
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट सीएसई का सालाना मीडिया इवेंट अनिल अग्रवाल डायलॉग आज से शुरू होगा। यह तीन दिवसीय सम्मेलन 26 फरवरी, 2025 को सीएसई के अत्याधुनिक आवासीय प्रशिक्षण केंद्र, अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में शुरू होगा। यह इंस्टीट्यूट राजस्थान के अलवर जिले में स्थित निमली में स्थित है।
इस साल के अनिल अग्रवाल डायलॉग में एक बार फिर पूरे भारत के पत्रकारों और पर्यावरण विशेषज्ञ एक साथ हिस्सा लेंगे, ताकि देश के सामने आने वाले कुछ ज्वलंत पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा की जा सके।
पहले दिन सीएसई और डाउन टू अर्थ की सालाना रिपोर्ट स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2025 रिपोर्ट जारी की जाएगी।
डाउन टू अर्थ द्वारा हर साल प्रकाशित की जाने वाली यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन, कचरा प्रबंधन, वायु और जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण और खाद्य पदार्थों तक के विषयों और मुद्दों का एक व्यापक दस्तावेज है, जिसमें साल भर की घटनाओं का विश्लेषणात्मक लेख होंगे।
अनिल अग्रवाल डायलॉग में इस साल की प्रमुख घटनाओं जैसे वनों की स्थिति, वन्यजीवन और जैव विविधता, पर्यावरण में रसायन, मौसम की चरम स्थिति, कृषि की स्थिति, राज्यों की स्थिति, भारत के विद्युतीकरण एजेंडे और स्वास्थ्य की स्थिति पर अलग-अलग सत्र होंगे।
पहले दिन जी20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सीएसई के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष एवं वित्त विशेषज्ञ राज लिब्रहान, सीएसई की महानिदेशक एवं डाउन टू अर्थ की संपादक सुनीता नारायण के बीच पैनल चर्चा होगी। विषय होगा "एंटी एनवायरमेंटलिज्म इन ए क्लाइमेट रिस्कड, डी ग्लोबलाइज्ड वर्ल्ड"।
दूसरे दिन डीटीई के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्रा, लेखक रामचंद्र गुहा के साथ बातचीत करेंगे।
अनिल अग्रवाल संवाद डायलॉग के संस्थापक-निदेशक अनिल अग्रवाल (1947-2002) की याद में आयोजित किया जाता है। अग्रवाल ने अपना पूरा जीवन ऐसी नीतियों की वकालत करने में बिताया, जो लोगों को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में शामिल करती हैं और भारत की परंपराओं से सीखती हैं।
1980 में उन्होंने सीएसई की स्थापना की, जो पर्यावरण और विकास के बीच संबंधों का विश्लेषण और अध्ययन करने और सतत विकास की आवश्यकता के बारे में सार्वजनिक चेतना पैदा करने के लिए भारत के पहले पर्यावरण गैर सरकारी संगठनों में से एक था।
1992 में, अग्रवाल ने विज्ञान, पर्यावरण और विकास जैसे मुद्दों की मुखर वकालत करने वाली पाक्षिक समाचार पत्रिका डाउन टू अर्थ की शुरुआत की। इसका हिंदी संस्करण साल 2017 से शुरू हुआ।