
भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को लेकर 2024 एक निर्णायक वर्ष रहा। सड़कों पर आवाजाही के लिए इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल (ईवी) सेगमेंट में दोपहिया और तिपहिया गाड़ियां सबसे ज्यादा बैटरी चालित बिजली से चलने वाले वाहन बनी रहीं। इस वक्त अगर भारत में निजी यात्री परिवहन की बात करें तो यह मुख्य परिवहन साधन बनकर उभर रहे हैं।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईइए) की ओर से हाल ही में जारी ग्लोबल ईवी आउटलुक 2025 रिपोर्ट ने कहा है “भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में निजी यात्री परिवहन का प्राथमिक साधन दोपहिया और तिपहिया ईवी वाहन ही हैं।” रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इन्हीं क्षेत्रों ने वैश्विक बिक्री में लगभग 80 फीसदी योगदान दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वैश्विक स्तर पर दोपहिया और तिपहिया ईवी वाहनों का स्टॉक बाकी सभी ई-वाहनों की तुलना में अधिक था, हालांकि “2030 तक इलेक्ट्रिक कारों की संख्या इन्हें पीछे छोड़ देगी।”
वहीं, 2030 तक दोपहिया और तिपहिया ईवी वाहनों स्टॉक दोगुना होकर 17 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
रिपोर्ट बताती है “ दोपहिया और तिपहिया ईवी वाहन इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में प्रवेश का सबसे सस्ता और सुलभ विकल्प हैं।” इनमें रिमूवेबल बैटरियों की सुविधा ने घर पर चार्जिंग को संभव बनाया है और बैटरी स्वैपिंग स्टेशन जैसी अवधारणाओं को बढ़ावा दिया है, जो विशेष रूप से डिलीवरी और टैक्सी जैसे कार्यों के लिए कारगर साबित हो रही है।
भारत में बैटरी स्वैपिंग तेजी से बढ़ रही है। “बैटरी स्मार्ट ने अप्रैल 2024 में 1,000 बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों का आंकड़ा पार कर लिया,” जबकि सन मोबिलिटी 19 शहरों में बैटरी स्वैपिंग के 630 स्टेशन चला रही है।
ईवी वाहन निर्माता कंपनियां इस दिशा में विस्तार कर रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, "देशभर में पियाजियो के 10,000 इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों को ऐसी बैटरियों के साथ उतारने की योजना है जिन्हें बदला जा सके, और इसके लिए 300 नए बैटरी स्वैपिंग स्टेशन खोले जाएंगे।"
तीन-पहिया वाहनों की बात करें तो “भारत 2023 में चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक तिपहिया बाजार बन गया और 2024 में इसने अपनी बढ़त बनाए रखी।" इस साल भारत में इलेक्ट्रिक 3 पहिया ईवी वाहनों की बिक्री 20 फीसदी बढ़कर लगभग 7 लाख पहुंच गई और “इलेक्ट्रिक बिक्री का हिस्सा रिकॉर्ड 57 फीसदी तक पहुंच गया।”
यह ट्रेंड प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना से और मजबूत हुआ है, जिसमें 2024 में 3 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक तीन पहिया के लिए वाणिज्यिक उपयोग के लिए समर्थन का प्रावधान रखा गया। रिपोर्ट के मुताबिक, “2023 में भारत में कुल तीन पहिया ईवी वाहनों का बेड़ा (इंटरनल कम्बशन इंजन (आईसीई) यानी पारंपरिक पेट्रोल-डीजल वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों दोनों को मिलाकर) 1 करोड़ से अधिक था।”
इलेक्ट्रिक बसों के क्षेत्र में भी भारत ने बड़ा कदम उठाया है। रिपोर्ट के मुताबिक “अक्टूबर 2024 में भारत सरकार ने पीएम ई-बस सेवा योजना के तहत देशभर में 38,000 इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती को मंजूरी दी जिसका बजट लगभग 3,440 करोड़ रुपये (394 मिलियन अमेरिकी डॉलर) है।"
