पवन या सौर ऊर्जा के लिए नहीं, बल्कि गोल्फ कोर्स के लिए अधिक हो रहा है भूमि का उपयोग: शोध

सबसे अधिक गोल्फ कोर्स वाले शीर्ष 10 देशों में, गोल्फ के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्षेत्र में 842 गीगावाट सौर और 659 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा सकती है
गोल्फ कोर्स जैसी भूमि को अक्सर अक्षय ऊर्जा क्षमता विश्लेषणों में अनदेखा कर दिया जाता है, जिससे भूमि उपयोग पर दोबारा विचार करने की जरूरत को बल मिलता है।
गोल्फ कोर्स जैसी भूमि को अक्सर अक्षय ऊर्जा क्षमता विश्लेषणों में अनदेखा कर दिया जाता है, जिससे भूमि उपयोग पर दोबारा विचार करने की जरूरत को बल मिलता है।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, नॉर्थ चार्ल्सटन
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दुनिया भर में भूमि संकट और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भूमि का कहां और कैसे उपयोग किया जाए इसकी जांच-पड़ताल की जरूरत है। दुनिया भर में गोल्फ कोर्स कई बड़े क्षेत्रों पर कब्जा जमाए हुए हैं।

अब एक नए अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में पवन या सौर ऊर्जा की तुलना में गोल्फ कोर्स के लिए अधिक जमीन का उपयोग किया जा रहा है। वहीं, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए जमीन की जरूरतों की अक्सर आलोचना की जाती है। यह अध्ययन एक अनोखे विरोधाभास को सामने लाता है, गोल्फ कोर्स के लिए विशाल क्षेत्र आवंटित किए जाते हैं, जो अपेक्षाकृत छोटी, अक्सर समृद्ध आबादी की सेवा करते हैं।

अध्ययन से पता चलता है कि अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में, नवीकरणीय ऊर्जा सुविधाओं की तुलना में गोल्फ कोर्स के लिए कहीं अधिक भूमि आवंटित की जाती है।

सबसे अधिक गोल्फ कोर्स वाले शीर्ष 10 देशों में, गोल्फ के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्षेत्र में 842 गीगावाट सौर और 659 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा सकती है।

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गोल्फ कोर्स जैसी भूमि को अक्सर अक्षय ऊर्जा क्षमता विश्लेषणों में अनदेखा कर दिया जाता है, जिससे भूमि उपयोग पर दोबारा विचार करने की जरूरत को बल मिलता है।

गोल्फ कोर्स में आमतौर पर बड़ी मात्रा में पानी और रासायनिक उपचार की जरूरत होती है, जिससे पर्यावरण पर काफी बुरा असर पड़ता है। इसके विपरीत सौर फार्म और पवन टर्बाइन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीधे कम करते हुए एक स्थायी भूमि-उपयोग विकल्प प्रदान करते हैं।

उपयोगिता-स्तरीय सौर फार्मों को प्रति मेगावाट (एमडब्ल्यू) लगभग 0.01 वर्ग किमी भूमि की आवश्यकता होती है, जबकि पवन फार्मों को प्रति मेगावाट लगभग 0.12 वर्ग किमी भूमि की जरूरत पड़ती है। हालांकि इस भूमि का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही वास्तव में टर्बाइनों और बुनियादी ढांचे से प्रभावित होता है।

इसके अलावा गोल्फ कोर्स जैसी भूमि को अक्सर अक्षय ऊर्जा क्षमता विश्लेषणों में अनदेखा कर दिया जाता है, जिससे भूमि उपयोग पर दोबारा विचार करने की जरूरत को बल मिलता है।

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गोल्फ कोर्स जैसी भूमि को अक्सर अक्षय ऊर्जा क्षमता विश्लेषणों में अनदेखा कर दिया जाता है, जिससे भूमि उपयोग पर दोबारा विचार करने की जरूरत को बल मिलता है।

जर्नल एनवायरनमेंटल रिसर्च कम्युनिकेशन में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि अध्ययन गोल्फ कोर्स के सीधे रूपांतरण की वकालत नहीं करता है, लेकिन यह समान रूप से बड़े और कम उपयोग वाले क्षेत्रों पर अक्षय ऊर्जा की विशाल क्षमता को सामने लाता है।

नवीकरणीय ऊर्जा के लिए भूमि उपयोग के बारे में चल रही बहस के मद्देनजर, यह विचार करना जरूरी है कि हम समग्र रूप से भूमि का आवंटन कैसे करते हैं - खासकर जब महत्वपूर्ण स्थान उन गतिविधियों के लिए समर्पित है जो केवल आबादी के सीमित हिस्से को फायदा पहुंचाते हैं।

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