राजनीति और विकास के ध्रुवों के बीच संतुलन जरूरी
हमें राजनीति को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करना होगा। दलीय राजनीति को नहीं बल्कि ऐसे सामाजिक मूल्यों को जो समावेशिता और न्याय को महत्व देते हैं। 9 वर्षों तक इस पर रिपोर्टिंग करने के बाद हम कह सकते हैं कि यह अब हमारे डीएनए का हिस्सा बन गया है। हम समझते हैं कि किफायती विकास के बिना स्थायित्व असंभव है। सामयिक घटनाओं पर लिखे गए हमारे लेखों के माध्यम से इस ज्ञान को और बल मिला है। यह विकास का सिद्धांत नहीं बल्कि व्यवहार है। मैंने हमेशा कहा है कि हम एक ऐसी विशाल प्रयोगशाला में हैं जहां हर क्रिया हमें एक सबक देती है जिससे हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
हमने 2016 से डाउन टू अर्थ हिंदी के 108 अंक बिना किसी चूक के हर माह प्रकाशित किए हैं। हम अपने पाठकों के लिए जमीनी स्तर की रिपोर्टें लेकर लगातार आते हैं, इसमें प्रदूषित और दुर्गंध युक्त इलाकों से लेकर प्रेरणाप्रद कार्रवाई तक की रिपोर्ट शामिल होती हैं। जब हम हर बार पत्रिका के लिए योजना बनाते हैं तो यह आपके प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमारा लक्ष्य आपको नवीनतम घटनाक्रमों से सदैव अवगत कराना है।
हम एक समाचार पत्रिका हैं और हमें अपने आसपास की दुनिया को प्रतिबिंबित करना चाहिए क्योंकि यह राजनीति और विकास के विभिन्न धुरों से होकर गुजरती है। फिर हम प्रत्येक कहानी के विविध आयामों का गहराई से खोज करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि हमारे पाठक समझदार हैं। अगर हमारी रिपोर्टें सतही हैं या हम गलत तथ्य बताते हैं तो आप हमें हमारी गलतियों से अवगत कराएंगे। आप हमारे सबसे महत्वपूर्ण आलोचक हैं और आप हमें सख्त मानकों पर परखते हैं। इसके लिए हम आपके आभारी हैं। आपकी प्रतिक्रिया हमें और अधिक बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है।
डाउन टू अर्थ के प्रिय पाठकगण, जब वर्तमान में दुनिया एक अनजान भंवर में फंसती जा रही है, ऐसे में हम एक साथ हैं। हम सब एक साथ इसलिए हैं क्योंकि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बढ़ रहा है। हालांकि यह गरीबों पर सबसे ज्यादा असर डाल रहा है लेकिन यह अमीरों को भी नहीं बख्श रहा है। जलवायु परिवर्तन ने सबको एक समान खतरे में डाल दिया है। साथ ही हम यह भी देख रहे हैं कि पहले से ही औद्योगिक रूप से विकसित देश जलवायु परिवर्तन के खिलाफ चलाए अपने अभियान से पीछे हट रहे हैं। दुनिया को बर्बादी से बचाने के लिए उनका इस लड़ाई में बने रहना अति आवश्यक है। अमीर देश जिन्होंने अब तक वैश्विक व्यापार के नियम तय किए हैं। वे अपने विकास के लिए कार्बन बजट को पूरी तरह से हड़पकर वैश्विक भू-राजनीति पर अपना दबदबा कायम कर लिया है। उनकी यह शिकायत है कि जलवायु परिवर्तन के उपाय उनके देशों की जनता के लिए किफायती और स्वीकार्य नहीं हैं। प्रवासियों का भय इस खतरे में जुड़ जाता है क्योंकि अधिकांश देश अपने कार्यबल के लिए प्रवासियों पर निर्भर तो करते हैं लेकिन “आउटसाइडर” प्रवासी का डर कायम रहता है।
फिर प्रवास का दूसरा पहलू भी है। लोग अपना घर क्यों छोड़ते हैं? यह सवाल जटिल तो है लेकिन यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन को तहस-नहस करने वाली घटनाओं की धीमी शुरुआत में योगदान दे रहा है जो लोगों को ऐसे हताशा भरे कदम उठाने के लिए मजबूर करती है। हम अपनी रिपोर्टिंग या लेखन में इस बात को कभी नजरअंदाज नहीं करते।
हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा निर्मित एक नए युग में भी एक साथ प्रवेश कर रहे हैं। ये दो शब्द एक परिवर्तन की दुनिया के संकेतक हैं। हम जानते हैं कि हम एक गहन परिवर्तन के मुहाने पर खड़े हैं। इसका एक मतलब यह हो सकता है कि मशीनें इतनी बुद्धिमान हो जाएं कि वे इंसानों की जगह ले लें या इसका मतलब यह भी हो सकता है कि इंसान अपनी बुद्धिमत्ता बढ़ाकर मशीनों को और ज्यादा काम करने के लिए प्रेरित करे। इसका मतलब नौकरियों का नुकसान भी हो सकता है लेकिन यह परिवर्तन नए कौशल के द्वार भी खोल सकता है। सवाल यह है कि जब हम इन विभिन्न संघर्षों से निपटेंगे तो देश क्या करेंगे।
देशों के भीतर और उनके बीच संघर्ष और उन निगमों के साथ जो सरकारों से ज्यादा शक्तिशाली और कम जवाबदेह होते जा रहे हैं। जैसे-जैसे देश ज्यादा असुरक्षित और अधिक अंतर्मुखी होते जाएंगे, इस लोकतंत्र का “स्वरूप” क्या होगा? इसीलिए हमें इन घटनाक्रमों पर नजर रखने के लिए एकजुट रहना होगा। यह किसी का पक्ष लेने के लिए नहीं, बल्कि इस दृढ़ निश्चय के लिए कि ऐसे समय में जब दुनिया अंधकार के गर्त में गिर रही है, तब हम मूकदर्शक बने नहीं रह सकते। हम इतने लाचार नहीं हैं। हमें समझना होगा कि क्या करना है और इसके लिए हमें अपनी दुनिया के सामने एक आईना रखना होगा जो हमें दिखाए कि क्या गलत हो रहा है।
इसलिए आपके निरंतर समर्थन और हम पर दिखाए आपके विश्वास के लिए धन्यवाद देते हुए मैं यह भी कहना चाहती हूं कि चाहे दुनिया हमारे सामने कोई भी चुनौती क्यों न खड़ी कर दे, हम आपके विश्वास को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। यह हमारा आप पाठकगणों से पवित्र और पूर्ण वादा है।