भारत सरकार द्वारा अक्टूबर 2024 से शुरू की गई नई पीएम ई-ड्राइव योजना केवल इलेक्ट्रिक दो और तिपहिया वाहनों, बसों, ट्रकों और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित है, जबकि इसमें इलेक्ट्रिक कारों को शामिल नहीं किया गया है। योजना का कुल बजट मार्च 2026 तक 1.3 बिलियन डॉलर है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “पीएम ई- ड्राइव नीति दरअसल फेम-II और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम का स्थान ले रही है और यह नए उभरते ईवी सेगमेंट के लिए खरीद प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।” इसमें लिथियम-आयन बैटरी से युक्त दोपहिया के लिए “प्रति किलोवाट-घंटा 5,000 रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है।” इस नीति का लक्ष्य मार्च 2026 तक 25 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के रोलआउट को समर्थन देना है, जो कि फेम-II के तहत 10 लाख के लक्ष्य से ढाई गुना अधिक है।
भारत का इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार 2024 में और अधिक गतिशील हो गया। “2023 में जहां 180 ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैकचरर (ओईएम) सक्रिय थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 220 हो गई।” हालांकि, “13 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में शीर्ष चार कंपनियों की हिस्सेदारी 80 फीसदी रही।” 2024 में यह कुल 2 पहिया बाजार का 6 फीसदी था।
रिपोर्ट में गौर किया गया है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमत अभी भी पारंपरिक दोपहिया वाहनों से अधिक है, लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते कंपनियां अब किफायती मॉडल ला रही हैं। मिसाल के तौर पर “ओला ने 2 किलोवाट बैटरी और 6 किलोवाट पीक पावर वाले एसवन एक्स मॉडल को 70,000 रुपये (करीब 850 डॉलर) में लॉन्च किया, जो आईसीई के टॉप-5 बेस्टसेलर मॉडलों से सस्ता है।”
“भारत में इलेक्ट्रिक दोपहिया बनाने वाली 80 प्रमुख कंपनियों की कुल उत्पादन क्षमता 2024 में 1 करोड़ तक पहुंच गई थी, जो उस साल की घरेलू बिक्री से आठ गुना अधिक है।” अगर सभी कंपनियों की घोषणाएं पूरी होती हैं तो “यह क्षमता निकट भविष्य में 1.7 करोड़ तक पहुंच सकती है।”
इलेक्ट्रिक कारों पर भारत में खरीद सब्सिडी नहीं है, लेकिन वाहन स्क्रैप नीति, जीएसटी में छूट, राज्य-स्तरीय करों की माफी और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजनाएं इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक “मार्च 2024 में केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक कार निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना को मंजूरी दी,” जिसके तहत वैश्विक निवेशकों को 15फीसदी आयात शुल्क पर कारें लाने की छूट दी गई जो पहले 70 या 100 फीसदी थी।
इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने सीएफई III (2027-2032) और सीएएफई IV (2033-2037) नाम से नए सीओटू उत्सर्जन मानकों का मसौदा तैयार किया है, जो डब्ल्यूएलटीपी मानकों के अनुसार 91.7 ग्राम सीओटू/किमी और 70 ग्राम सीओटू/किमी के लक्ष्य निर्धारित करता है। “यह मानक सुपर-क्रेडिट मैकेनिज्म के साथ आएगा, जिससे पारंपरिक वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री के माध्यम से अनुपालन आसान होगा।”
घोषित नीतियों पर आधारित परिदृश्य के अनुसार, भारत में 2024 में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 2 फीसदी थी, जो 2030 तक लगभग 15फीसदी तक पहुंच सकती है। वहीं, “2024 में दो और तीनपहिया वाहनों से इतर सभी वाहनों में ईवी की बिक्री भारत में फिलहाल हर 50 में से सिर्फ 1 गाड़ी इलेक्ट्रिक होती है, लेकिन 2030 तक हर 8 में से 1 गाड़ी इलेक्ट्रिक होने की उम्मीद है।” जबकि यदि दो और तीन पहिया वाहनों को शामिल किया जाए तो "2030 तक हर तीन में से एक वाहन इलेक्ट्रिक होगा।"
दक्षिण-पूर्व एशिया की बात करें तो वहां भी ईवी बिक्री में तेज वृद्धि देखी गई है, विशेषकर निर्माण और नीतिगत सहयोग के कारण। “2030 तक दक्षिण-पूर्व एशिया में कारों की 25 फीसदी, दो और तीनपहिया वाहनों की 30 फीसदी और बसों की 15 फीसदी बिक्री इलेक्ट्रिक हो जाएगी।”