
7 अगस्त 2015 को राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि साल 2020 से 2025 के बीच देश के अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में करीब 96,450 हेक्टेयर जंगल की जमीन को दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल करने की मंजूरी दी गई है। इसके लिए 10,026 प्रस्तावों को मंजूरी मिली, जो वन (संरक्षण और संवर्धन) अधिनियम, 1980 के तहत पास किए गए। दूसरे कामों में जैसे औद्योगिक, बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाएं शामिल थी।
गंगा की डॉल्फिनों के लिए खतरा
गंगा की डॉल्फिनों को केमिकल से होने वाले खतरों को लेकर भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा 'हेलियन' पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के आधार पर सदन में एक और प्रश्न पूछा गया। अध्ययन में मध्य गंगा के 60 किमी के क्षेत्र में कुछ रसायनों से गंगा की डॉल्फिनों के लिए स्थानीय आहार से होने वाले खतरों पर प्रकाश डाला गया है।
जिसके उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि अध्ययन के निष्कर्ष स्थापित विषाक्तता संदर्भ मान मानकों के अंतर्गत सामान्यतः कम औसत खतरे दर्शाते हैं। जिसके लिए सामान्यीकृत चेतावनी के बजाय तय निगरानी और प्रबंधन की आवश्यक है। यह अध्ययन लक्षित निगरानी की आवश्यकता पर जोर देता है और संपूर्ण गंगा बेसिन के लिए व्यापक सामान्यीकरण का समर्थन नहीं करता है।
पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए 4.84 करोड़ ने ली प्रतिज्ञा
सदन में उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में कहा कि मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) एक नागरिक-नेतृत्व वाली पहल है। यह रोजमर्रा स्वैच्छिक कार्यों के माध्यम से लोगों को स्थायी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित और सक्षम बनाने पर आधारित है। इसका उद्देश्य लोगों और समुदायों को प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने वाली जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
सिंह ने बताया कि मंत्रालय पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम (ईईपी) लागू करता है जिसका उद्देश्य कार्यशालाओं, परियोजनाओं, प्रदर्शनियों, अभियानों, प्रतियोगिताओं, प्रकृति शिविरों, ग्रीष्मकालीन अवकाश कार्यक्रमों आदि जैसी विभिन्न शैक्षणिक पहलों के माध्यम से बच्चों व युवाओं को पर्यावरण से संबंधित मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें स्थायी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
पांच अगस्त, 2025 तक मेरी लाइफ पोर्टल पर दी गई जानकारी के अनुसार, मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) के तहत स्वैच्छिक प्रतिज्ञा लेने वाले प्रतिभागियों की कुल संख्या 4.84 करोड़ से अधिक है।
गहन महासागर मिशन
संसद में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में आज, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया की अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण के साथ एक अनुबंध किया गया है। जिसके तहत भारत को वैज्ञानिक सर्वेक्षण और खनिज अन्वेषण गतिविधियों के संचालन हेतु मध्य हिंद महासागर बेसिन में 75,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और दक्षिणी हिंद महासागर के मध्य हिंद कटक और दक्षिण-पश्चिम हिंद कटक में 10,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आवंटित किया गया है।
इसके अलावा गहन महासागर मिशन के तहत अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में 19 समुद्री पर्वतीय स्थानों पर जैव विविधता सर्वेक्षण किए गए हैं।
छत्तीसगढ़ में विद्युत संयंत्रों द्वारा राख का निपटान
विद्युत संयंत्रों द्वारा राख के निपटान को लेकर सदन में उठे एक सवाल के जवाब देते हुए आज, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने लोकसभा में कहा कि 540 मेगावाट विद्युत संयंत्र के लिए 1000 मीट्रिक टन क्षमता वाले कुल तीन साइलो और 1200 मेगावाट ताप विद्युत संयंत्रों के लिए 1000 मीट्रिक टन क्षमता वाले कुल पांच साइलो स्थापित किए गए हैं, ताकि फ्लाई ऐश को शुष्क रूप में जमा किया जा सके और खदान के खाली स्थान व निचले क्षेत्रों को भरने सहित विभिन्न उपयोग के उद्देश्यों के लिए आपूर्ति की जा सके।
इसके अतिरिक्त कोरबा तहसील एवं जिला-परसाभाठा गांव में ऐश डाइक की सुविधा भी स्थापित की गई है।
नमामि गंगे कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति
सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में बताया कि भारत सरकार (जीओआई) ने गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार हेतु साल 2014-15 में नमामि गंगे कार्यक्रम (एनजीपी) शुरू किया था। यह कार्यक्रम पांच वर्षों के लिए मार्च 2021 तक चलेगा और इसे मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है। जून 2025 तक 41,696 करोड़ रुपये की लागत से कुल 502 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 323 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
इनमें से अधिकांश परियोजनाएं सीवेज अवसंरचना के निर्माण से संबंधित हैं, क्योंकि अनुपचारित घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल नदी में प्रदूषण का प्रमुख कारण है। 6,540 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) क्षमता के निर्माण और पुनर्वास के लिए 34,526 करोड़ रुपये की लागत से कुल 212 सीवरेज अवसंरचना परियोजनाएं शुरू की गई हैं। 136 सीवरेज परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप 3,781 एमएलडी एसटीपी क्षमता का निर्माण और पुनर्वास हुआ है।
शिमला स्मार्ट सिटी परियोजना
स्मार्ट सिटी को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने लोकसभा में कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम) के अंतर्गत, शिमला को तीसरे चरण (जून 2017) में चुना गया था।
शिमला स्मार्ट सिटी द्वारा 31 जुलाई, 2025 तक उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, एससीएम के अंतर्गत 896 करोड़ रुपये की कुल 211 परियोजनाओं में से, 840 करोड़ रुपये की 208 परियोजनाएं (कुल परियोजनाओं का 99 फीसदी) पूरी हो चुकी हैं और 56 करोड़ रुपये की शेष तीन परियोजनाएं प्रगति पर हैं।