्लास्टिक अपशिष्ट निपटान के लिए सीमेंट उद्योगों के साथ सहयोग फिर से शुरू करें। इतना ही नहीं मनरेगा, स्कूल इको-क्लब और नागरिक समाज को इसमें शामिल करें।
एचएनए का कहना है कि एक व्यवस्था बनने के बाद पृथक्करण और कूड़े पर नियंत्रण के लिए नियमों और प्रवर्तन का पालन सुनिश्चित किया जाए। एचएनए ने विशेष रूप से कुल्लू के बंजार उपमंडल और बालीचौकी में अपशिष्ट निपटान और कुप्रबंधन पर चिंता व्यक्त की है। उसके अनुसार, तीर्थन, जिभी, सैंज और नगर पंचायत बंजार में बढ़ती पर्यटक आमद और चल रहे बुनियादी ढांचे के विकास के कारण समस्या तेजी से बढ़ रही है, जबकि अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली पूरी तरह से अपर्याप्त है। यह क्षेत्र अब प्रतिदिन काफी मात्रा में ठोस अपशिष्ट उत्पन्न कर रहा है, जिसमें से अधिकांश गैर-बायोडिग्रेडेबल है। उचित अपशिष्ट संग्रह, पृथक्करण और निपटान प्रणाली की अनुपस्थिति में यह अपशिष्ट स्थानीय जल स्रोतों को तेजी से दूषित कर रहा है, मिट्टी को प्रदूषित कर रहा है और निवासियों और मेहमानों दोनों के लिए गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रहा है।