घर की दीवारों, फर्नीचर और खिलौनों को रंगीन और आकर्षक बनाने वाले पेंट में अब भी खतरनाक सीसा (लेड) धातु की तय मानकों से अधिक मिलावट जारी है। वहीं, कई राज्यों में बिकने वाले पेंट के डिब्बों पर नियम के अनुरूप लेड की मात्रा को बताने वाला लेबल नहीं लगाया जा रहा है या गलत जानकारी वाला लेबल लगाकर पेंट को बेचा जा रहा है। देश के पांच राज्यों से लघु और मध्यम स्तर वाले इंटरप्राइजेज के 17 पेंट नमूने लिए गए थे। इन सभी पेंट डिब्बों के नमूनों में लेड की मात्रा अधिकतम तय सीमा 90 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) से ज्यादा पाई गई है। सबसे ज्यादा लेड की मौजूदगी राजस्थान के पेंट नमूनों में मिली है।
गैर सरकारी संस्था टॉक्सिक लिंक ने अपने ताजा सर्वे और अध्ययन में यह खुलासा किया है। संस्था के मुताबिक अलग-अलग रंगों वाले पेंट के डिब्बों को नमूनों के तौर पर लिया गया था। इसमें गोल्डन येलो, पीओ रेड, बस ग्रीन जैसे रंग शामिल थे। राजस्थान के इन सभी रंग वाले नमूनों में सबसे ज्यादा लेड गोल्डन येलो में पाया गया। डिब्बे पर लेड की मात्रा भी नहीं लिखी गई थी। जबकि पेंट में लेड की मात्रा 109,289 पीपीएम पाई गई। इसी तरह से पीओ रेड पेंट के डिब्बे पर भी मात्रा नहीं लिखी गई थी और उसमें लेड की मात्रा 98,046 पीपीएम पाई गई। बस ग्रीन पेंट के डिब्बे पर भी लेड का कोई विवरण नहीं था और पेंट में लेड की मात्रा 50,050 मिली।
दिल्ली के पांच पेंट डिब्बों के नमूनों में एक गोल्डेन येलो और दूसरा चेरी रंग वाले डिब्बे पर दावा किया गया था कि इसमें लेड की मात्रा नहीं मौजूद है जबकि दोनों ही डिब्बों में लेड की मात्रा तय मानकों से अधिक पाई गई। गोल्डेन येलो नमूने में 49,321 पीपीएम और चेरी में 473 पीपीएम लेड पाया गया। वहीं ओडिशा के पेंट नमूनों में डिब्बों पर लेड की मात्रा तय सीमा 90 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) तक लिखी गई थी जबकि जांच में वह 189 पीपीएम पाया गया। इसी तरह से आंध्र प्रदेश और पंजाब के पेंट नमूनों में लेड की मात्रा का कोई विवरण नहीं दिया गया था और सभी नमूनों में लेड की मात्रा अधिकतम सीमा से काफी ज्यादा थी।
2016 में घर और सजावट में इस्तेमाल होने वाले पेंट में लेड की मात्रा को 90 पार्ट्स प्रति मिलियन तक सीमित करने के लिए नियम अधिसूचित किया गया था। इसके तहत 90 पीपीएम से ज्यादा लेड वाले घर व सजावटी पेंट के निर्माण, आयात, निर्यात, व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, अभी तक पेंट में लेड के अंधाधुंध इस्तेमाल पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है।
टॉक्सिक लिंक के मुताबिक 2007 में पेंट में लेड की अधिकतम मात्रा 1,40,000 पीपीएम पाई गई थी। 2009 में 49,953 पीपीएम, 2011 में 34,700 पीपीएम और 2013 में 1,60,000 पीपीएम, वहीं 2016 में नियम बनने के बाद 2017 में अधिकतम लेड 74,200, 2018 में 199,345 पीपीएम और 2019 में 109,289 पीपीएम मिली है। इस ट्रेंड से यह पता चलता है कि पेंट में लेड की सीमा लागू होने के बाद 2017 में लेड की अधिकतम मात्रा में गिरावट आई हालांकि यह ट्रेंड फिर से ऊपर की ओर चला गया है।
तकनीकी विशेषज्ञ केके सेन गुप्ता का कहना है कि सस्ते लेड वाले पेंट को बिना लेड वाले कीमती पेंट में तब्दील करना एक बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, सख्त और ठोस कदमों को जरिए अधिक मात्रा वाले लेड पेंट पर रोकथाम पर्यावरण और लोगों की सेहत के लिए बेहद जरूरी है। वहीं, टॉक्सिक लिंक ने कहा है कि लोगों को खुद भी अधिक लेड मिलावट वाले पेंट के प्रति जागरुक होना पड़ेगा। पेंट के डिब्बों पर लेड की मात्रा संबंधी लेबल जरूर देखें।