चिपको आंदोलन के 50 साल: कहां है आज, जल जंगल और जमीन की लड़ाई

नंदा देवी पर्वत की गोद में बसा हुआ एक छोटा सा गाँव रैणी. जीवंत दृश्यों से घिरे हुए इस गाँव में नीरसता भर गयी है। दरवाजों पर लगे ताले, और जर्जर होते मकान, यहाँ से निरंतर हो रहे पलायन की दुखद कहानी सुनाते हैं। इस गाँव के बारे में जानना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि आज से 50 वर्ष पूर्व, इसी गाँव से चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस वीडियो में हम ये समझने का प्रयास करेंगे की जल जंगल और ज़मीन की लड़ाई जो चिपको आंदोलन के साथ शुरू हुई थी आज कहाँ पहुंची है. साथ ही हम यह भी समझेंगे की बढ़ती आपदाओं ने उत्तराखंड के निवासियों को किन समस्याओं की और धकेल दिया है.

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