अनिल अग्रवाल डायलॉग 2025: दूसरे दिन रामचंद्र गुहा से होगी खास बात, और भी होगा बहुत कुछ

दूसरे दिन के अलग-अगल सत्रों में शहरों में बढ़ती गर्मी, रातों में बढ़ता तापमान, मिट्टी की बिगड़ती सेहत और जलवायु बीमा जैसे मुद्दों पर गहन विमर्श होगा
अनिल अग्रवाल डायलॉग में शामिल विशेषज्ञ व पत्रकार। फोटो: विकास चौधरी
अनिल अग्रवाल डायलॉग में शामिल विशेषज्ञ व पत्रकार। फोटो: विकास चौधरी
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अनिल अग्रवाल डायलॉग 2025 के दूसरे दिन 27 फरवरी, 2025 को कई पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

इनमें शहरों में बढ़ती गर्मी और रातों को बढ़ता तापमान, जलवायु बीमा, मिट्टी का स्वास्थ्य, राज्यों की स्थिति और प्रसिद्ध लेखक रामचंद्र गुहा के साथ बातचीत शामिल हैं।

गर्म होती पृथ्वी हमारे रातों को अधिक गर्म बना रही है। विशेष रूप से भारत के शहरी क्षेत्रों पर इसके प्रभाव पर पहले सत्र में चर्चा का विषय होगा।

तीन साल पहले द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अत्यधिक रातों के गर्म होने से मौत का जोखिम सदी के अंत तक लगभग छह गुना बढ़ सकता है।

अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि उष्ण रातें नींद की सामान्य शारीरिक प्रक्रिया में बाधा डाल सकती हैं। नींद की बदलती प्रवृति प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकती है और हृदय रोग, पुरानी बीमारियों, सूजन और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के उच्च जोखिम का कारण बन सकता है।

इसके अलावा यह भी चर्चा की जाएगी कि क्या बीमा बढ़ते मौसम के प्रभाव और पैमाने के साथ तालमेल बिठा सकता है।

इसके अलावा मिट्टी के स्वास्थ्य को लेकर भी गहन विमर्श होगा। अगस्त 2023 में अमेरिका में शोधकर्ताओं ने साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित किया, जिसने पहली बार भारत में मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता और लोगों की पोषण स्थिति के बीच संबंध का बड़े पैमाने पर मूल्यांकन किया।

उन्होंने पाया कि जिन जिलों में मिट्टी में जिंक की उपलब्धता कम थी, वहां कुपोषण (जब बच्चे की ऊंचाई उसकी उम्र के लिए कम होती है) और कम वजन (उम्र के अनुसार कम वजन) की दरें काफी अधिक थीं।

उन्होंने मिट्टी में आयरन की उपलब्धता और एनीमिया के बीच स्पष्ट संबंध भी पाया।

दोपहर में, डाउन टू अर्थ और सेंटर फॉर साइंस एवं एनवायरनमेंट के राजित सेनगुप्ता और किरण पांडे राज्यों की स्थिति प्रस्तुत करेंगे।

बाकी दुनिया की तरह भारत पिछले दशक से 2030 के सतत विकास एजेंडा को पूरा करने का प्रयास कर रहा है। देश ने सतत विकास लक्ष्यों को स्थानीय बनाने और उन्हें प्रमुख सरकारी योजनाओं के साथ एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया है। लेकिन वास्तव में भारत कहां खड़ा है? राज्यों की स्थिति इन सवालों का जवाब देगी।

शाम को डाउन टू अर्थ के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्रा सुप्रसिद्ध लेखक रामचंद्र गुहा के साथ बातचीत करेंगे।

उल्लेखनीय है कि अनिल अग्रवाल संवाद 2025 भारत के पत्रकारों का एक सालाना सम्मेलन है जो पर्यावरण और विकास के मुद्दों पर लिखते हैं। देश भर से 80 से अधिक पत्रकार इस अनोखे मंच में भाग ले रहे हैं, जिसे हर साल सीएसई द्वारा राजस्थान के निमली में स्थित अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में आयोजित किया जाता है।

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