
वैज्ञानिकों ने पी3टीटीएम: नामक ऑर्गेनिक सेमीकंडक्टर में मॉट-हबर्ड जैसे क्वांटम व्यवहार की खोज की है।
100 फीसदी चार्ज करने की क्षमता : शोध में बनाए गए सौर सेल ने लगभग हर फोटॉन को उपयोगी बिजली में बदला, बेहद उच्च दक्षता।
अब सौर पैनल एक ही प्रकार की ऑर्गेनिक सामग्री से बनाए जा सकते हैं, बिना डोनर-एक्सेप्टर के।
वैज्ञानिकों ने अणु की बनावट को इस तरह से डिजाइन किया कि इलेक्ट्रॉन सहजता से एक से दूसरे अणु में जाए।
हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है जो सौर ऊर्जा की दुनिया को पूरी तरह बदल सकती है। उन्होंने एक ऑर्गेनिक सेमीकंडक्टर में एक छिपा हुआ क्वांटम यांत्रिक व्यवहार पाया है, जो अब तक सिर्फ धातु ऑक्साइड में देखा गया था। इस खोज के अनुसार, अब सौर पैनल सिर्फ एक ही प्रकार की हल्की और सस्ती सामग्री से बनाए जा सकते हैं, जिससे उनका निर्माण आसान और सस्ता हो जाएगा।
पी3टीटीएम: एक अनोखा अणु
नेचर मैटेरियल्स में प्रकाशित इस शोध का केंद्र है एक खास ऑर्गेनिक सेमीकंडक्टर पी3टीटीएम। यह एक ऐसा अणु है जिसमें एक असंपेयर इलेक्ट्रॉन होता है। यह इलेक्ट्रॉन इसे विशेष चुंबकीय और विद्युत गुण देता है। जब कई पी3टीटीएम अणु पास-पास जमा होते हैं, तो उनके असंपेयर इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे से संपर्क करना शुरू करते हैं और एक विशेष तरीके से क्रमबद्ध हो जाते हैं, जैसा कि मॉट-हबर्ड इंसुलेटर में होता है।
मॉट-हबर्ड व्यवहार क्या है?
यह एक क्वांटम सिद्धांत है, जो बताता है कि जब इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे से ज्यादा संपर्क करते हैं, तो वे अपने पड़ोसी इलेक्ट्रॉनों से "बचते" हैं और एक विशेष पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं जैसे एक ऊपर, एक नीचे। अब तक यह व्यवहार सिर्फ ठोस धातुओं और ऑक्साइड में देखा गया था। लेकिन अब यह पहली बार एक कार्बन-आधारित ऑर्गेनिक पदार्थ में देखा गया है।
सौर ऊर्जा में इसका महत्व
आज की पारंपरिक ऑर्गेनिक सौर सेल दो अलग-अलग प्रकार की सामग्रियों से बनती हैं, एक इलेक्ट्रॉन डोनर और एक इलेक्ट्रॉन एक्सेप्टर। लेकिन यह प्रक्रिया जटिल होती है और इसमें ऊर्जा का नुकसान होता है।
लेकिन पी3टीटीएम में, जब प्रकाश (फोटोन) पड़ता है, तो एक इलेक्ट्रॉन अपने पड़ोसी अणु पर "कूद" जाता है। इससे एक पॉजिटिव और नेगेटिव चार्ज बनता है, जिसे एकत्रित कर बिजली बनाई जा सकती है।
इस प्रक्रिया में किसी अलग डोनर-एक्सेप्टर की जरूरत नहीं होती। इसका मतलब है कि पूरी सौर सेल सिर्फ एक ही सामग्री से बनाई जा सकती है और यह बेहद सरल, हल्की और सस्ती हो सकती है।
चार्ज करने में लगभग 100 फीसदी सफलता
वैज्ञानिकों ने पी3टीटीएम की पतली परत से एक सौर सेल बनाई और देखा कि जब उस पर रोशनी डाली गई, तो लगभग हर फोटॉन से इलेक्ट्रॉन और होल बने और इससे लगभग पूर्ण चार्ज कलेक्शन एफिशिएंसी हासिल हुई।
यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि पारंपरिक सौर सेल अक्सर 70 से 80 फीसदी से अधिक एफिशिएंसी नहीं दे पातीं।
कैसे तैयार किया गया ये अणु
शोधकर्ताओं ने इस अणु को इस तरह डिजाइन किया कि वह अन्य पी3टीटीएम अणुओं के साथ सही तरीके से "बैठे" और इलेक्ट्रॉन आसानी से एक से दूसरे में जा सके।
इस डिजाइन में "हबर्ड यू" नामक एक ऊर्जा का भी ध्यान रखा गया, जो यह तय करता है कि इलेक्ट्रॉन एक ही अणु पर दो बार जा सकता है या नहीं। सही "यू" वैल्यू से इलेक्ट्रॉन आसानी से मूव कर सकता है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि यह एक तरह से जीवन का चक्र पूरा होने जैसा है। जहां ऑर्गेनिक पदार्थों में जीवित होते देखना एक अद्भुत अनुभव है। सिर्फ पुराने डिजाइन में सुधार नहीं किया गया है, हम नई किताब लिख रहे हैं। हम दिखा रहे हैं कि ऑर्गेनिक पदार्थ अपने आप चार्ज बना सकते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
यह खोज यह साबित करती है कि हम ऑर्गेनिक सामग्री से बेहद कुशल सौर सेल बना सकते हैं। एक ही सामग्री से सस्ती और हल्की सौर पैनल बनाए जा सकते हैं। यह तकनीक भविष्य के पोर्टेबल, फोल्डेबल और फ्लेक्सिबल डिवाइसों के लिए आदर्श हो सकती है।
कैंब्रिज वैज्ञानिकों की यह खोज सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। इससे सौर पैनल बनाना आसान, सस्ता और अधिक प्रभावशाली हो सकता है।
यह केवल ऊर्जा की दुनिया नहीं बदल रही है, बल्कि क्वांटम भौतिकी और ऑर्गेनिक केमिस्ट्री के बीच एक नया पुल भी बना रही है, एक ऐसा पुल, जो भविष्य को ऊर्जा से भर देगा।