वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है हवा की रफ्तार, 37 फीसदी तक बढ़ सकता है पवन ऊर्जा का उत्पादन

2010 के बाद से जलवायु परिवर्तन के चलते वैश्विक स्तर पर हवा की रफ्तार में वृद्धि हो रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इससे पवन ऊर्जा के उत्पादन में 37 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है
Photo: Kanchan Kumar Agrawal
Photo: Kanchan Kumar Agrawal
Published on

 अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर में छपे एक नए अध्ययन से पता चला है कि दशकों की गिरावट के बाद 2010 से वैश्विक स्तर पर हवा की गति में वृद्धि हो रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा महासागर और वायुमंडलीय परिसंचरण के पैटर्न में बदलाव के कारण हो रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पवन ऊर्जा के नजरिये से बहुत अच्छी खबर है। उनके अनुसार इसके चलते वैश्विक स्तर पर पवन ऊर्जा का उत्पादन लगभग 37 फीसदी बढ़ जायेगा । जबकि इससे पहले 1980 से 2010 के बीच हवाओं की गति में उल्लेखनीय कमी आ रही थी ।

शोधकर्ताओं की टीम ने इसके लिए 9,000 अंतराष्ट्रीय मौसम केंद्रों से इकठ्ठा किये गए आंकड़ों का विश्लेषण किया है। जिसमें उन्होंने पाया कि तीन दशकों की मंदी के बाद हवा की गति अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है। उनके अनुसार हवा की रफ्तार में होने वाली यह वृद्धि अगले दशक में भी जारी रह सकती है, जोकि पवन ऊर्जा के क्षेत्र के लिए एक अच्छी खबर है। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक डॉ झेंझोंग जेंग ने बताया कि “वैश्विक स्तर पर हवा की रफ्तार में आ रही गिरावट का अध्ययन करने के लिए किये जा रहे शोध के निष्कर्षों ने टीम को हैरान कर दिया था।“

उनके अनुसार हवा की गति का जो अनुमान लगाया गया है उसके अनुसार 2024 तक पन चक्कियों से उत्पन्न होने वाली नवीकरणीय बिजली की मात्रा प्रति घंटे 3.3 मिलियन किलोवाट बढ़ जाएगी । यदि वैश्विक स्तर पर बात करें तो इसके चलते पवन ऊर्जा का कुल उत्पादन 37 फीसदी बढ़ जायेगा । गौरतलब है कि 2018 के अंत तक, वैश्विक स्तर पर पवन ऊर्जा की कुल उत्पादन क्षमता (स्थापित) करीब 591,549 मेगावाट है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 9.6 फीसदी बढ़ गयी है। जबकि भारत में इसकी कुल स्थापित उत्पादन क्षमता 35,129 मेगावाट है|

पिछले अध्ययनों में पाया गया था कि वैश्विक स्तर पर इमारतों के निर्माण और बढ़ते शहरीकरण के चलते हवा की रफ्तार में कमी आ रही थी। चूंकि इमारतें हवा के लिए अवरोधक का काम कर रही थी | इसके कारण 1980 से लेकर प्रति दशक हवा की गति 2.3 फीसदी की दर से धीमी हो रही है। लेकिन नवीनतम शोध से पता चला है कि बड़े पैमाने पर महासागर और वायुमंडलीय परिसंचरण के पैटर्न में होने वाले बदलाव से हवा की गति फिर तेज हो रही है।

डॉ जेंग ने बताया कि वैश्विक स्तर पर होने वाली तापमान की वृद्धि का हवा पर क्या असर होता है। यह अभी भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। क्योंकि बढ़ता तापमान अनेकों प्रकार से प्रभावित करेगा, पर कैसे यह अभी तक निश्चित नहीं है। उनके अनुसार "हम मानते हैं कि हमारा अध्ययन यह समझने में सहायक होगा कि जलवायु परिवर्तन, हवा को कैसे प्रभावित करता है, और हम अन्य वैज्ञानिकों से भी अपील करते हैं, कि वह इस जलवायु के इस महत्वपूर्ण घटक पर और ध्यान दें ।" "इसके साथ ही हवा का अध्ययन करने से हम जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में भी और अधिक जान पाएंगे।"

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in